हिमांशु मराडिया। भारत सरकार एक महत्वपूर्ण चर्चा पत्र जारी करने जा रही है, जो राष्ट्रीय क्रिप्टो नीति के लिए आधार तैयार कर सकता है। इससे इस क्षेत्र में आशा और घबराहट, दोनों तरह की भावनाएं पैदा हो रही हैं। इस बीच पारंपरिक संस्थान और नीति निर्माता सतर्क, लेकिन आशावादी बने हुए हैं, जो इस क्षेत्र की अस्थिरता की ओर इशारा करता है।

डेवलपर्स, फिनटेक इनोवेटर्स और डिजिटल की दुनिया के दिग्गजों के तेजी से बढ़ते समुदाय के साथ हमारे देश में इस वित्तीय व्यवस्था परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए संख्या-बल और प्रतिभा मौजूद है। वास्तव में 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ भारत आज दुनिया के सबसे अधिक क्रिप्टो उपयोगकर्ता वाले देशों में से एक बन गया है। यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। सरकार का कदम इसमें भूमिका निभाएगा कि दुनिया भारत को डिजिटल भविष्य में कैसे देखती है।

विश्व में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि हाल में अमेरिका ने जीनियस एक्ट बनाया है, जो स्टेबलकाइन के लिए पहला व्यापक संघीय ढांचा स्थापित करता है। यह कानून बैंकों, फिनटेक फर्मों और खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टेबलकाइन जारी करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे बाजार का विस्तार संभावित रूप से दो लाख करोड़ डालर से अधिक हो सकता है। वैश्विक स्तर पर यह कानून विनियामक स्पष्टता के लिए मिसाल कायम करता है और दुनिया भर में और विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों में इसी तरह के ढांचे को प्रेरित कर सकता है।

दुनियाभर की सरकारें क्रिप्टो को अपना रही हैं और इस परिसंपत्ति वर्ग को विनियमित कर रही हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में यह प्रवृत्ति अब तेजी से मुख्यधारा में जगह बना रही है। पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद से डिजिटल परिसंपत्तियों की निगरानी, विनियमन और व्यापार को सक्षम करने के लिए एक डिजिटल परिसंपत्ति प्राधिकरण आनन-फानन में बनाया है। सिंगापुर, थाइलैंड, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश भी नए, सहायक विनियमों और उनके बढ़ते डिजिटल बुनियादी ढांचे की घोषणा के साथ अपने बाजारों को नई संभावनाओं के लिए खोल रहे हैं।

पश्चिमी जगत से समर्थन मिलने से यह क्षेत्र अब क्रिप्टो के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन रहा है। चेनलिसिस ग्लोबल एडाप्शन इंडेक्स के अनुसार, भारत लगातार दूसरे साल क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने में दुनिया में सबसे आगे रहा, जो इस दिशा में हमारी आगे बढ़ने की स्वाभाविक इच्छा को दर्शाता है। समय आ गया है कि भारत भी इस वैश्विक रुझान में शामिल हो, अपने नियामक रुख पर पुनर्विचार करे, संदेह पैदा करने वाली चिंताओं को दूर करे और इस क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरे, ठीक उसी तरह जैसे यूपीआइ को अपनाकर अपनी अग्रणी पहचान बनाई है।

डिजिटल परिसंपत्तियों की देशव्यापी स्वीकृति को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए भारत को कई प्रमुख क्षेत्रों में प्रयासों की आवश्यकता है। चर्चा पत्र की घोषणा उद्योग और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आई है। इस पत्र के साथ कई बदलाव लाए जा सकते हैं, खासकर कर कानूनों के क्रियान्वयन और सभी ट्रेडर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले ढांचे की दिशा में। डिजिटल परिसंपत्तियों को अपनाने की बात करें तो अनुभवहीनता और विश्वसनीय स्रोतों की कमी एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारतीय निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी और उनकी क्षमता के बारे में शिक्षित करना होगा।

भारत में विश्वसनीयता हासिल करने का माध्यम नियमों का पालन करना है। कंप्लायंस-फर्स्ट यानी कानूनों, नियमों और नीतियों का पालन करने और इसे प्राथमिकता देने की रणनीति अपनाकर और खुद को सेल्फ-रेगुलेट करके क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां जवाबदेही और जिम्मेदारी प्रदर्शित कर सकती हैं, जो अंततः उनके पक्ष में काम करेगी। नियामकों, सरकार और आम जनता के साथ विश्वास का निर्माण करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। फिनटेक स्टार्टअप, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी व्यवसायों के साथ सक्रिय रूप से काम करना शुरू करना होगा। ब्लाकचेन प्लेटफार्म और पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग वैधता बढ़ाएगा और यह प्रदर्शित करेगा कि क्रिप्टोकरेंसी केवल एक विशिष्ट उद्योग के बजाय एक वैध और मुख्यधारा का उद्योग है।

जाहिर है कि क्रिप्टो परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। उम्मीद है कि चर्चा पत्र इस क्षेत्र में वैधता और स्पष्टता लाएगा, लेकिन हमारे प्रयास यहीं समाप्त नहीं होते। भारत के पास अब इस क्षेत्र में अग्रणी होने का अवसर है, खासकर अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे देशों द्वारा की गई प्रगति के साथ-साथ दुनिया भर में किए जा रहे विनियामक पहल को देखते हुए। हम इस क्षेत्र में पीछे रहने का जोखिम नहीं उठा सकते। भारत द्वारा विधायी ढांचे का विकास, शिक्षा को उच्च प्राथमिकता देना तथा एक सुरक्षित और कानूनी तंत्र की स्थापना यह निर्धारित करेगी कि हम क्रिप्टोकरेंसी के प्रति वैश्विक रुझान को सफलतापूर्वक अपनाते हैं या नहीं? देश के नीति निर्माताओं, निवेशकों और क्रिप्टोकरेंसी उद्यमियों को इस बदलाव को लाने के लिए विश्वास बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए।

(लेखक सीआइएफडीएक्यू ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष हैं)