[योगी आदित्यनाथ]। गुजरात के एक छोटे से शहर वडनगर में जन्मे नरेन्द्र मोदी जी ने 135 करोड़ भारतीयों के प्रधान सेवक बनने की एक लंबी एवं प्रेरक यात्रा तय की है। इस यात्रा में जीवन के पग-पग पर मिली चुनौतियों और संघर्षों को उन्होंने अवसर मानकर एक नए भारत का शिल्प गढ़ा है। विगत 20 वर्षों से देश-दुनिया उनकी वैचारिकी, कार्यशैली, विजन और मिशन के साक्षी रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने विकास और सुशासन का जो माडल प्रस्तुत किया, भारत दशकों से उसकी प्रतीक्षा में था।

लंबे समय से सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की नीति से आहत मानवता को 'सर्वस्पर्शी एवं सर्वसमावेशी' नेतृत्व की अभिलाषा थी। शोषित और उपेक्षित जनता को एक स्वर की चाह थी। राष्ट्र को विभाजनकारी शक्तियों के कुत्सित प्रयासों से मुक्त होकर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के रूप में पुन: देखने की प्यास थी। यही कारण है कि 2014 में देश और जनता ने मोदी जी के नेतृत्व को सहर्ष स्वीकार किया।

गत आठ वर्षों में जनता ने जिस नए भारत की शिल्प रचना होते हुए देखी है, उससे वह इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि प्रधानमंत्री मोदी सच्चे अर्थों में जन आकांक्षाओं के प्रतिबिंब और भारतीयता के प्रतीक हैं। यद्यपि उनकी राजनीतिक यात्रा के बीच कुछ नकारात्मक ताकतों की कुचेष्टाओं और निजी आलोचनाओं ने उनके मार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की, पर वह उन्हें संकल्पों से डिगा नहीं सकी। प्रत्येक आलोचना, हरेक अवरोध और विविध प्रकार के कुचक्र उनके संकल्पों को और सशक्त करते रहे।

2014 के बाद देश के भीतर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन इसका प्रमाण हैं। जीवन के गुरुकुल में शिक्षित और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में दीक्षित, श्रद्धेय अटल जी के भावों से प्रेरित मोदी जी को जब भी कभी ध्येय साधना के बीच अग्निपरीक्षा की घड़ी का सामना करना पड़ा तो उन्होंने सदैव ही अर्जुन की तरह 'न दैन्यं न पलायनम्' का उद्घोष किया। आज उनके इसी आत्मविश्वास का भाव देश के प्रत्येक नागरिक को नए भारत के निर्माण में सहभागी बनने की प्रेरणा दे रहा है।

बीते दो दशकों में मोदी जी के विजन ने भारत को पुनः एकीकृत शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करने का कार्य किया है। वह दुनिया को यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि भारत एक महाशक्ति है। आजादी के अमृत महोत्सव पर भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अर्थव्यवस्था को गति देने में उनकी निर्णायक नीतियों की महती भूमिका रही।

यूनेस्को ने कुंभ को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर' के रूप में स्वीकार किया। श्री काशी विश्वनाथ धाम की पौराणिकता के साथ दिव्यता और भव्यता आज दुनिया के समक्ष है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में राष्ट्र मंदिर के रूप में श्रीराम मंदिर का निर्माण भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। यह प्रधानमंत्री जी का विजन ही है कि योग पुनः समस्त विश्व को स्वस्थ एवं सुखी बनाने के सहज माध्यम के रूप में उभरा है।

संप्रति आर्थिक विकास की चर्चा मुख्यत: दो क्षेत्रों तक सीमित रही है। पहला पब्लिक और दूसरा प्राइवेट, परंतु मोदी जी ने इन दोनों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में 'पर्सनल सेक्टर' को भी महत्व दिया है। इसका आशय सबके लिए आवास, हर घर को बिजली, हर हाथ को काम, सबके लिए शिक्षा, सभी को स्वास्थ्य सुविधा और सर्वत्र स्वच्छता से है। आज हर भारतवासी प्रधानमंत्री के इन संकल्पों के साथ जुड़कर स्वतःस्फूर्त भाव से अपनी भूमिका निभा रहा है।

'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' आज भारत के उत्थान का मूल मंत्र बन चुका है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना वित्तीय समावेशन की उत्कृष्ट प्रतीक बनी है। इसने हाशिये के तबकों को वित्तीय मुख्यधारा में ला दिया है। उज्ज्वला योजना ने माताओं-बहनों को कार्बन जनित समस्याओं से मुक्ति दिलाकर उनमें आत्मसम्मान का भाव भरा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, सागरमाला परियोजना नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘जैम’ (जनधन, आधार और मोबाइल) की त्रिवेणी के माध्यम से भ्रष्टाचार पर प्रहार कर योजनाओं में रिसाव रोककर पूरा लाभ लाभार्थियों तक पहुंचाया है। उनके नेतृत्व में भारत एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति होते देख रहा है। वृद्ध हों या निराश्रित महिलाएं अथवा दिव्यांगजन, सभी की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो साढ़े पांच वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 45 लाख लोगों का अपने घर का सपना साकार हुआ है।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के माध्यम से 35 लाख ग्रामीण जनों को अपने घरों का कानूनी अधिकार मिला है। दो करोड़ 57 लाख किसानों को सम्मान निधि मिल रही है। ऐसे अनगिनत कार्य हैं, जो प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार द्वारा संपन्न हुए हैं, जिसने उत्तर प्रदेश को नई ऊंचाइयां प्रदान कर उसकी छवि बदली है।

प्रधानमंत्री ने देशहित में बड़े-बड़े निर्णय लिए, लेकिन यदि उन्हें यह आभास हुआ कि उसका सही मर्म लोग समझ नहीं पाए तो ऐसे निर्णय पलटने में उन्होंने संकोच भी नहीं किया। यह लोकभावना के आदर और लोकतंत्र की खूबसूरती के श्रेष्ठ समन्वय का परिचायक है। कोरोना जैसी विषम परिस्थिति में भी वह देश का कवच बनकर उभरे। उन्होंने भारत की जनता के साथ ही अन्य देशों तक भी वैक्सीन पहुंचाई, जिसके लिए उन्हें व्यापक सराहना मिली।

जम्मू-कश्मीर पर संवैधानिक सुधार मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति से ही आकार ले सका। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर का शेष भारत के साथ वास्तविक एकीकरण संभव हुआ। विदेश नीति में पड़ोसियों को प्राथमिकता के अभिनव प्रयास ने दक्षिण एशिया में भारत को और मजबूती प्रदान की। उनकी विदेश नीति के मूल में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं, तो विश्व के प्रति भी उनकी संवेदनाएं प्रत्यक्ष दिखती हैं।

यही कारण है कि विश्व में भारत का कद बढ़ा है और दुनिया भारत की ओर देख रही है। वस्तुत: यह भारत के नवनिर्माण की अमृत बेला है। इस अमृत काल में राष्ट्रवाद और विकास की स्वर्णिम संकल्पना से राष्ट्र जिस गौरव की अनुभूति करते हुए वैश्विक शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है, पीएम मोदी उसके कुशल शिल्पकार हैं।

(लेखक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)