जागरण संपादकीय: बांग्लादेश से रिश्ते, छोड़नी होगी भारत विरोधी नीति
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरुद्ध जिन छात्रों के विद्रोह के चलते यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने उन छात्रों ने पिछले दिनों नेशनल सिटिजंस पार्टी नाम से अपना अलग दल गठित कर लिया और यह आरोप भी लगाया कि सेना शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की साजिश रच रही है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद वहां की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद यूनुस की ओर से बैंकॉक में आयोजित होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात का आग्रह यह आभास कराता है कि वह संबंध सुधार के इच्छुक हैं, लेकिन इसके प्रति सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता।
इसलिए नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि बांग्लादेश में भारत विरोधी वातावरण तैयार किया जा रहा है। वहां हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं पर भारत की तमाम चिंताओं के बावजूद गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। एक अन्य चिंताजनक तथ्य यह है कि कट्टरपंथी एवं जिहादी ताकतों को सहयोग, समर्थन और संरक्षण दिया जा रहा है।
अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में यूनुस ने कई कट्टरपंथी संगठनों से प्रतिबंध हटाया है और आतंकी गतिविधियों के लिए आरोपित नेताओं को जेल से रिहा भी किया है। भारत इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकता कि बांग्लादेश में पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है।
स्पष्ट है कि यदि भारतीय प्रधानमंत्री बैंकाक में यूनुस से वार्तालाप करते हैं तो उन्हें उनके इरादों को लेकर सतर्क रहना चाहिए। यूनुस नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अवश्य हैं, लेकिन अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर उनका कार्य व्यवहार चिंतित करने वाला है। वह यथाशीघ्र चुनाव कराने में रुचि दिखाने के बजाय ऐसे एजेंडे अपने हाथ में ले रहे हैं, जिससे लंबे समय तक सत्ता में बना रहा जाए।
अब तो बांग्लादेश की सेना भी उनके रवैये को लेकर सशंकित दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरुद्ध जिन छात्रों के विद्रोह के चलते यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने, उन छात्रों ने पिछले दिनों नेशनल सिटिजंस पार्टी नाम से अपना अलग दल गठित कर लिया और यह आरोप भी लगाया कि सेना शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की साजिश रच रही है।
यह चकित करने वाला घटनाक्रम है। इसलिए और भी, क्योंकि बांग्लादेश की सेना ने इस पार्टी के आरोपों को हास्यास्पद और निराधार करार दिया। भारत को बांग्लादेश के घटनाक्रम पर इसलिए निगाह रखनी होगी, क्योंकि माना जा रहा है कि छात्रों की इस नई पार्टी के गठन के पीछे यूनुस का ही हाथ है।
फिलहाल यह कहना कठिन है कि बैंकॉक में यूनुस और पीएम मोदी की भेंट होती है या नहीं, लेकिन भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक तो बांग्लादेश के हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा हो और दूसरे, वहां सक्रिय भारत विरोधी तत्वों पर लगाम लगे।
इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ कई बार आवाज उठाई है, क्योंकि तथ्य यह है कि वहां की अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों के दमन को रोकने के लिए वांछित कदम उठाने से इनकार कर रही है।
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