बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआइआर पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस सुझाव को आदेश में बदल दिया कि चुनाव आयोग आधार को मान्यता दे। इस फैसले से बिहार के उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनके पास चुनाव आयोग की ओर से मांगे गए 11 दस्तावेजों में से कोई दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन आधार है। चुनाव आयोग इस कारण आधार को मान्य नहीं कर रहा था कि उसे गलत तरीके से बनवाया गया हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह अवश्य स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को नकली आधार जांचने का अधिकार होगा, लेकिन इसके बावजूद इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि एक बड़ी संख्या में आधार गलत तरीके से बनवा लिए जाते हैं।

इसका अर्थ है कि जिन लोगों ने गलत तरीके से आधार हासिल कर लिया है, उन्हें मतदाता बनने से नहीं रोका जा सकता। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं और तब तो बिल्कुल भी नहीं, जब चुनाव आयोग बिहार के बाद पूरे देश में मतदाता सूचियों के सत्यापन की तैयारी कर रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने देश में सभी भारतीय नागरिकों को उनकी नागरिकता साबित करने वाले प्रमाण पत्र नहीं दिए जा सके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केवल जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट को ही नागरिकता का प्रमाण माना है। यह सही भी है, लेकिन अपने देश में अनेक लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं और पासपोर्ट तो बहुत कम लोग बनवाते हैं। यह भी ध्यान रहे कि आधार एवं अन्य प्रमाण पत्रों की तरह जन्म प्रमाण पत्र भी नकली बनवाए जा सकते हैं। अच्छा यह होगा कि भारत सरकार के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट भी इस पर विचार करे कि ऐसा कोई प्रमाण पत्र देश के लोगों को कैसे दिया जाए, जो उन्हें भारत का नागरिक साबित करे।

ऐसा किया जाना अनिवार्य है, क्योंकि घुसपैठ एक गंभीर समस्या है। जब चुनाव आयोग को यह संदेह है कि बिहार में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के लोग मतदाता बन बैठे हैं तो फिर सीमावर्ती राज्यों में तो इससे इन्कार ही नहीं किया जा सकता। पूर्वोत्तर के राज्यों और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से अवैध तरीके से आए तमाम लोग नकली प्रमाण पत्रों के सहारे मतदाता बन बैठे हैं।

इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि कहीं-कहीं वे चुनाव नतीजे प्रभावित करने में सक्षम हैं। ऐसे लोगों को कुछ दल अपने संकीर्ण स्वार्थों के लिए संरक्षण भी देते हैं। देश के किसी भी चुनाव में केवल वही मतदान करने के अधिकारी हो सकते हैं, जो भारत के नागरिक हों। जो भारत के नागरिक नहीं और किसी तरह मतदाता बन बैठे हैं, वे भारतीय लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ ही कर रहे हैं। उचित यह होगा कि भारत सरकार राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर तैयार करने की दिशा में आगे बढ़े।