जागरण संपादकीय: घर के भेदी से सावधानी जरूरी, खुफिया एजेंसी खोल रही कई राज
सुरक्षा बलों के जवानों को हनीट्रैप में फंसने से बचने का प्रशिक्षण तो खास तौर पर दिया जाना चाहिए। उन्हें इससे भी अवगत कराना चाहिए कि ब्लैकमेल होने से कैसे बचें। इसके साथ ही पाकिस्तानी उच्चायोग के हर कर्मचारी-अधिकारी की कड़ी निगरानी होनी चाहिए। वे हरसंभव तरीके और यहां तक कि वीजा देने का लालच देकर भी लोगों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों की गिरफ्तारी का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। कश्मीर में आतंकियों के मददगारों की गिरफ्तारी के बाद से देश भर में ऐसे लोगों को पकड़ा जा रहा है, जो पैसे के लालच में या अन्य किसी स्वार्थवश अथवा मजहबी कट्टरता का शिकार होकर पाकिस्तान को गोपनीय जानकारी दे रहे थे।
गत दिवस सीआरपीएफ के एक सहायक उप-निरीक्षक को पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से गिरफ्तार किया गया। पिछले कुछ समय में विभिन्न राज्यों से करीब दो दर्जन ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करते हुए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे थे।
चूंकि पाकिस्तान जा चुकी हरियाणा की एक यूट्यूबर के वीडियो सहज उपलब्ध हैं, इसलिए उस पर मीडिया के बड़े हिस्से का ध्यान कुछ ज्यादा ही केंद्रित है, लेकिन अन्य सभी पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनमें कुछ तो ऐसे हैं, जिनके बारे में यह कहीं अधिक स्पष्ट है कि उन्होंने संवेदनशील ठिकानों की जानकारी पाकिस्तान को दी।
यह समझ आता है कि कोई नादानी में आइएसआइ के चंगुल में फंस जाए और फिर उससे निकल न पाए, लेकिन अब तो यह साफ दिख रहा कि कई गिरफ्तार लोग पाकिस्तान उच्चायोग के अफसरों और आइएसआइ एजेंटों को सब कुछ जानते हुए भी देशघाती जानकारी दे रहे थे। इसे गद्दारी के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता।
आखिर कौन ऐसा भारतीय होगा, जो इससे परिचित न हो कि पाकिस्तान हमारा सबसे बड़ा शत्रु है और उसने कश्मीर के साथ-साथ शेष देश में भी अनगिनत आतंकी हमले कराए हैं? जब कोई जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार होता है, तब तो खूब शोर होता है, लेकिन उसे कब कितनी सजा हुई, यह कम ही पता चलता है।
ऐसे देशद्रोही तत्वों को यथाशीघ्र कठोर सजा मिले, इसकी ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके साथ ही लोगों को लगातार सचेत भी किया जाना चाहिए कि देश के भीतर-बाहर सक्रिय पाकिस्तानी एजेंट किस तरह अपने जाल में फंसाते हैं। लोगों को शत्रुबोध की सीख देने के साथ ही यह भी बताया जाना चाहिए कि दोस्ती, लालच या फिर मजहब का हवाला देकर कोई संवेदशनशील जानकारी मांगी जाए तो तुरंत सचेत हो जाएं और पुलिस को सूचना दें।
सुरक्षा बलों के जवानों को हनीट्रैप में फंसने से बचने का प्रशिक्षण तो खास तौर पर दिया जाना चाहिए। उन्हें इससे भी अवगत कराना चाहिए कि ब्लैकमेल होने से कैसे बचें। इसके साथ ही पाकिस्तानी उच्चायोग के हर कर्मचारी-अधिकारी की कड़ी निगरानी होनी चाहिए। वे हरसंभव तरीके और यहां तक कि वीजा देने का लालच देकर भी लोगों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं।
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