राहुल गांधी की भाषा, बेतुके आरोप और भद्दी भाषा का उपयोग कर कांग्रेस का ही कर रहे नुकसान
राहुल गांधी जैसे नेता को यह शोभा नहीं देता कि वह प्रधानमंत्री को पनौती करार दें और वनडे विश्व कप फाइनल में भारत की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराएं लेकिन वह आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को जेबकतरा भी करार दिया। इसके अलावा उन्होंने यह भी समझाने की कोशिश की कि आप जो कुछ खरीदते हैं उसका पैसा सीधे अदाणी की जेब में जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध राहुल गांधी की अभद्र टिप्पणियों को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें जो नोटिस दिया, उससे उनकी सेहत पर शायद ही कोई असर पड़े। इसके आसार इसलिए नहीं, क्योंकि आयोग ऐसे नेताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करने में समर्थ नहीं, जो चुनावों के दौरान अपने विरोधियों के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
अधिक से अधिक यही हो सकता है कि चुनाव आयोग राहुल गांधी को चेतावनी देने के साथ भविष्य में उन्हें संयमित रहने की हिदायत दे। इसके पहले चुनाव आयोग नेताओं के आपत्तिजनक बयानों पर उन्हें कुछ दिनों के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक चुका है। चूंकि चुनाव आयोग इससे अधिक कुछ करने में समर्थ नहीं है, इसलिए नेतागण उसकी परवाह भी नहीं करते। वे तब भी नहीं चेतते, जब उन्हें अपने आपत्तिजनक बयानों के चलते राजनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है।
राहुल गांधी इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकते कि इसके पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ जब भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, उन्हें उसका राजनीतिक रूप से नुकसान ही उठाना पड़ा। पिछले आम चुनावों के पहले उन्होंने प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया था। इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
पता नहीं राहुल गांधी को यह क्यों लगता है कि वह प्रधानमंत्री के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल करके उनकी छवि को खराब करने में सक्षम हो जाएंगे? ऐसा लगता है कि उनके सहयोगी और रणनीतिकार उन्हें यही समझाते हैं कि वह प्रधानमंत्री के प्रति आपत्तिजनक बयान देकर देश की जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होने के साथ लोकप्रिय हो जाएंगे। वह और उनके रणनीतिकार कुछ भी सोचते हों, देश की जनता उस तरह की भाषा पसंद नहीं करती, जैसी राहुल गांधी प्रधानमंत्री के प्रति इस्तेमाल करते रहते हैं।
राहुल गांधी जैसे नेता को यह शोभा नहीं देता कि वह प्रधानमंत्री को पनौती करार दें और वनडे विश्व कप फाइनल में भारतीय टीम की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराएं, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को जेबकतरा भी करार दिया। इसके अलावा उन्होंने लोगों को यह भी समझाने की कोशिश की कि आप जो कुछ भी खरीदते हैं, उसका पैसा सीधे अदाणी की जेब में चला जाता है।
उनकी ऐसी बेतुकी बातों से उनके समर्थक भले ही खुश हो जाते हों, लेकिन इससे आम जनता को यही संदेश जाता है कि वह राजनीतिक रूप से अभी भी परिपक्व नहीं हो सके हैं। राहुल गांधी बेतुके आरोप लगाने के साथ जिस तरह भद्दी भाषा का उपयोग करते हैं, उससे वह अपना और साथ ही कांग्रेस का नुकसान ही कर रहे हैं। विडंबना यह है कि कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के अभद्र बयानों का बचाव और समर्थन करते हैं। इससे यदि कुछ साबित होता है तो यही कि कांग्रेस राजनीतिक और साथ ही वैचारिक रूप से भी खोखली होती जा रही है।














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