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    Opration Mahakal: प्लाट खरीदने की धोखाधड़ी में वीएसीएल का निदेशक गिरफ्तार, तीन अन्य साथियों से पूछताछ जारी

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 11:45 PM (IST)

    कानपुर पुलिस ने प्लॉट धोखाधड़ी मामले में वीएसीएल कंपनी के निदेशक को गिरफ्तार किया है जिन पर पांच लाख की धोखाधड़ी का आरोप है। वहीं भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी पर फ्लैट के नाम पर 13 लाख हड़पने का आरोप है। एक अन्य मामले में दिवंगत कर्मचारी की पत्नी पर कारखाना और दफ्तर कब्जाने का आरोप है जिसमें 50 लाख की रंगदारी मांगी जा रही है।

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    आपरेशन महाकाल में गिरफ्तार बृजेंद्र सिंह चौहान। पुलिस

    जागरण संवाददाता,कानपुर। कमिश्नरेट पुलिस का आपरेशन महाकाल अभियान लगातार जारी है। पनकी पुलिस ने शनिवार शाम को प्लाट खरीदने के नाम पर धोखाधड़ी मामले में वीएसीएल कंपनी के निदेशक बृजेंद्र सिंह चौहान को गिरफ्तार किया है। जबकि उसके तीन अन्य साथियों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। बृजेंद्र और उसके साथियों पर प्लाट खरीद के मामले में पांच लाख रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था।

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    पनकी निवासी रमाकांत मिश्रा ने दो दिन पहले पनकी थाने में तहरीर देकर बताया था कि बृजेंद्र सिंह चौहान की कंपनी वीएसीएल से उन्होंने बारासिरोही की एक जमीन 31 दिसम्बर 2020 को खरीदी थी। जिसके अग्रिम भुगतान लिए 14 लाख रुपए उन्होंने दिए थे। कुछ समय बाद उन्होंने बृजेंद्र सिंह चौहान ने रजिस्ट्री की बात कही तो वह टाल मटोल करने लगा और बाद में रजिस्ट्री के लिए इनकार करते हुए नौ लाख रुपए वापस कर दिए। जबकि बाकी पांच लाख रुपए लगातार मांगने के बाद भी आरोपित ने वापस नहीं किए।

    जब उन्होंने बाकी के रुपयेां की मांग की तो आरोपित ने धमकाते हुए जान से मारने की धमकी दी। रमाकांत ने बताया कि बृजेंद्र सिंह के खिलाफ करीब 11 मुकदमे दर्ज हैं। मामले में मुकदमा दर्जकर आरोपितों की तलाश शुरू की गई थी। शनिवार को पनकी पुलिस ने वीएसीएल कंपनी के निदेशक बृजेन्द्र सिंह चौहान को कल्याणपुर से गिरफ्तार कर लिया। उसके तीन अन्य साथियों को भी हिरासत में लिया गया है जिनसे पूछताछ की जा रही है। इनमें से एक बृजेंद्र का सहयोगी बताया जा रहा है।

    जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले वीएसीएल कंपनी के निदेशक बृजेंद्र सिंह चौहान को गिरफ्तार कर उसके तीन साथियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

    - दिनेश त्रिपाठी,डीसीपी पश्चिम

    इधर, फ्लैट देने का झांसा देकर नेगी ने हड़पे 13 लाख रुपये

    भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ फ्लैट व दुकान बेचने का झांसा देकर रुपये हड़पने और मारपीट कर रंगदारी मांगने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उसके खिलाफ अब एक डाक्टर ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत की है। आरोप है कि नेगी ने नौ साल पहले अपने अपार्टमेंट का एक फ्लैट आवंटित करने लिए 13 लाख रुपये लिए थे लेकिन न तो फ्लैट की लिखापढ़ी की और न ही रुपये वापस कर रहा है। रुपये मांगने गए तो मारपीट कर उसने धमकाया कि दोबारा आए तो जान से हाथ धो बैठोगे। पीड़ित ने आपरेशन महाकाल के तहत पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई है।

    केशवपुरम निवासी डा. ललित अग्रवाल के मुताबिक वर्ष 2016 में उनका संपर्क गजेंद्र सिंह नेगी से हुआ था। उस समय उसका आवास विकास में एक अपार्टमेंट का निर्माण कार्य चल रहा था। बातचीत के बाद फ्लैट नंबर ए-105 आवंटित हुआ था। इसके लिए उन्होंने 13 लाख रुपये उसे दिए थे, जिसमें साढ़े छह लाख मेरे और साढ़े छह लाख रुपये पत्नी अमिता के खाते की चेक दी थी।

    पीड़ित ने बताया कि अपार्टमेंट का निर्माण कार्य पूरा होने पर कब्जा लेने की बात की तो उसने कुछ दिन बाद कब्जा देने का वादा किया लेकिन वह दो साल तक टालमटोल करता रहा है। जब फ्लैट नहीं मिला तो वह अपने रुपये वापस लेने उसके पास गए। आरोप है कि नेगी और साथियों ने अभद्रता करते हुए मारपीट की। धमकाते हुए उसने वहां से भगा दिया। वह उससे इतना डर गए कि दोबारा कहीं नहीं गए। अब जब उसके खिलाफ आपरेशन महाकाल के तहत मुकदमे हो रहे हैं तो उन्होंने भी पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई, जिसकी जांच एसीपी को दी गई है। हालांकि एसीपी कल्याणपुर रंजीत कुमार ने बताया कि अभी उनके पास इस नाम से कोई शिकायत नहीं मिली है। जैसे ही आती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

