जयंतीलाल भंडारी। हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने देश को आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में मजबूत बनाया है। आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने महज 22 मिनट में स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजूबर कर दिया। अब भारत को दुनिया की आर्थिक शक्ति बनने, पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों से मुकाबले के लिए उन्नत एआइ से संपन्न एवं आर्थिक रूप से सशक्त देश बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इजरायल-ईरान युद्ध और आपरेशन सिंदूर का विश्लेषण बताता है कि अब युद्ध में एआइ और आर्थिक ताकत की अहमियत बढ़ गई है और परमाणु हमले की धमकी बेअसर साबित हो रही है।

चूंकि शक्ति के माध्यम से ही शांति आती है और उससे भविष्य के युद्ध भी रोके जा सकते हैं, अतः भारत को हर मोर्चे पर शक्तिशाली बनाना होगा। इसके लिए जरूरी है सरकार, विज्ञानी, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्यमी-कारोबारी और जनता एकजुटता दिखाए। भारतीय अर्थव्यवस्था जिस तेजी से बढ़ रही है, उसे देखते हुए देश के वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की उम्मीद बढ़ी है। इजरायल-ईरान युद्ध की चुनौतियों के बीच भारत बहुआयामी आर्थिक सुधारों के बल पर मजबूती के साथ खड़ा है।

इस युद्ध से कई देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि, खाद्यान्न सहित जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में कमी और शेयर बाजार में गिरावट आई, वहीं भारत बेहतर स्थिति में रहा। आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के साथ संघर्ष का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा। भारत का बड़ा घरेलू बाजार, निर्यात पर कम निर्भरता, सरकार के भारी पूंजीगत व्यय, बढ़ती क्रय शक्ति और कृषि क्षेत्र में सफलता ने देश को बाहरी आर्थिक झटकों से झेलने में सक्षम बनाया है।

युद्ध के दौर में भी भारत के निर्यात बढ़े और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है। इजरायल-ईरान युद्ध से जहां दुनिया में महंगाई बढ़ी, वहीं भारत में घटी। भारत की खुदरा महंगाई दर महज 2.82 प्रतिशत और थोक महंगाई दर महज 0.39 प्रतिशत है। यह पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। देश के खाद्यान्न भंडार में एक साल से भी अधिक की जरूरतों को पूरा करने लायक गेहूं और चावल हैं।

कृषि उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन लगभग 6.5 प्रतिशत बढ़कर 35.39 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच सकता है। युद्ध के बीच भी भारत पर दुनिया का आर्थिक विश्वास बना रहा। इस समय भारत के पास 699 अरब डालर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की विश्व आर्थिक परिदृश्य से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए दिखाई देगा।

भारत को दुनिया की नई आर्थिक शक्ति बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए। चीन से आयात में कमी लाकर व्यापार घाटा नियंत्रित किया जाना चाहिए। चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत लगातार घाटे की स्थिति में बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डालर हो गया, जो 2023-24 में 85.07 अरब डालर था। ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका और यूरोपीय संघ से नए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और द्विपक्षीय व्यापार समझौते कर व्यापार घाटे में कमी लाई जा सकती है।

भारत को ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल सहित खाड़ी के प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप देना चाहिए। सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) तेज विकास एवं रोजगार के लिए एक कारगर माध्यम बन सकते हैं। एमएसएमई निर्यात बढ़ाते हुए आयात नियंत्रित करके आर्थिक चिंताए कम कर सकते हैं। इस समय भारत का सेवा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण भारत को सेवा निर्यात की वैश्विक राजधानी के रूप में देखा जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का सेवा निर्यात करीब 387.5 अरब डालर रहा। देश से सेवा निर्यात बढ़ाकर भी व्यापार घाटे में कमी लाई जा सकती है। आत्मनिर्भर भारत अभियान, मेक इन इंडिया, जीएसटी और लाजिस्टिक सुधार के साथ-साथ आर्थिक और वित्तीय सुधार भी भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।

इस बीच, दुनिया में नए हथियारों का विकास नई हथियार दौड़ को जन्म दे रहा है। दुनिया के नौ परमाणु शक्ति संपन्न देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया एवं इजरायल अपने परमाणु हथियारों को और उन्नत करने में जुटे हैं। अमेरिका और रूस के पास दुनिया के करीब 90 प्रतिशत परमाणु हथियार हैं। चीन के पास करीब 600 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 180 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान भारत के आपरेशन सिंदूर से पराजित होकर चीन की मदद से अपने परमाणु हथियारों को उन्नत करने की कोशिश में जुट गया है। ऐसे में दो शत्रु देश चीन और पाकिस्तान के साथ होने से भारत के लिए एआइ, साइबर तकनीक और मिसाइल रक्षा जैसी नई तकनीक से उन्नत परमाणु शक्ति बनना जरूरी है। सरकार को इजरायल-ईरान युद्ध और आपरेशन सिंदूर से मिले सबक के मद्देनजर देश को आर्थिक, उन्नत एआइ और परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)