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    बंदरों के आतंक पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य और केंद्र सरकार से मांगा जवाब

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2016 06:30 AM (IST)

    हाई कोर्ट ने राज्य के पर्वतीय जिलों में बंदर और लंगूर के आतंक पर गंभीर चिंता जताई। साथ ही इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को 10 दिन में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।

    नैनीताल, [जेएनएन] हाई कोर्ट ने राज्य के पर्वतीय जिलों में बंदर और लंगूर के आतंक और इससे खेती पर पड़ रहे दुष्प्रभाव पर गंभीर चिंता जताई। साथ ही इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को 10 दिन में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
    इस संबंध में गरुड़ बागेश्वर के ग्रामीणों ने जनहित याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश जेएम जोजफ एवं आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता डीके जोशी ने दलील दी कि वन्य जीव संरक्षण व मानव के संरक्षण में संतुलन होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने सहमति जताई। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि इस मामले के निराकरण को गंभीरता से रूचि ले।

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    ये है मामला
    बागेश्वर जिले की तहसील गरुड़ के निवासी जनार्दन लोहुमी, सतीश चंद्र जोशी, चंद्रशेखर बड़सीला, तहसील बागेश्वर के अशोक लोहनी, भूपेंद्र जोशी ने गरुड़ व बागेश्वर तहसील में बंदरों के आतंक से ग्रामीण गरीब काश्तकारों को हो रहे नुकसान से बचाने को हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।

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    याचिकाकर्ताओ की ओर से बंदरों की ही समस्या नहीं, बल्कि जंगली सुअरों व आवारा जानवरो से ग्रामीण अंचलों में गरीब कास्तकारों की फसल को हो रहे नुकसान, बच्चों, महिलाओ बुजुर्गों पर हो रहे हमलों को विस्तार से याचिका में विचारार्थ पेश किया। साथ ही विकराल हो रही इस समस्या के निदान के लिए सरकार से उचित उपाय करने की प्रार्थना की गई।

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    याचिका में कहा गया कि कई बार इस संबंध में जिला प्रसाशन बागेश्वर, वन विभाग के उच्चाधिकारियों, स्थानीय विधायक सहित समस्त जिम्मेदार अधिकारियों की ध्यान इस ओर स्थानीय जनता ने दिलाया। इसके बावजूद आज तक कुछ भी उपाय नहीं किए गए।
    इन्हें बनाया गया पक्षकार
    याचिका में केंद्र सरकार के सचिव पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (सामान्य ), प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव), मुख्य वन संरक्षक कुमाऊ संभाग नैनीताल, वन संरक्षक उत्तरी कुमांऊ अल्मोड़ा, जिलाधिकारी बागेश्वर, उप जिलाधिकारी गरुड़, सचिव उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड देहरादून को पक्षकार बनाया गया है।

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    याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यू फ़्रेंड कॉलोनी रेसिडेंट्स बनाम भारत संघ एवं अन्य में पारित तीन अगस्त, 2007 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि उत्तराखंड में बंदरों, आवारा जानवरो व जंगली सुअरों के आतंक के निवारण को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए, जो इस समस्या के समाधान को विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे। हाई कोर्ट दिल्ली से पारित निर्णय में कई कारगर उपायों का याचिका में उल्लेख किया गया है।
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