    वहीं, दिवंगत कर्मचारी की पत्नी पर कारखाना और दफ्तर कब्जाने का आरोप

    एक कारोबारी के दिवंगत कर्मचारी की पत्नी ने अधिवक्ता संग मिलकर मालिक का कारखाना और दफ्तर कब्जा लिया। आफिस की जगह पर दूसरा किरायेदार भी रखवा दिया। आरोप है कि कब्जा खाली करने के एवज में महिला उनसे 50 लाख रुपये रंगदारी मांग रही है। पीड़ित के पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाने के बाद जांच पुलिस कर रही है। 

    जूही लाल कालोनी निवासी मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि दिसंबर 1994 में उप्र अपराध निरोधक समिति लखनऊ ने निराला नगर के यू ब्लाक में मुक्तबंदी पुनर्वासन योजना के तहत विज्ञापन कार्य करने के लिए एक प्लाट आवंटित किया था, जिस पर उन्होंने प्रिंटिंग प्रेस का कारखाना खोल लिया। कारखाने में राजीव नाम का कर्मचारी भी था, जो पत्नी व बच्चे संग वहीं रहता था।

    वर्ष 2009 में राजीव का निधन हो गया। कुछ साल बाद जब उन्होंने राजीव की पत्नी से वहां से हटने के लिए कहा तो एक अधिवक्ता के साथ मिलकर उसने कब्जा कर लिया। गोविंद नगर के आफिस में भी एक परिवार को रख दिया। पूछने पर उसने बताया कि उसी महिला ने दो लाख रुपये पगड़ी लेकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर दिया है। उस महिला से बात की तो उसने जेल भिजवाने की धमकी दी। इसके बाद वह डरकर शांत हो गए लेकिन अब आपरेशन महाकाल के बारे में जानकारी होने पर पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई।

    अखिलेश दुबे प्रकरण: फर्जी हस्ताक्षर के मामले में अधिवक्ता व मुंशी के बाद आया तीसरा नाम

    भाजपा नेता रवि सतीजा के खिलाफ मुकदमा कराने वाली वादिनी के फर्जी हस्ताक्षर के मामले में अधिवक्ता और मुंशी के बयान के बाद अब तीसरा नाम सामने आया है। पुलिस ने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा है। पुलिस का दावा है कि अगर उसने इन्कार किया तो अधिवक्ता और मुंशी दोनों ही आरोपित माने जाएंगे और उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार होगी।

    मूलरूप से बिहार के छपरा जिला निवासी लड़की का परिवार पहले उस्मानपुर कच्ची बस्ती में रहता था। लड़की ने कोर्ट के माध्यम से चार दिसंबर 2024 को बर्रा थाने में भाजपा नेता व होटल कारोबारी रवि सतीजा व ध्रुव गुप्ता के खिलाफ दुष्कर्म के प्रयास, पाक्सो, धमकी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि ध्रुव गुप्ता उसकी नाबालिग बहन को रवि सतीजा के होटल में काम दिलाने के बहाने ले गया था, जहां सतीजा ने दुष्कर्म करने का प्रयास किया, जो जांच में जांच में झूठा निकला। एसआइटी की जांच में अखिलेश दुबे और उसके गिरोह की करतूतों का भी पर्दाफाश हुआ। रवि सतीजा ने अखिलेश दुबे, उसके सहयोगी लवी मिश्रा, मुकदमा कराने वाली लड़की व उसकी बहन समेत सात आरोपितों पर बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया तो पुलिस ने अखिलेश व लवी को जेल भेजा था। 

    इस प्रकरण में मुकदमा कराने वाली लड़की ने अधिवक्ता बिलाल आलम के खिलाफ मुकदमे से संबंधित वकालतनामा में उसके फर्जी हस्ताक्षर बनाने व पैरवी करने का आरोप लगाया। लड़की के अनुसार न तो वह बिलाल को जानती है और न ही उसने मुकदमे की पैरवी के लिए किया है। कोतवाली थाना प्रभारी जगदीश पांडेय ने बताया कि अधिवक्ता बिलाल आलम ने बयान में कहा है कि उन्होंने कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं, मुंशी ने किए होंगे। जब मुंशी से पूछताछ की तो उसने एक अन्य व्यक्ति के हस्ताक्षर करने की बात कही है। इससे स्पष्ट है कि फर्जीवाड़ा किया गया है। तीसरे व्यक्ति को नोटिस भेज शनिवार को बुलाया गया है। अगर वह आ जाता है तो हस्ताक्षर का फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा। सभी के बयान दर्ज करने के बाद जल्द चार्जशीट भी लगाई जाएगी।

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