सर्वोच्च नागरिक सम्मान: मोदी सरकार के फैसले ने फिर एक बार देश को चौंकाया
पहले कर्पूरी ठाकुर फिर चौधरी चरण सिंह और नरसिंह राव को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा पर यह जो कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने इन नेताओं को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर अपने राजनीतिक हित भी साधे हैं उसे पूरी तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता लेकिन यह भी एक यथार्थ है कि सरकारें अपने तमाम फैसले राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखकर भी करती हैं।
मोदी सरकार ने अपने फैसले से एक बार फिर देश को चौंकाया। उसने एक साथ तीन हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा की। इस बार यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दो पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिंह राव के अतिरिक्त जाने-माने कृषि विज्ञानी एवं हरित क्रांति के सूत्रधार एमएस स्वामीनाथन को भी प्रदान करने की घोषणा की गई।
यह इसलिए अनपेक्षित रहा, क्योंकि चंद दिनों पहले ही कर्पूरी ठाकुर और फिर लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से विभूषित करने का फैसला लिया गया था। यह पहली बार है, जब एक वर्ष में पांच हस्तियों को देश का सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा की गई। इस पर आश्चर्य नहीं कि 15 दिनों के अंदर पांच विभूतियों को भारत रत्न देने के फैसले के बाद इस तरह की मांग होने लगी है कि अमुक-अमुक को भी यह सम्मान प्रदान किया जाना चाहिए।
यह मांग स्वाभाविक है, क्योंकि अपने देश में ऐसी हस्तियों की कमी नहीं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपने कार्यों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने के साथ सार्वजनिक जीवन में अमिट छाप और एक यादगार विरासत छोड़ी है। चूंकि मोदी सरकार ने यह प्रदर्शित किया है कि वह सम्मान प्रदान करने के मामले में अपनी राजनीतिक विचारधारा को आड़े नहीं आने देती और भिन्न विचार वाले दूसरों दलों के नेताओं को भी सम्मान देती है, इसलिए यह आस बढ़ी है कि आने वाले समय में उन हस्तियों को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा, जो इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान की अधिकारी मानी जाती हैं।
यह उल्लेखनीय है कि सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाले कर्पूरी ठाकुर एवं किसानों-मजदूरों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले चौधरी चरण सिंह के साथ साहसिक आर्थिक सुधारों से देश की तकदीर और तस्वीर बदलने वाले नरसिंह राव को भारत रत्न देने की मांग एक लंबे समय से हो रही थी, लेकिन किन्हीं कारणों से कांग्रेस ने संप्रग सरकार का नेतृत्व करते समय उन्हें यह सम्मान देने की आवश्यकता नहीं समझी। अंततः इस आवश्यकता की पूर्ति मोदी सरकार ने की।
मनमोहन सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकी? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो कांग्रेस को परेशान करता रहेगा। अपनी इस परेशानी के लिए वह अपने अलावा अन्य किसी को दोष नहीं दे सकती, क्योंकि नरसिंह राव हर लिहाज से भारत रत्न के अधिकारी थे। पहले कर्पूरी ठाकुर, फिर चौधरी चरण सिंह और नरसिंह राव को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा पर यह जो कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने इन नेताओं को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर अपने राजनीतिक हित भी साधे हैं, उसे पूरी तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह भी एक यथार्थ है कि सरकारें अपने तमाम फैसले राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखकर भी करती हैं। प्रश्न यह है कि जो काम मोदी सरकार ने किया, वह अन्य सरकारें क्यों नहीं कर सकीं? ऐसा करने का अवसर तो उनके पास भी था।
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