Akhilesh Dubey Case: टायसन की गोली पता नहीं पूछती... कहने वाले D-2 के शार्प शूटर पर केस
Akhilesh Dubey Case कानपुर में प्रापर्टी डीलर प्रवीण कुमार शुक्ला को टायसन नामक एक व्यक्ति ने धमकाया जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। टायसन पहले पप्पू स्मार्ट गैंग का शूटर था पिंटू सेंगर हत्याकांड में भी शामिल था। शुक्ला ने अखिलेश दुबे और उसके गैंग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिसकी जांच एसआईटी कर रही है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। पंडित जी मुकदमा वापस ले लो, वरना टायसन की गोली पता नहीं पूछती...बोल प्रापर्टी डीलर की कार रोककर धमकाने वालों के खिलाफ मंगलवार शाम कोतवाली थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। टायसन पहले डी-2 गैंग का शूटर था, लेकिन बाद में पप्पू स्मार्ट के लिए काम करने लगा था। पप्पू स्मार्ट और टायसन पिंटू सेंगर हत्याकांड में जेल भेजे गए थे।
तेजाब मिल कैंपस निवासी प्रापर्टी डीलर प्रवीण कुमार शुक्ला उर्फ मनोहर शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अखिलेश दुबे और उसके गैंग के खिलाफ शिकायत की थी, जिसकी जांच एसआइटी कर रही है। 27 अगस्त को वह एसआइटी को बयान दर्ज कराकर कार से लौटते समय नई सड़क और कोतवाली क्षेत्र के बीच में दो बाइक सवार उनकी कार के दोनों तरफ चलने लगे, जिससे कार रोकनी पड़ी।
शीशा खोलकर कारण पूछते ही बाइक सवार एक व्यक्ति ने कहा कि पंडित जी ज्यादा दिमाग खराब हैं क्या, टायसन की गोली पता नहीं पूछती है। इसलिए शिकायत वापस ले लो और सब भूल जाओ। अखबारों में समाचार प्रकाशित होने पर कमिश्नरेट ने पीड़ित को बुलाकर जानकारी की और उसके बाद घटनास्थल की जांच की गई। पुलिस आयुक्त के स्टाफ आफिसर राजेश पांडेय ने बताया कि पीड़ित को धमकी देने वालों के खिलाफ व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करने व धमकाने की धारा में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
अखिलेश दुबे की एग्रीमेंट खारिज करवा चार करोड़ हड़पने की चल रही जांच
मनोहर शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2009 में साझेदारी में मुरादाबाद के कांठ परगंज निवासी हरिओम गुप्ता, नवाबगंज के आजाद नगर निवासी त्रिपुणा नंद तिवारी के साथ मिलकर मेहरबान सिंह का पुरवा में रकबा 12 जमीन 7.227 हेक्टेयर खरीदी थी, जिसका एग्रीमेंट उपनिबंध कार्यालय में किया गया था। उस जमीन के सभी बराबर के हिस्सेदार थे। इसीबीच विकास दुबे के मामा, एक अधिवक्ता व एक सीओ के मामा व एक अन्य ने मिलकर 12 जुलाई 2022 को मुझे उपनिबंध कार्यालय बुलाया और कहा कि रुपये लेकर अपने हिस्से की जमीन का एग्रीमेंट खारिज कर दो। इस पर एग्रीमेंट खारिज कर अपने चार करोड़ रुपये वापस मांगे तो उन लोगों ने गंगा बैराज बुलाकर सीने पर रिवाल्वर तानकर धमकाया कि रुपये मांगे तो गोली मार देंगे। इस प्रकरण की शिकायत पीड़ित ने आपरेशन महाकाल के तहत पुलिस आयुक्त से की थी।
इधर, अखिलेश गैंग से जुड़कर साझेदार ने फ्लैट बिकवाए, हड़पे 3.50 करोड़
अधिवक्ता अखिलेश दुबे के गैंग में बिल्डर का साझेदार शामिल हुआ और फर्जी दस्तावेज बना सात फ्लैट बिकवाने के बाद करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये हड़प लिए। पुलिस आयुक्त से शिकायत करने के कुछ दिन बाद चौकी पुलिस ने फोन कर पीड़ित पर ही मारपीट का मुकदमा दर्ज होने की जानकारी दी। पीड़ित ने दोबारा गुहार लगाई तो जांच एसीपी बाबूपुरवा दिलीप सिंह को सौंपी गई। उन्होंने मंगलवार को पीड़ित के बयान दर्ज किए। साथ ही आरोपितों को भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया।
किदवई नगर वाई-वन निवासी बिल्डर मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि साकेत नगर में करीब 800 गज की एक जमीन मेसर्स बांके बिहारी रियल स्टेट डेवलपर्स के नाम से पंजीकृत थी, जिसके चार साझेदार हैं। वर्ष 2016 में उस जमीन को लेकर फर्म के साझेदार, मेरे व मेरे साझेदार अरुण आनंद के साथ एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट के अनुसार उस पर अपार्टमेंट बनाने के बाद 18 माह में 3.44 करोड़ रुपये बांके बिहारी फर्म को देने थे। जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करा दिया। इस दौरान 50 लाख से ज्यादा खर्च हो चुके थे। इसी बीच पता चला कि जूही बसंती नगर के कथित पत्रकार ने जमीन अपनी होने का दावा कर फर्म के चारों साझेदारों के खिलाफ मुकदमा कराया था, जिसमें पत्रकार को स्टे भी मिला है, जिसकी वजह से निर्माण कार्य नहीं करा पा रहे थे, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद हाई कोर्ट से स्टे खारिज हुआ तब 18 फ्लैटों का चार मंजिला अपार्टमेंट बनाया जा सका।
वर्ष 2023 में छह फ्लैट बेचकर 2.20 करोड़ रुपये मेसर्स बांके बिहारी रियल स्टेट डेवलपर्स के एचडीएफसी बैंक, गोविंद नगर शाखा के खाते में जमा करा दिए गए। इसीबीच जानकारी हुई कि फर्म के एक साझेदार की अखिलेश दुबे के परिवार से रिश्तेदारी जुड़ गई। आरोप है कि उसके बाद अखिलेश ने फर्म और मेरे साझेदार अरुण आनंद को गैंग में शामिल कर लिया और फर्जी दस्तावेज बनवा लिए, जिसके बाद वर्ष 2024 तक सात फ्लैटों की रजिस्ट्री करा साढ़े तीन करोड़ रुपये हड़प लिए। आरोप है कि अखिलेश गैंग ने उस अपार्टमेंट का फर्जी नोटरियल और अन्य दस्तावेज बनाए, जिसमें बैंक भी बदल ली। आरोपितों ने पीएनबी नई दिल्ली से लोन भी कराया।
मामले में आरोपितों खिलाफ बीते माह पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी, जिसकी जांच उन्होंने एसीपी बाबूपुरवा दिलीप सिंह को सौंपी। पीड़ित बिल्डर ने बताया कि मैंने सबसे पहला फ्लैट जिस व्यक्ति को बेचा था। उसी फ्लैट पर आरोपितों ने ताले तोड़ कब्जा करा वहां दो मजदूर रुकवा दिए। जानकारी होने पर वह पहुंचे। यूपी-112 पर काल कर पुलिस बुलाई। पुलिस दोनों साथ ले गई, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद करीब 10 दिन पहले साकेत नगर चौकी से काल आई कि बिल्डर मनोज मिश्रा के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ है। ये सुनकर पीड़ित ने फिर पुलिस आयुक्त से गुहार लगाई। पीड़ित के मुताबिक, मंगलवार को एसीपी बाबूपुरवा ने उनके बयान दर्ज किए हैं।
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