जागरण संपादकीय: नेता विपक्ष को फिर फटकार, राहुल को सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी
यह ठीक नहीं कि सुप्रीम कोर्ट नेता विपक्ष को उनके बेजा और यहां तक कि देश के हितों पर चोट करने वाले बयानों के लिए बार-बार फटकार लगाने की जरूरत समझे। इसके पहले जब राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में कथित दलाली को तूल देकर गलतबयानी की थी तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांगनी पड़ी थी।
यह तीसरी बार है जब राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार सुननी पड़ी। इस बार उन्हें यह कहने के लिए फटकारा गया कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे यह सही सवाल पूछा कि आखिर उन्हें यह कैसे पता चला कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल पूछते हुए यह भी कहा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो इस तरह की बात नहीं कहेंगे। राहुल गांधी ने भारतीय भूमि पर चीन के कब्जे की बात अपनी भारत जोड़ो यात्रा के समय की थी। वे ऐसा दावा हाल तक करते रहे हैं। वे मोदी सरकार को चीन से भयभीत बताने के लिए सेना के शौर्य के खिलाफ भी टिप्पणियां कर चुके हैं।
इसके पहले उन्हें वीर सावरकर के खिलाफ तीखे बोल बोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार सुननी पड़ी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने उनसे यह कहा था कि जिस आधार पर वे स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को अंग्रेजों से माफी मांगने वाला कहते हैं, उसी आधार पर तो कोई महात्मा गांधी को भी कह सकता है कि वे अंग्रेजों के नौकर थे।
यह ठीक नहीं कि सुप्रीम कोर्ट नेता विपक्ष को उनके बेजा और यहां तक कि देश के हितों पर चोट करने वाले बयानों के लिए बार-बार फटकार लगाने की जरूरत समझे। इसके पहले जब राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में कथित दलाली को तूल देकर गलतबयानी की थी, तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांगनी पड़ी थी।
माना जाता था कि इसके बाद वह संभलकर बोलना आवश्यक समझेंगे, लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके आसार कम ही हैं कि चीन को रास आने वाले अपने बयान पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राहुल गांधी भविष्य में अपनी बात कहते समय कम से कम राष्ट्रीय हितों की चिंता करना पसंद करेंगे।
इसके आसार इसलिए कम हैं, क्योंकि वे पहले भी पाकिस्तान और चीन को अच्छे लगने वाले बयान दे चुके हैं। यह भी ध्यान रहे कि डोकलाम विवाद के समय वे चीनी राजदूत से मिलने चले गए थे। यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि कांग्रेस ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से समझौता क्यों किया था?
यह भी किसी से छिपा नहीं कि वे ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीय लोकतंत्र का अनादर करने वाले बयान दे चुके हैं। इसी तरह चंद दिन पहले ही उन्होंने लोकसभा में चुनाव आयोग पर उलटे-सीधे आरोप लगाते हुए उसे धमकी भी दे दी थी।
आखिर इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि नेता विपक्ष एक संवैधानिक संस्था को संसद में खड़े होकर धमकाए? राहुल गांधी के रवैये और विशेष रूप से उनकी भाषा में किसी बदलाव की उम्मीद इसलिए कम है, क्योंकि उनके समर्थक सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साध रहे हैं।
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