टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया के विमान में महिला यात्री पर पेशाब करने के मामले में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने भी खेद जता दिया, लेकिन यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है कि आखिर इतनी शर्मनाक घटना को विमान के चालक दल ने इतने हल्के में क्यों लिया? इस प्रश्न का उत्तर एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास भी नहीं, जिन्होंने कुछ दिन पहले इस घटना के लिए माफी मांगी थी। विमान के चालक दल ने सहयात्री महिला के साथ अभद्रता करने वाले यात्री से लिखित माफीनामा लेकर जिस तरह मामले को रफा-दफा कर दिया, वह हैरान करने वाला है। यह समझना भी कठिन है कि घटना के बाद पीड़ित महिला को वैकल्पिक सीट देने की जहमत क्यों नहीं उठाई गई? चूंकि ऐसा करने से इन्कार किया गया इसलिए बुजुर्ग महिला को उसी गंदी सीट पर बैठे रहने के लिए विवश होना पड़ा।

इतना ही नहीं दिल्ली पहुंचने पर उन्हें ग्राउंड स्टाफ से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला। एक तरह से चालक दल बेहद अप्रिय प्रसंग को न तो हवा में सही ढंग से संभाल सका और न ही जमीन पर। इस कारण बुजुर्ग महिला यात्री के साथ जो कुछ हुआ, वह मानसिक उत्पीड़न ही है। यह तो अच्छा हुआ कि इस मामले को लेकर हंगामा खड़ा हुआ। इस हंगामे के बाद एयर एंडिया ने पुलिस में शिकायत की और अभद्रता के आरोपित को एक महीने के लिए प्रतिबंधित किया। अब आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं। उन कारणों की तह तक जाना चाहिए, जिनके चलते एयर इंडिया के चालक दल ने आरोपित को सबक सिखाने वाली कोई कार्रवाई नहीं की।

नवंबर माह में न्यूयार्क से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की उड़ान में जो कुछ हुआ, उसे लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय का हस्तक्षेप करना आवश्यक था। उसके हस्तक्षेप के बाद ही घटना का गवाह बने विमान के चालक दल को एक माह के लिए ड्यूटी से हटाया गया। एयर इंडिया ने इस घटना को लेकर जिस तरह यह कहा कि अनियंत्रित यात्रियों से निपटने की नीतियों के बारे में चालक दल को जागरूक करने के लिए एक व्यापक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया है, उससे यही साबित होता है कि अभी जो भी नीतियां हैं, वे कागजी ही अधिक हैं और उन्हें लेकर स्पष्टता नहीं।

यदि ऐसा नहीं होता तो उक्त मामले से इतने भद्दे तरीके से नहीं निपटा गया होता। चूंकि जैसी घटना एयर इंडिया के विमान में घटी, वैसी घटनाएं घटती ही रहती हैं, इसलिए उनसे सख्ती से निपटने के बारे में स्पष्ट नियम बनाने और उनका पालन करना अनिवार्य है। यह इसलिए होना चाहिए, क्योंकि एयर इंडिया का स्टाफ इसलिए शांत होकर बैठ गया था, क्योंकि पीड़ित महिला मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाह रही थी।