विचार: CM योगी आदित्यनाथ का जनता दरबार, समस्याओं के समाधान का सीधा संवाद
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नियमित रूप से जनता दरबार लगाते हैं जहां लोग अपनी समस्याएं सीधे उनसे कह सकते हैं। वे लखनऊ और गोरखपुर में लोगों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते हैं। लोगों का मानना है कि योगी जी उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं और उनका समाधान करते हैं।
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एक महिला – किससे कहें अपना दुःख, कहां जाएं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है I
दूसरी महिला – अरे ! चिंता काहे को कर रही हो, सब ठीक हो जाएगा, चलते हैं न योगी जी / मुख्यमंत्री जी से मिलने I कब चलना है बताओ, लखनऊ चलोगी कि गोरखपुर I
ऐसी बातें आपको उत्तर प्रदेश में अक्सर गांवों /कस्बों /शहरों में सुनने को मिल जाएंगीं I आम लोग अपनी समस्याओं को सीधे मुख्यमंत्री के सामने रख सकते हैं, उनसे मिल सकते हैं , इससे बड़ी राहत की बात उनके लिए और क्या हो सकती हैI उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नियमित रूप से जनता दरबार / जनता दर्शन का आयोजन करते हैं, जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से अपनी समस्याओं को अपने नेता के सामने रखते हैं I
उत्तर प्रदेश के लगभग सारे लोग जानते हैं कि योगी जी लखनऊ (मुख्यमंत्री आवास ) और गोरखनाथ मंदिर परिसर ( गोरखपुर ) में स्वयं लोगों से उनकी समस्याएं सुनते हैं I अपने कार्यकाल के प्रारम्भ से ही योगी जी का जनता से संवाद की यह परम्परा इतनी नियमित, व्यवस्थित और पारदर्शी रही है कि लोगों का इसमें अटूट विश्वास हो गया है I मुख्यमंत्री से मिलने वालों में बच्चे, युवा , महिलाऐं, बुजुर्ग, किसान, नौकरीपेशा, मेहनत-मजदूरी करने वाले – हर जाति,धर्म और वर्ग के लोग शामिल रहते हैं I
अधिकांशत: लोगों की समस्याएं उनके जीवकोपार्जन, स्वास्थ्य, शिक्षा, जमीन, आवास, पुलिस, राजस्व, आंगनवाड़ी सेवाओं और पारिवारिक समस्याओं आदि से जुड़ी होती हैं I लोगों का मानना है कि एक बार यदि मुख्यमंत्री जी ने समस्या सुन ली और उसका समाधान न हो इसका तो सवाल ही नहीं उठता I इस संदर्भ में योगी जी कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते हैं I वहां सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहते हैं जिन्हें तत्काल समस्या के समाधान का निर्देश दिया जाता है और शिकायतकर्ता के सामने ही समस्या के समाधान की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
अभी हाल ही में लखनऊ के जनता दरबार में मुरादाबाद से आई एक बच्ची वाशी के साथ मुख्यमंत्री जी का संवाद खूब वायरल हुआ, जिसमें बच्ची योगी जी से मेरा एडमिशन करवा दो कहती है और योगी जी तत्काल इसके लिए निर्देश देते हैं I विदित रहे कि जनता दरबार/ दर्शन के अलावा मुख्यमंत्री से सम्पर्क के अन्य अनेक प्रभावी माध्यम हैं ; जैसे जनसुनवाई पोर्टल, जनसुनवाई-यू.पी. एप, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल, पत्र के साथ ही कई सोशल मिडिया प्लेटफार्म हैं, जिनपर टैग या मैसेज के माध्यम से मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई जाती है I
उत्तर प्रदेश से जुड़े विभिन्न विषयों पर सर्वे के सिलसिले में मेरा यहां के गांवों / कस्बों में अक्सर आना- जाना लगा रहता है I योगी जी के जनता दरबार के संदर्भ में लोगों की राय जानने के क्रम में मैंने पाया कि उन्हें सबसे अधिक खुशी / संतोष इस बात की है कि वे सीधे अपने मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं , उन्हें अपनी व्यथा/कथा कह सकते हैं I लोगों ने यह भी बताया कि योगी आदित्यनाथ से पहले उत्तर प्रदेश में यह परम्परा नहीं थी I लोगों के लिए अपने मुख्यमंत्री से सीधे मिलकर प्रत्यक्ष रूप में अपनी समस्याओं को कहना दूर की कौड़ी थी I सब जानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और सुश्री मायावती के समय जनता से प्रत्यक्ष संवाद की कोई परम्परा नहीं थी I
