शिक्षक दिवस
सुंदर अक्षरों, गरिमापूर्ण विशेषणों और प्रतिष्ठित शब्दों से शिक्षक दिवस की शब्दावली पुष्ट हो सके तो गुरु-शिष्य संबंधों के हलके का मरणासन्न व्याकरण फिर से जी सकता है। हिमाचल प्रदेश भी आज शिक्षक दिवस मना रहा है और अच्छे शिक्षकों के साथ-साथ अच्छे शिष्यों को भी स्मरण कर रहा है। हर वर्ष की तरह इस बार भी कुछ चयनित शिक्षक सम्मानित किए जा रहे हैं। लेकिन इस दिवस पर बहुत महत्वपूर्ण सवाल यह हो जाता है कि क्या इस संबंध में पहले जैसा मानवीय ताप शेष है या फिर यह संवादहीनता और कई बार औपचारिकता की भेंट तो नहीं चढ़ रहा है। यह कैसा मंजर है कि शिक्षक अब शैक्षणिक परिसर में भी असुरक्षित है? जब सुंदरनगर की कोई अध्यापिका युवकों को लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने से रोके और उसे बदले में मारपीट झेलनी पड़े तो क्या शिक्षक उससे की जाने वाली उम्मीद पूरी कर सकता है? इस वातावरण में, जब नकल करवाने वाला अध्यापक लोकप्रिय समझा जाए और मेहनत करवाने वाले को सख्त बता कर उस पर पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर कई अन्य रसूखदार भय दिखाएं, तो क्या शिक्षक दिवस मनाने के भाव की समीक्षा जरूरी नहीं हो जाती? ये सवाल जितने समाज या अभिभावकों से हैं उतने ही अध्यापकों से भी हैं। जो मेहनती हैं, उन्हें छोड़ दें लेकिन एक वर्ग ऐसा भी होगा जिसे यह मंथन करना चाहिए कि क्या वह वास्तव में शिक्षक ही बनना चाहता था। नौकरी और मिशन में अंतर होता है जिसे समझा जाना बहुत जरूरी है। इस संबंध की चादर कुछ तो छीजी ही है कि कई अध्यापक भी छात्राओं की ओर बुरी नजर से देखने के आरोपी बने हैं। दिक्कत यह है कि कुछ वर्ष पहले तक अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच और किसी का नकारात्मक हस्तक्षेप नहीं होता था। अभिभावकों का एक स्थायी विश्वास अध्यापकों के प्रति होता था जो अब नदारद है। अब विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच अभिभावकों का नकारात्मक हस्तक्षेप है, स्थानीय पंचायतें हैं, समितियां हैं, स्थानीय राजनीति है और बदलते हुए परिवेश के मूल्य हैं। इस सब में ब्लैकबोर्ड और चॉक के बीच एक घोर सन्नाटा है जिसमें किताब की बात तो हैं, लेकिन अनुशासन नहीं है। यह इसलिए क्योंकि अध्यापक को डांटने तक का हक नहीं है। सच यह है कि शिक्षक को जब तक गुरु का दर्जा नहीं मिलेगा, मूल्यों, संस्कारों की बात केवल नैतिक शिक्षा की पुस्तक में पाई जाएगी, जबकि उसे किताबों से बाहर आकर जिंदगी में शामिल होना चाहिए।
[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]
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