जयंतीलाल भंडारी। हाल में रोजगार मेले के तहत भर्ती किए गए एक लाख से अधिक कर्मियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मौजूदा राजग सरकार ने पिछले 10 साल में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की तुलना में युवाओं को डेढ़ गुना ज्यादा नौकरियां दी हैं। संप्रग के कार्यकाल में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के माध्यम से 10 साल में 2,56,405 नियुक्तियां हुई थीं।

जबकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 5,11,775 नियुक्तियां हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार के प्रयासों से युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए क्षेत्रों में अवसर खुले हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी दर घटी है। वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान शहरी बेरोजगारी दर घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है। यह कोई छोटी बात नहीं कि पूरी दुनिया में रोजगार के मौकों में कमी के बीच भी भारत में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।

डिजिटल इकोनमी के तहत भी आर्थिक गतिविधियां निरंतर विस्तार पा रही हैं। कई क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के ऐसे नए-नए मौके बढ़े हैं, जिनकी पहले कभी कल्पना नहीं की जाती थी। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार देश में पंजीकृत कंपनियों की संख्या जनवरी में रिकार्ड स्तर को छूते हुए 1.5 लाख के आंकड़े को पार कर गई। पिछले एक वर्ष के दौरान नई कंपनियों के पंजीकरण में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। आसानी से उपलब्ध कर्ज और कारोबारी सुगमता के चलते इस रुझान में तेजी आई है।

डिजिटल कौशल और तेज आर्थिक विकास के कारण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। देश में स्टार्टअप्स की संख्या अब 1.25 लाख के आसपास पहुंच रही है। इनमें बड़ी संख्या में स्टार्टअप टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में हैं। देश की नई प्रतिभाशाली पीढ़ी के बल पर भारत स्टार्टअप और साफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामर्थ्यवान देश के रूप में स्थापित हो रहा है।

स्पष्ट है कि एक ऐसे दौर में जब दुनिया के अनेक विकसित और विकासशील देशों में कार्यशील युवाओं की कमी का संकट है, तब भारत अपनी कुशल युवा आबादी के साथ रोजगार बाजार में नई संभावनाओं वाले देश के रूप में उभरा है। भारत की करीब 50 प्रतिशत जनसंख्या 25 साल में कम उम्र की है। वहीं 25.4 करोड़ आबादी 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग की है। भारत की 66 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम उम्र की है।

इस समय जहां भारत विश्व की नई ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है, वहीं भारतीय कंपनियों द्वारा समय पर दी जा रही गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारतीय कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल सरकार ने एक लाख भारतीयों युवाओं को अपने यहां नौकरी के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी है। इसी तरह ताइवान ने भारत के एक लाख श्रमिकों को नौकरी देने की पहल की है।

दरअसल ताइवान में रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षित युवाओं की भारी कमी हो गई है। विनिर्माण, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में कामगारों की जरूरत है, जो कई प्रमुख देशों को अपने यहां नहीं मिल रहे हैं। ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार भारतीय कामगारों-डाक्टरों और छात्रों ने ब्रिटेन की वीजा सूची में अपनी बढ़त बनाए रखी है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 से 2022 के बीच भारतीयों के लिए स्किल्ड वर्कर्स वीजा में करीब 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगले कुछ वर्षों तक ब्रिटेन में स्किल्ड वर्कर्स की मांग तेजी से बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि श्रमिकों की आवाजाही को लेकर भारत का जापान, आस्ट्रेलिया और फ्रांस समेत 13 देशों के साथ समझौता हो चुका है। इनमें से अधिकांश देश आबादी के बूढ़े होने की समस्या से कौशल प्रशिक्षित नई कामकाजी पीढ़ी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं।

भारत की संभावनाओं और तेजी से बढ़ती आर्थिकी के महत्व को समझते हुए विश्व भर के उद्यमियों और प्रवासी भारतीयों के कदम भी भारत की ओर बढ़ रहे हैं। नैस्काम के पूर्व चेयरमैन सौरभ श्रीवास्तव का कहना है कि देश की विकास गाथा में शामिल होने के लिए अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया भर से भारतीय उद्यमी वापस अपनी मातृभूमि की ओर लौट रहे हैं। ये अपनी पूंजी और विदेशों में अर्जित कौशल से रोजगार के नए मौके भी निर्मित कर रहे हैं।

वैसे भी, रोजगार की नई संभावनाओं के मद्देनजर नई शिक्षा नीति से युवा आबादी को नई आर्थिक संभावनाओं के हिसाब से ढाला जाना भी जरूरी है। नई पीढ़ी को कंप्यूटर, आइटी दक्षता, कोडिंग स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस यानी एआइ और डाटा साइंस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों से भी लैस करना होगा। अब देश में स्किल इंडिया डिजिटल से कौशल, शिक्षा और उद्यमशीलता के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का पूरा लाभ लेते हुए नई पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक रोजगार अवसर निर्मित करने होंगे।

अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के माध्यम से युवाओं को आवश्यक कौशल एवं प्रशिक्षण से लैस करने की राह पर आगे बढ़ने का लक्ष्य तय किया गया है। हम उम्मीद करें कि बदलते आर्थिक दौर में भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के बढ़ते हुए मौकों को भुनाते हुए आगामी पांच वर्षों में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक उसे विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।

(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)