जागरण संपादकीय : बचकानी राजनीति, ट्रंप के दावों पर यकीन करती कांग्रेस
भारतीय प्रधानमंत्री उनसे फोन पर दो टूक यह कह चुके हैं कि कथित संघर्ष विराम में अमेरिका की वैसी कोई भूमिका बिल्कुल भी नहीं थी जिसका दावा किया जा रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से यह भी कहा था कि कश्मीर पर भारत की जो नीति है वह यथावत है और उसमें कोई बदलाव होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता लेकिन कांग्रेस यह समझने को तैयार नहीं।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति संभवत: यह अच्छे से समझ गया होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप विचित्र दावे करते रहते हैं। वे कई बार निराधार टिप्पणियां करते हैं और फिर उनसे पीछे भी हट जाते हैं, लेकिन शायद भारत के विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस को ट्रंप पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है।
ट्रंप ने यह दावा किया कि पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारत की सेना के आपरेशन सिंदूर के चलते भारत-पाकिस्तान में हुए टकराव के दौरान पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान किस देश के थे, लेकिन कांग्रेस के नेता तत्काल इस नतीजे पर पहुंच गए कि ये लड़ाकू विमान भारत के रहे होंगे। उन्होंने ट्रंप के इस बेकार के दावे की सच्चाई जानने की जरूरत जता दी। यह जरूरत कांग्रेस के किसी प्रवक्ता ने नहीं, बल्कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जताई।
ऐसा लगता है कि उन्हें न तो भारत की सरकार पर भरोसा है और न ही भारतीय सेना पर। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस आपरेशन सिंदूर के मामले में उन अधकचरे एवं भारत विरोधी दावों को तूल दे रही है जो पाकिस्तान और चीन के नेताओं ने किए और यदाकदा अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी।
सब जानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दावा खोखला है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करवाया और दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका को टाला। उनके इस दावे पर कोई यकीन नहीं कर रहा है। खुद भारतीय प्रधानमंत्री उनसे फोन पर दो टूक यह कह चुके हैं कि कथित संघर्ष विराम में अमेरिका की वैसी कोई भूमिका बिल्कुल भी नहीं थी जिसका दावा किया जा रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से यह भी कहा था कि कश्मीर पर भारत की जो नीति है, वह यथावत है और उसमें कोई बदलाव होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता, लेकिन कांग्रेस यह समझने को तैयार नहीं। कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेता इससे अच्छी तरह परिचित हैं कि कश्मीर, आपरेशन सिंदूर एवं अन्य अनेक मामलों में उनके बयानों का पाकिस्तान, चीन एवं अन्य भारत विरोधी ताकतों ने इस्तेमाल किया है और अपने पक्ष में भुनाया भी है, लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं।
सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि जो कांग्रेस लंबे समय तक केंद्र की सत्ता में रही और विदेश नीति की बारीकियों से परिचित है, वह बचकाना व्यवहार कर रही है। ऐसा तो कई क्षेत्रीय दल भी नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस एवं कुछ अन्य दलों के नेता इस इंतजार में बैठे दिखते हैं कि पाकिस्तान, चीन, अमेरिका अथवा किसी अन्य देश से कब भारतीय हितों के प्रतिकूल बयान आए और वे सरकार को घेरें। यह वह रवैया है जो इन नेताओं की विश्वसनीयता पर चोट भी कर रहा है।
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