यह अच्छा हुआ कि काले धन को वैध करने और आतंकी तंत्र को वित्तीय मदद देने के तौर-तरीकों पर निगाह रखने एवं उन पर रोक लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेताया कि उसके, उसकी ग्रे लिस्ट से बाहर होने का यह अर्थ नहीं कि उसे वह सब करने की छूट मिल गई है, जिसके चलते उसे इस लिस्ट में शामिल किया गया था।

आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद मिलने के आरोप में ग्रे लिस्ट में शामिल पाकिस्तान 2022 में इस लिस्ट से बाहर हो सका था। इसके कुछ समय बाद ही उसने अपनी पुरानी हरकतें फिर शुरू कर दीं। वह न केवल पहले की तरह आतंकी संगठनों को पालने-पोसने लगा, बल्कि उनके वित्तीय स्रोतों को बहाल करने के लिए भी सक्रिय हो गया। पिछले कुछ समय में ऐसी कई खबरें आई हैं, जो यह बताती हैं कि पाकिस्तान में किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों ने फिर सिर उठा लिया है।

कोई खुलेआम जलसे कर अपने लिए चंदा जुटा रहा है तो कोई आतंकियों की भर्ती कर रहा है। आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं को आतंक की ऑनलाइन ट्रेनिंग देने का धंधा शुरू किया है। इसके जरिये करोड़ों रुपये जुटाने की तैयारी है। एक अन्य आतंकी गिरोह लश्कर-ए-तैयबा भी आतंकियों को नए सिरे से ट्रेनिंग देने में जुट गया है। ये दोनों वे आतंकी गिरोह हैं, जो भारत के लिए खास तौर से खतरा हैं।

पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की ओर से क्रिप्टोकरेंसी के जरिये भी धन जुटाने की खबरें हैं और इस तथ्य से तो एफएटीएफ भी परिचित होगा कि पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी गिरोह टीआरएफ का पाकिस्तान ने किस तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बचाव किया था। टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा समूह है। भारत को इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि उसका तंत्र उन देशों की भी निगरानी कर रहा है, जो उसकी ग्रे लिस्ट से बाहर हो चुके हैं।

एफएटीएफ के एशिया पैसिफिक ग्रुप को यह देखना है कि पाकिस्तान आतंक के वित्त पोषण को रोकने का काम करता रहे। चूंकि इस ग्रुप में पाकिस्तान का हितैषी चीन भी है, इसलिए भारत को अपनी कूटनीतिक सतर्कता और सक्रियता बढ़ानी होगी। उसे इस ग्रुप के सदस्यों के साथ वित्तीय मदद देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी पाकिस्तान के आतंक को पोषण देने के तरीकों से परिचित कराना होगा।

पाकिस्तान आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक जैसी संस्थाओं से वित्तीय सहायता पाने में इसीलिए सक्षम हुआ, क्योंकि वह एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया। भारत को अब अमेरिका के रवैये से भी सावधान रहना होगा, क्योंकि फिलहाल राष्ट्रपति ट्रंप आतंक के आका पाकिस्तान के शुभचिंतक बने हुए हैं।