विचार: भारत के इस्लामीकरण का छांगुर तंत्र, मजहबी उन्मादी सहयोगियों के माफिया तंत्र पर लगानी होगी लगाम
त्रासदी देखिए कि अभी तक भाजपा विरोधी पार्टियों नेताओं एक्टिविस्टों में से किसी ने इस बड़े कांड पर सामान्य विरोधी प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की। क्या निर्दोष निरपराध हिंदू लड़कियों महिलाओं की इज्जत गरिमा और उनके मानवाधिकार का महत्व नहीं? ऐसे मामलों में भाजपा ही हिंदुओं के साथ खड़ी दिखती है।
अवधेश कुमार। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में हिंदुओं को मुसलमान बनाने का जैसा तंत्र सामने आया, वह देश के लिए चेतावनी है। यह एक व्यक्ति केंद्रित हिंदुओं को मुसलमान बनाने का ऐसा बड़ा तंत्र है, जो कंपनी की तरह व्यवस्थित है, जिसकी अनेक परतें हैं, जिसमें हिंदुओं को फंसाने, बरगलाने के लिए युवक-युवतियों की फौज सक्रिय है।
छांगुर उर्फ जिंदा पीर उर्फ जलालुद्दीन को जिन्होंने कपड़े, अंगूठी, नग, माला देते देखा होगा, उन्होंने सपने में भी उसके इस रूप की कल्पना नहीं की होगी। ऐसा व्यक्ति, जिसका अपने समाज में भी अधिक महत्व न हो, वह 500 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर ले, विदेश में भी उसका नेटवर्क हो जाए, हिंदू लड़कियों-महिलाओं को मुसलमान बनाता रहे और उसके विरुद्ध शिकायत करने वाले की ही शामत आ जाए तो इसके विश्लेषण के लिए शब्द ढूंढ़ने पड़ेंगे।
बलरामपुर का मधुपुर गांव उत्तर प्रदेश एटीएस यानी आतंक विरोधी दस्ता, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों, आयकर विभाग, ईडी से लेकर मीडिया की गतिविधि का केंद्र बना है। प्राथमिक सूचना थी कि वह लगभग 1,500 हिंदुओं को छल-बल से इस्लाम में ला चुका है, किंतु यह संख्या ज्यादा हो सकती है। उसका कई बीघे में बना हुआ आलीशान मकान था, जिसका निर्माण ऐसा था कि लोगों को बंद कर कुछ भी कर दिया जाए तो पता न चले।
छांगुर की कहानी पर सहसा विश्वास नहीं होता। उसने पत्नी को प्रधानी का चुनाव लड़वाया, वह दो बार जीती और क्षेत्र में उसका कद बढ़ा। नीतू और नवीन के मुसलमान बनने के दस्तावेज दुबई के हैं। दोनों के 19 बार दुबई जाने के रिकार्ड हैं, जिनमें केवल एक बार साथ गए! अजीब रहस्य है। ईसाई मिशनरियां दलितों और जनजातियों को लक्ष्य बनाकर उनका मतांतरण कराती हैं। उनके पास हर क्षेत्र का जनसांख्यिकीय डाटा है। छांगुर ने भी शायद वहीं से डाटा हासिल किया और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य ऐसे जिलों की पहचान की, जहां हिंदू युवतियों-महिलाओं को मुस्लिम बनाने का योजनाबद्ध अभियान चलना था।
छांगुर भारत के इस्लामीकरण में लगा था। यह उसके अकेले के दिमाग की उपज नहीं हो सकती। हिंदू जाति व्यवस्था पर तंज कसने वाले ध्यान रखें कि बड़ी संख्या में सवर्ण लड़कियों ने छांगुर तंत्र के दबाव-प्रभाव में इस्लाम कुबूल किया। नीतू वोरा और नवीन वोरा नसरीन और जमालुद्दीन कैसे बन गए? मुंबई में व्यापार करने वाले दोनों पति-पत्नी छांगुर की हिंदुओं के इस्लामीकरण की कल्पना को साकार करने में जुट गए। आखिर क्यों?
कोई अपने विचार से मजहब बदले, यह उसका अधिकार है। किंतु धन ,बाहुबल और हर तरीके से जाल में फंसाकर, विवश कर इस्लामीकरण का यह तंत्र माफिया गिरोह जैसा था। शायद छांगुर का भयानक तंत्र कायम रहता, यदि चंगुल में फंसी कुछ लड़कियां, महिलाएं बाहर नहीं आतीं। एक घटना में अनाम से संगठन विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने जब लखनऊ में कुछ लोगों की हिंदू धर्म में वापसी का हवन किया, तब संज्ञान में आया कि छांगुर इन सबके पीछे है।
एक व्यक्ति हिंदुओं को मुस्लिम बनाने की कारपोरेट शैली में कंपनी खड़ी कर उत्तर प्रदेश से विदेश तक विस्तारित कर लेता है और पुलिस, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों को इतने वर्षों तक पता नहीं चलता। छांगुर ने मुख्य मार्ग से अपने घर तक सड़क बना ली। पुलिस प्रशासन में हैसियत ऐसी कि उसके सहयोगी ने पुलिस में शिकायत की तो उसके विरुद्ध ही मुकदमा दर्ज हो गया। एक स्थानीय मुस्लिम उसके बारे में पत्र लिखते रहे, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। उसके खातों में विदेश से पैसे आते रहे और केंद्रीय एजेंसियों के कान खड़े नहीं हुए। इसके अर्थ क्या हैं?
बिहार में तीन वर्ष पहले पीएफआइ के 2047 तक भारत को गजवा-ए-हिंद बनाने के तंत्र से जुड़े मामले में भी फुलवारी शरीफ के मुस्लिम पुलिस अधिकारी के मोबाइल पर खतरनाक मैसेज आया, पर उसकी शिकायत को फाइलों में बंद कर दिया गया। ऐसा अनेक मामलों में होता है। केंद्र और कई प्रदेशों में भाजपा की सरकारों के आने से स्थिति बदली है और भाजपा सरकारों के कारण ही यह कार्रवाई संभव हो सकी।
दूसरी सरकारों में तो छांगुर और उसके मजहबी उन्मादी सहयोगी इस्लामीकरण का पूरा माफिया तंत्र कायम कर लेते। यह स्वीकारना होगा कि मतांतरण, लव जिहाद और मजार आदि के नाम जमीन कब्जा करने आदि मामलों की आरंभिक शिकायतों को पुलिस प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता।
त्रासदी देखिए कि अभी तक भाजपा विरोधी पार्टियों, नेताओं, एक्टिविस्टों में से किसी ने इस बड़े कांड पर सामान्य विरोधी प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की। क्या निर्दोष, निरपराध हिंदू लड़कियों, महिलाओं की इज्जत, गरिमा और उनके मानवाधिकार का महत्व नहीं? ऐसे मामलों में भाजपा ही हिंदुओं के साथ खड़ी दिखती है। यह मामला यह भी बताता है कि रवैये में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है।
एक बड़ा पहलू यह है कि छोटे-छोटे मदरसे चलाने वाले मौलवी भी इतनी विदेश यात्राएं क्यों और कैसे करते हैं? उनके पास इतनी सुख-सुविधाएं कहां से आईं? कुछ वर्षों के उनके पासपोर्ट-वीजा तथा नामी-बेनामी संपत्तियों पर नजर डालने की आवश्यकता थी और है। सनातनियों को समझना चाहिए कि उनके विरुद्ध घात लगाए शिकारियों का झुंड बैठा है। वे उनके मुकाबले के लिए तैयार नहीं होते तो उनका संकट बढ़ना तय है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।