राज्य प्रशासनिक परिषद ने प्रधानमंत्री विकास पैकेज के अंतर्गत बाढ़ प्रभावितों को दी जाने वाली सहायता राशि को मंजूरी देकर किसानों को राहत पहुंचाई है। राज्य में वर्ष 2014 में प्रलयकारी बाढ़ के कारण श्रीनगर व जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों में जानमाल का काफी नुकसान हुआ था। सबसे अधिक नुकसान सीमांत किसानों को हुआ था, जब खरीफ की फसल बाढ़ में बह गई थी। बाढ़ में करीब दो सौ लोगों की जानें गई थीं। विडंबना यह है कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत बाढ़ प्रभावितों के लिए अस्सी हजार करोड़ की सहायता राशि भेजी गई थी, लेकिन यह राशि बाढ़ प्रभावितों को नहीं मिल पाई। यह अच्छी बात है कि किसानों को देर से ही सही प्रशासन ने सहायता राशि को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री विकास योजना के तहत जो सहायता दी जाएगी, उसमें पूरी तरह से तबाह हो चुके पक्के मकान के लिए ढाई लाख रुपये, पूरी तरह तबाह हो चुके कच्चे मकान के लिए एक लाख रुपये, बुरी तरह प्रभावित हुए पक्के मकान के लिए सवा लाख रुपये, कच्चे मकान के लिए पचास हजार रुपये, आंशिक रूप से प्रभावित हुए पक्के मकान के लिए बीस हजार रुपये, कच्चे मकान के लिए दस हजार रुपये निर्धारित किए गए हैं, लेकिन राज्य प्रशासनिक परिषद ने प्रभावित घरों के मालिकों के लिए अतिरिक्त सहायता को मंजूरी दी।

इसमें स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फंड, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष और प्रधानमंत्री विकास पैकेज तीनों के तहत राशि शामिल है। यह अच्छी बात है कि राज्य प्रशासनिक परिषद ने डिप्टी कमिश्नरों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से प्रभावित लोगों की लिस्ट मांगी है। प्रशासन को चाहिए कि वे प्रभावितों की सूचियां समय पर तैयार कर लें। अब जबकि खरीफ का सीजन आने वाला है, ऐसे में किसानों को खाद, पानी, बिजली और बीज के लिए रुपयों की जरूरत होती है। पहले ही किसानों की रबी की फसल सूखे के कारण आधी से ज्यादा खराब हो चुकी है। अगर किसानों को बढ़ी हुई सहायता राशि मिलेगी तो निस्संदेह उनका मनोबल बढ़ेगा। राज्य में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। खेतीबाड़ी अब फायदे का सौदा नहीं रही है। ऐसे में यह सहायता उनके दर्द पर मलहम का काम करेगी।

[स्थानीय सम्पादकीय: जम्मू-कश्मीर]