योगी आदित्यनाथ का जनता दरबार /दर्शन के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण अनायास नहीं है I उत्तर प्रदेश,गोरखपुर के गोरक्षनाथ मठ में जनता से मिलने, उनकी समस्याएं सुनने और उसके समाधान की परम्परा बहुत पुरानी रही है I योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ जी - जो गोरखपुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे - भी नियमित रूप से जनता की समस्याएं सुनते थे। वे प्रतिदिन गोरखनाथ मंदिर में बैठते और लोगों की व्यक्तिगत, सामाजिक , क़ानूनी और प्रशासनिक ,किसी भी तरह की समस्याएं सुनते तथा उनका समाधान करते I उनके इस सामाजिक कार्य ने उन्हें लोगों के बीच खूब लोकप्रिय बनाया I वैसे भी, प्रारम्भ से ही योग, तप, संन्यास और संयम के साथ ही, नाथ सम्प्रदाय का गहरा जुड़ाव, राष्ट्रीय और सामाजिक सरोकारों से भी रहा है I गोरक्षनाथ मठ का जातिपाति विहीन, छुआछूत मुक्त, समतायुक्त समाज की स्थापना का लक्ष्य इसी के अंतर्गत आता है I
भारत में जनता दर्शन / जनता दरबार अथवा जनता से प्रत्यक्ष संवाद की परम्परा अत्यंत प्राचीन रही है I यह राजा और प्रजा के बीच बिना किसी मध्यस्थता के सीधे सम्बन्ध का परिचायक रहा है I वैदिक युग में राजा जब राजसूय और अश्वमेध यज्ञ करते थे तब सारी प्रजा को आमंत्रित किया जाता था, प्रजा उस अवसर पर अपने राजा से किसी भी तरह के संवाद के लिए स्वतंत्र थी I उल्लेख मिलता है कि महाजनपद काल में (लगभग 600 ईसा पूर्व से 325 ईसा पूर्व तक ) राजा प्रात:काल दरबार में बैठते थे ,जहां प्रजा का कोई भी व्यक्ति उनसे प्रत्यक्ष संवाद कर सकता था I बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तर निकाय’ के अनुसार कुल 16 महाजनपदों में इस लोकतान्त्रिक परम्परा का निर्वहन होता था I मौर्यकाल में भी जनता से संवाद की यह परम्परा दृढ़ता से कायम रही I सम्राट अशोक के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि “राजा स्वयं जनता की बात सुनता है, चाहे वह दिन हो या रात I इतना ही नहीं अशोक ने जनता से सीधा संवाद सुनिश्चित करने के लिए "धम्ममहामात्र" नियुक्त किए थे जो गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुनते थे। मौर्यकाल में जनता की शिकायतों को सुनने की प्रक्रिया क्या थी, इसका विस्तृत वर्णन चाणक्य के 'अर्थशास्त्र' में मिलता है I
मुगलकाल में अकबर का "दीवाने-आम" आम जनता से संवाद का और दीवाने-खास" उच्च पदस्थ लोगों से संवाद का मंच हुआ करता था I छत्रपति शिवाजी महाराज नियमित रूप से अपनी प्रजा से प्रत्यक्ष संवाद किया करते थे I उनके राजाज्ञा-पत्र (शासनादेश) में यह स्पष्ट उल्लेख रहता था कि "प्रजा सुख ही शिवाजी महाराज का धर्म है"। उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि राजा और प्रजा के बीच संवाद निरंतर और बाधारहित होता रहे I ब्रिटिश काल में जनता से सीधे संवाद की यह परम्परा समाप्त हो गई I भारतीयों को गवर्नर जनरल या वायसराय से किसी भी तरह मिलने का अवसर नहीं मिलता था I महात्मा गाँधी ने आजादी की लड़ाई में जनता से सीधा संवाद और जन आंदोलन की संस्कृति को फिर से जीवित किया। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सत्ता के विरोध में देशव्यापी आन्दोलन में जनसंवाद की अहम भूमिका रही I
दरअसल, जनता से प्रत्यक्ष संवाद किसी भी नेता की जनता में उसकी व्यापक स्वीकार्यता का मानक होने के साथ ही जनता का अपने नेता में अटूट विश्वास का सूचक भी है I वैसे भी जनता के हित से अलग राजा का /सच्चे नेता का अपना कोई हित नहीं होता - प्रजाहितं हितं राज्ञां धर्मः स्यादिति निश्चयः – अर्थात् राजा का वही कार्य धर्म कहलाता है, जो प्रजा के हित में हो I इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोलहो आने खरे उतरते हैं।
(लेखिका पूनम कुमारी सिंह प्रोफेसर हैं)
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