[प्रो. सतीश कुमार]। Tablighi Jamaat अंतरराष्ट्रीय चिंतक के रूप में विख्यात हंटिंग्टन ने करीब तीन दशक पहले जब सभ्यताओं की लड़ाई की बात कही थी तो दुनिया में बहुत हो हल्ला हुआ था। उन्होंने कहा था कि इस्लाम और शेष विश्व के बीच द्वंद्व होगा। पता नहीं उनका आकलन कितना सही था, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि तब्लीगी जमात दुनिया के कई देशों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कठिन बनाने का काम कर रही है। इसमें मलेशिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ भारत भी है।

तब्लीगी जमात के मुखिया ने तो कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए भारत सरकार के कदमों को मुस्लिम विरोधी बताया, जबकि मरने वालों में जमात के लोग भी हैं। तब्लीगी जमात ने भारत के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। इस जमात ने कोरोना का कारवां मलेशिया से शुरू करते हुए पाकिस्तान और भारत को अपनी चपेट में ले लिया है।

कोरोना ने ईरान व मलेशिया जैसे देशों में दहशत फैलाना शुरू किया : जब वुहान में कोरोना के फैलने की बात सामने आई तो दुनिया भर में कई मौलवियों ने यह कहकर इस बात को हल्का कर दिया कि यह चीन के पाप की निशानी है। उन्होंने कहा कि चीन ने उइगर मुसलमानों के साथ जो ज्यादतियां की हैं उसी का यह प्रतिफल है। जब कोरोना ने ईरान और मलेशिया जैसे देशों में दहशत फैलाना शुरू किया तो इस्लामिक गुरुओं ने इस पर यह कहकर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया कि मस्जिद में लोगों का उपचार होता है, न कि बीमारियों का विस्तार। इसलिए बड़े स्तर पर लोगों की भीड़ बनी रही।

दुष्प्रचार में मुस्लिम समाज के अन्य लोग भी शामिल : भारत में जब तब्लीगी जमात की कारगुजारी सामने आई तो देश में हड़कंप मच गया। करीब एक दर्जन देशों के मौलाना इस धार्मिक सम्मलेन में भाग लेने के लिए भारत आए थे। इनमें से तमाम ऐसे थे जो पहले मलेशिया, पाकिस्तान गए और फिर भारत आए। भारत के लगभग सभी राज्यों से भी लोग इस सम्मेलन में शामिल हुए। इनमें से एक हजार से अधिक कोरोना के मरीज निकले हैं। सबसे खराब बात यह है कि जब पुलिस ने तब्लीगियों की खोजबीन शुरू की और उन्हें क्वारंटाइन करने की कोशिश की तो उसे एक समुदाय विशेष को अपमानित करने की साजिश के रूप में प्रचारित किया गया। इस दुष्प्रचार में मुस्लिम समाज के अन्य लोग भी शामिल हुए। इनमें कई बुद्धिजीवी कहे जाने लोग भी हैं। कई जगहों पर जमाती कोरोना वायरस से न केवल बेपरवाह हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य सेवा के लोगों और पुलिस से असहयोग कर रहे हैं। कहीं-कहीं तो पुलिस और डॉक्टरों पर हमले भी कर दे रहे हैं। इंदौर, हैदराबाद के मुरादाबाद की घटना यही बताती है कि तब्लीगी बेकाबू हो रहे हैं।

लाहौर के निकट जमात के कार्यक्रम में करीब दो लाख लोग शामिल : तब्लीगी जमात के दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब बड़ी संख्या में लोग जमा मिले जब पूरे देश में लॉकडाउन लागू हो चुका था। तब्लीगी जमात के इस सम्मेलन ने जिस तरह से देश के कई हिस्से में कोरोना वायरस को फैलाने का काम किया उसी तरह से दूसरे कई देशों में इस जमात के ऐसे ही सम्मेलनों ने इस महामारी को फैलाया। पाकिस्तान के लाहौर के निकट इस जमात के कार्यक्रम में करीब दो लाख लोग शामिल हुए थे। यहां से निकले जमातियों ने न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि कुवैत, फिलीपींस, ट्यूनिशिया तक में कोविड-19 महामारी को फैलाया।

समूचे एशिया में कोरोना को फैलाने में तब्लीगी जमात : पाकिस्तान की तरह ही मलेशिया में भी इस जमात का एक सम्मेलन हुआ था जिसमें 16 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था। बाद में मलेशिया में 620 कोरोना के मरीज ऐसे मिले जिन्होंने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों ने ब्रूनेई, थाईलैंड, इंडोनेशिया समेत छह दक्षिण पूर्वी देशों में कोरोना का प्रसार किया है। यही वजह है कि तब्लीगी जमात को अभी समूचे एशिया में कोरोना को फैलाने वाले सबसे बड़े कारण के रूप में देखा जा रहा है।

जब पूरा राष्ट्र एक वैश्विक महामारी के कठिन दौर से गुजर रहा है तब तब्लीगी जमात के लोग न केवल मुश्किलें बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपनी बेवकूफी से मुस्लिम समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं। मुस्लिम समुदाय को तब्लीगी जमात का विरोध करने के लिए आगे आना ही चाहिए, क्योंकि वे सबसे अधिक नुकसान उसका ही कर रहे हैं? कहने के लिए तब्लीगी जमात एक गैर राजनीतिक संगठन है जो मजहबी प्रचार और कथित धर्म सुधार के प्रयासों से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसकी जड़ें इस्लामिक आतंकी संगठनों से भी जुड़ती रही हैं। पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. फरहान जाहिद ने अपने शोध आलेख में इस बात की चर्चा की है कि यह संगठन आतंकी संगठनों की जननी है। इसे गेटवे ऑफ टेरर कहा जा सकता है। आज यह आवश्यक है कि भारत के मौलाना खुलकर इस जमात का विरोध करें और राष्ट्रहित में जमातियों को कायदे-कानून मानने के लिए समझाएं।

भारत की सार्थक कूटनीति ने दक्षिण एशिया के देशों को इस माहमारी से लड़ने के लिए सामूहिक जज्बा पैदा किया है और दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की। इस मुहिम में किसी का अहित नहीं छिपा हुआ है, बल्कि राष्ट्रहित गुंथा हुआ है। इसे सभी को समझना होगा और खासकर तब्लीगी जमात के लोगों को और उनका समर्थन करने वालों को। इस जमात और उसका दबे-खुले स्वर में समर्थन करने वाले इससे अनजान नहीं हो सकते कि उनकी हरकतें न केवल कोरोना से लड़ाई को कठिन बना रही हैं, बल्कि राष्ट्रीय एकजुटता को कमजोर कर रही हैं। सबसे खतरनाक यह है कि वे मुस्लिम समाज को नीचा दिखाने का काम कर रही हैं।

[राजनीतिक विश्लेषक]