जागरण संपादकीय: आस्था पर आघात की आदत, रास नहीं आया खरगे का बयान
Mallikarjun Kharge कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को अमित शाह के गंगा में डुबकी लगाने पर निशाना साधा। अमित शाह ने सोमवार को प्रयागराज में त्रिवेणी में डुबकी लगाई। इस पर खरगे ने कहा कि डुबकी लगाने से गरीबी नहीं मिटती। इस पर बीजेपी ने पलटवार भी किया। सवाल यह उठता है कि आस्था पर चोट पहुंचाने वाले खरगे के ऐसे बयान की जरूरत थी?
कांग्रेस नेता भाजपा पर निशाना साधने के फेर में किस तरह हिंदू आस्था की अनदेखी करने और उस पर आघात करने के आदी हो गए हैं, इसका नया प्रमाण है पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का यह कथन कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी नहीं मिटने वाली।
हिंदू समाज की आस्था को चोट पहुंचाने वाले ऐसे किसी बयान की कोई आवश्यकता नहीं थी। उनका यह बयान यही प्रकट करता है कि वह हिंदुओं की आस्था का ध्यान रखना तो दूर रहा, उस पर सामान्य संवेदनशीलता दर्शाने की भी जरूरत नहीं समझते। यदि उन्हें भाजपा पर हमला ही बोलना था तो इसके लिए कोई भी विषय चुन सकते थे। उनकी कमी भी नहीं।
खरगे को यह रास नहीं आया कि भाजपा के अनेक नेता महाकुंभ में डुबकी लगा रहे हैं। वह कांग्रेस के पुराने नेता हैं और उन्हें यह पता होना चाहिए था कि महात्मा गांधी ने भी कुंभ स्नान किया था। इसी तरह प्रधानमंत्री रहते समय जवाहरलाल नेहरू भी कुंभ गए थे। तब उनके साथ पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता भी थे। इंदिरा गांधी भी लालबहादुर शास्त्री की अस्थियों को उस समय संगम में प्रवाहित करने गई थीं, जब वहां कुंभ चल रहा था। सोनिया गांधी भी कुंभ जा चुकी हैं।
भाजपा पर निशाना साधने और इस चक्कर में गंगा स्नान का मजाक उड़ाने के फेर में मल्लिकार्जुन खरगे यह भी भूल गए कि 2021 में प्रियंका गांधी ने भी संगम में डुबकी लगाई थी। कोई कुंभ में डुबकी लगाए या किसी मंदिर जाए, यह उसकी अपनी आस्था का मामला है। यदि खरगे को यह सब ठीक नहीं लगता तो उनकी मर्जी, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह करोड़ों हिंदुओं का उपहास उड़ाएं।
यदि उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक परंपराओं पर यकीन नहीं तो क्या वह ऐसी ही बात अन्य मतावलंबियों के संदर्भ में भी कह सकते हैं? वह ऐसा करने का सोच भी नहीं सकते या फिर यह कहें कि उनमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं। यदि वह स्वयं को नास्तिक बताना चाहते हैं तो इसके लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन आखिर उनकी नास्तिकता के निशाने पर केवल हिंदुओं की आस्था क्यों है?
यदि कांग्रेस खरगे के बयान का समर्थन या बचाव करती है, तो इसका यही मतलब होगा कि वह बुरी तरह भटक चुकी है और जिस राह पर चल निकली है, उससे उसकी वापसी आसान नहीं। क्या यह वही कांग्रेस है, जिसके नेता राहुल गांधी एक समय मंदिर-मंदिर जा रहे थे और शिवभक्त बनकर कैलास मानसरोवर की यात्रा भी कर आए थे?
यदि कांग्रेस अध्यक्ष सचमुच यह जानना चाहते हैं कि करोड़ों करोड़ लोग कुंभ में डुबकी क्यों लगाते हैं तो अच्छा यह होगा कि वह सहयोगी दल सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलें, जो हाल में गंगा स्नान करके आए हैं।
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