अनिल बलूनी। जनहित, स्वरोजगार और आर्थिक उन्नति को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम मुद्रा योजना को इसी माह 10 वर्ष पूरे हुए। पिछले दिनों जब मैं अपने लोकसभा क्षेत्र में था, तब रुद्रप्रयाग में जिलाधिकारी ने मुझे मुद्रा योजना की सफलता की कई ऐसी कहानियां सुनाईं कि किस तरह सुदूर पहाड़ में इस योजना से लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं, रोजगार सृजित हो रहे हैं और पलायन पर अंकुश लग रहा है।

सेमलता भरदार, जखोली के रहने वाले सोबत सिंह को रोजगार के लिए घर से बाहर रहना पड़ता था। उन्होंने पीएम मुद्रा योजना से लोन लेकर अचार उत्पाद का व्यवसाय शुरू किया और आज वे चार और लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इसके साथ ही अच्छी आय भी अर्जित कर रहे हैं। इसी तरह मवाणा गांव, नगरासू निवासी इंदु देवी ने भी पीएम मुद्रा योजना के माध्यम से गृहिणी से उद्यमी बनने तक का सफर तय किया। मवाणा में उन्होंने फैब्रिकेशन वर्क की एक यूनिट लगाई, जिसमें वे अपने साथ कई और महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। बिंदु नामक एक महिला, जो पहले रोज 50 झाड़ू बनाती थी, अब 500 झाड़ू बनाने वाली एक यूनिट चलाती है।

ऐसी ही न जाने कितनी कहानियां हैं, जो पीएम मुद्रा योजना की सफलता की बानगी पेश करती हैं। जब विषम परिस्थितियों वाले दुर्गम पहाड़ों में स्थिति बदल रही है तो यह समझा जा सकता है कि यह योजना कितनी परिवर्तनकारी है। यही इस योजना का उद्देश्य है। प्रधानमंत्री इस योजना के जरिये आम लोगों को सशक्त बनाना चाहते हैं, ताकि वे किसी की मदद पर आश्रित न रहें। जब आप धरातल पर जाते हैं तो पीएम मुद्रा योजना के कारण आए बदलाव की बयार साफ दिखती है।

मैंने किशोरावस्था के दौर में देखा है कि लोग किस तरह समय पर इलाज, खेती या किसी काम के लिए धन जुटाने के लिए कितना परेशान रहते थे, क्योंकि बैंकों के दरवाजे तो गरीबों के लिए बंद ही रहा करते थे। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गरीबों को उन लोगों पर निर्भर होना पड़ता था, जो मोटे ब्याज पर पैसे उधार देते थे और फिर वे उस जाल में फंसते जाते थे। जब बैंकों से लोन मिलना शुरू हुआ, तब भी लोन लेने के लिए पापड़ बेलने पड़ते थे, गारंटर की तलाश करनी पड़ती थी। दलाल जब लोन दिलाते थे तो मोटा कमीशन भी खा जाते थे। अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई है।

मुद्रा योजना में किसी की गारंटी की जरूरत नहीं है। इसके तहत 50 हजार से 20 लाख रुपये तक का लोन लिया जा सकता है और वह भी गारंटी फ्री। इस योजना का असर यह हुआ कि अब हमारा देश जाब-सीकर नहीं, जाब-क्रिएटर तैयार कर रहा है। बीते 10 साल में 53 करोड़ से ज्यादा लोन पास हुए, जिसके तहत लगभग 33 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया। इसमें लगभग 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं और 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं।

इस योजना का लाभ फल-फूल, सब्जी बेचने, चाय की दुकान चलाने वाले से लेकर बुनकर और लघु उद्योग चलाने वाले तक उठा रहे हैं। वे अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं और दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। जो इस योजना का मजाक उड़ाया करते थे, वे भी आज दबी जुबान में ही सही, इसे रोजगार सृजन का एक अभिनव प्रयोग मानते हैं। पीएम मुद्रा योजना की वजह से धरातल पर जो सकारात्मक बदलाव आया है, उसे आंकड़ों में मापना मुश्किल है। देश के कोने-कोने में चाहे वह गांव हो या शहर, मुद्रा योजना का फायदा उठाकर लोगों को तरक्की करते देखा जा सकता है।

मुद्रा योजना महिला सशक्तीकरण का भी एक प्रमुख माध्यम बनी है। महिलाएं अब उद्यमी बनने का सपना जी रही हैं। मुद्रा योजना को मातृशक्ति ने हाथोंहाथ लिया है। इससे एक तो महिलाओं में कुछ करने का जज्बा बढ़ा और दूसरे, वे आर्थिक गतिविधियों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने में सक्षम हुईं। मुद्रा लोन में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने वाले राज्यों ने उनके नेतृत्व वाले एमएसएमई के माध्यम से काफी रोजगार सृजन हुए।

मुद्रा योजना से उन्होंने अपना व्यवसाय बढ़ाया है और अन्य महिलाओं को रोजगार दिया है। यह एक बड़ा बदलाव है।

मुद्रा योजना से छोटे शहरों और गांवों तक कारोबार बढ़ा है। ‘आउटकम्स आफ मोदीनामिक्स 2014-24″’ नामक रिपोर्ट के अनुसार 2014 से हर साल कम से कम 5.14 करोड़ नए रोजगार शुरू हुए, जिसमें अकेले मुद्रा योजना ने 2014 से प्रति वर्ष औसतन 2.52 करोड़ स्थायी रोजगार जोड़े।

जम्मू-कश्मीर, जो आतंकवाद और अलगाववाद से पीड़ित रहता था और जहां युवाओं को आतंकी आका गुमराह किया करते थे, वहां भी 20 लाख से अधिक मुद्रा लोन दिए गए हैं। इससे वहां के युवा भी अलगाववाद को नकारकर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इस योजना से सीमांत गांव भी आबाद हो रहे हैं और पलायन भी घटा है।

मुद्रा योजना का और अधिक खासतौर से गांवों-कस्बों तक प्रचार-प्रसार की दरकार है, क्योंकि इससे ग्रामीण उद्योगों को एक नई दिशा दी जा सकती है और ग्राम्य स्तर पर ही रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। रोजगार सृजन की दूरदर्शी मुद्रा योजना न केवल क्रांतिकारी सिद्ध हो रही है, बल्कि गांव-गरीब के जीवन स्तर को भी ऊपर उठा रही है।

(लेखक लोकसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं)