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    वाराणसी में गंगा की बाढ़ में डूब गया व्‍यापार, 35 करोड़ से अधिक का टर्नओवर प्रभावित

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 02:43 PM (IST)

    वाराणसी में गंगा की बाढ़ से कारोबार और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। बाढ़ के कारण घाटों पर दुकानें और नाविकों का व्यवसाय ठप हो गया है जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। स्वास्थ्य विभाग बाढ़ पीड़ितों के लिए 24 कैंप लगाकर इलाज कर रहा है और जलजनित बीमारियों को रोकने के लिए क्लोरीन टैबलेट बांट रहा है।

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    वाराणसी में गंगा नदी में बाढ़ ने कारोबार को भी प्रभाव‍ित क‍िया है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा की बाढ़ ने भले ही क्षण‍िक राहत प्रदान की हो लेक‍िन बाढ़ में कारोबार को भी काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं बाढ़ प्रभाव‍ित क्षेत्रों में सेहत ने भी काफी चुनौती दी है। मरीजों की बाढ़ प्रभाव‍ित क्षेत्रों में चुनौती कम नहीं है।  

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    बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। बदन दर्द, जुकाम और बुखार की शिकायत के साथ अब तक 570 मरीज सामने आए हैं। नोडल अधिकारी डा. पीयूष राय ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। मरीजों के इलाज के लिए 24 स्वास्थ्य कैंप स्थापित किए गए हैं, जहां प्रत्येक कैंप में दो टीमें तैनात हैं।

    हर टीम में एक डाक्टर और एक पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की देखभाल में जुटा है। डा. राय ने बताया कि बाढ़ के पानी से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए अब तक 18,000 क्लोरीन टैबलेट वितरित की जा चुकी हैं। ये टैबलेट पानी को शुद्ध करने में मदद कर रही हैं ताकि जलजनित बीमारियों का खतरा कम हो। स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता और जागरूकता अभियान भी तेज कर दिया है।

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    ग्रामीणों को साफ पानी पीने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी जा रही है। बाढ़ से प्रभावित लोगोें की मदद के लिए प्रशासन ने राहत सामग्री वितरण के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीमें दिन-रात प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

    कारोबार पर पड़ी मार

    गंगा जीवनदायिनी हैं। जल ही नहीं रोजगार भी देती हैं। संस्कृतियों को आधार के साथ व्यापार भी देती हैं। इन दिनों गंगा में आई बाढ़ के चलते घाटों से लेकर तटवर्ती क्षेत्रों में दुकानें लगाकर व्यवसाय करने वाले दुकानदारों, नाविकों, तीर्थ पुरोहितों, घाट के पंडों तथा तिलक आदि लगाकर जीविका चलाने वालों की आजीविका पर संकट आ गया है। साथ ही घाटों से लगी गलियों में फलता-फूलता कपड़े, साड़ी, पूजन सामग्री, रेस्टारेंट, होटल, पीजी आदि का व्यवसाय भी पानी भर जाने के कारण ठप हो गया है।

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    आर्थिक पंडितों का मानना है कि नाविकों का काम तो लगभग एक माह से ठप है। उनके करोड़ों के व्यवसाय के अतिरिक्त स्थलीय व्यवसायियों की बात करें तो केवल इस पखवारे में लगभग दस करोड़ से अधिक का अर्थ-विनिमय प्रभावित हुआ है। काशी में अर्धचंद्राकार गंगा के 88 घाटों और उनसे जुड़ी गलियों में तथा आसपास आने वाले पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं के लिए खान-पान, चाय, नाश्ता आदि की लगभग 10,000 दुकानें हैं।

    साथ ही तीर्थ घाटों पर असि से लेकर राजघाट तक तर्पण-अर्पण, गंगा पूजन, मुंडन आदि कराने के लिए सैकड़ों तीर्थ पुरोहित, पंडे, घाट किनारे स्थित मंदिरों में पूजन-अर्चन करने वाले अर्चक, घाटों पर तीर्थयात्रियों को चंदन तिलक लगाने वाले लोगों का रोजगार गंगा के भरोसे चलता है। इन्हीं तीर्थयात्रियों के बलबूते गंगा घाटों की ओर जाने वाली गलियों में दर्जनों होटल, पीजी, गेस्ट हाउसेज, कपड़ों व बनारसी साड़ी की दुकानें, रेस्टारेंट, मूर्तियां, माला, शंख, प्रसाद, रेस्टारेंट आदि हैं। बीते एक पखवारें से से लेकर एक सप्ताह तक से बाढ़ के चलते सबका रोजगार ठप है।

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    दशाश्वमेध पर तीर्थ पुरोहितों की लगी हैं बस सात चौकियां

    केवल दशाश्वमेध घाट क्षेत्र की ही बात करें तो इस एक ही घाट पर लगभग 150-200 चौकियां तीर्थ पुरोहितों की लगती हैं। इनके द्वारा तीर्थयात्रियों का पूजा-पाठ कराकर इससे लगभग 4,000 लोगों की आजीविका कई शिफ्टों में चलती है। लगभग 50 लोग इसी एक घाट पर श्रद्धालुओं को तिलक लगा दक्षिणा ले अपनी आजीविका चलाते हैं। इस समय बाढ़ के कारण केवल सात चौकियां लगी हैं, जिन पर एक साथ पांच से छह तीर्थ पुरोहित पूजा-पाठ करवा रहे हैं।

    एक बार में 40-45 लोग धार्मिक कार्य संपन्न करवा रहे हैं। तीन-चार शिफ्टों में 200-250 तीर्थ पुरोहित अपनी आजीविका साधने में लगे हैं। ऐसे ही सभी घाटों पर तीर्थ पुरोहितों की चौकियों पर श्रद्धालुओं की भीड़ सामान्य दिनों में लगी रहती है। केवल दशाश्वमेध मोहल्ले में हैं लगभग 20 होटल, 50 रेस्टारेंट, दर्जन भर पीजी संचालक: दशाश्धमेध घाट से सटी बंगाली टोला गली में लगभ 40 दुकानें मिठाई, कपड़ा, नाश्ता, पूजा पाठ के सामानों, टैटू बनाने वालों की हैं।

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    लगभग 20 होटल व पेइंग गेस्ट भी बाढ़ की चपेट में हैं। इन पर सैकड़ों लोगों की आजीविका निर्भर है। इन्हीं गलियों में लगभग 50 सब्जी के ठेले व रेहड़ियां फुटपाथों पर लगते हैं। नदी तीर्थ आधारित व्यवसाय की यह शृंखला काशी के सभी 86 घाटों पर फैली हुई है। इनके अतिरिक्त गंगा के जलस्तर में वृद्धि के चलते हजारों छोटी-बड़ी नावों, बजड़ों का संचालन भी लगभग एक माह से बंद है। नाविकों की आय ठप पड़ी है। ऐसे में गंगा तट की आर्थिकी को बड़ा झटका लगा है। गंगा में प्रतिदिन लगभग 1500 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं जिनका दैनिक व्यवसाय लगभग सात से आठ लाख का है। नाविकों के ही व्यवसाय की बात करें तो एक महीने से ठप व्यवसाय से लगभग 25 करोड़ रुपयों का टर्नओवर बाधित हुआ है।

    नगवा में राहत सामग्री न मिलने पर हंगामा

    नगवा के गंगोत्री विहार इलाके में बाढ़ में फंसे करीब आठ-दस की संख्या में पहुंचे परिवारों ने बुधवार शाम नगवा प्राथमिक विद्यालय पर बने राहत शिविर के बाहर हंगामा और प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि सरकार द्वारा मुहैया कराए जाने वाली राहत सामग्री और पानी उनको नहीं मिल पा रहा है। 

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    रोहनिया विधायक ने पशुओं के लिए बांटा चारा

    रोहनिया विधायक डा. सुनील पटेल ने बुधवार को विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सभा नियैसीपुर, तोहफापुर, गांगपुर, जगदेवपुर आदि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। गांवों में पशुओं के लिए चारा-भूसा का वितरण किया। आश्वस्त किया कि समस्या हो तो हमारे मोबाइल नंबर पर सीधे संपर्क कर समस्या से अवगत कराएं उसका तत्काल निवारण का प्रयास होगा।

    सफाई और पेयजल व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने के निर्देश

    नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बुधवार को बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में साफ-सफाई, शौचालयों की स्वच्छता और पेयजल व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया। राहत शिविरों में उन्होंने हरहाल में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बनाए रखने का निर्देश दिया। इसके लिए राहत शिविरों में वाटर टैंक की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में मोबाइल टायलेट भी लगाने का निर्देश दिया है।

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    बाढ़ का पानी उतरने पर संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। इसे देखते हुए नगर निगम बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पानी उतरने के साथ ही तेजी से सफाई कराने का निर्णय लिया है। निगम ने इन क्षेत्रों में दिन में तीन बार सफाई, चूने और एंटी लार्वा का छिड़काव व फागिंग कराने का निर्णय लिया है। स्मार्ट सिटी सभागार में बुधवार आयोजित बैठक में महापौर अशोक कुमार तिवारी ने अधिकारियों से संक्रमण नियंत्रण व राहत वितरण का अभियान तेज करने का निर्देश दिया। कहा कि राहत कार्यों को मानव सेवा की भावना से करें, इसमें कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जोनल अधिकारियों से उन्होंने राहत शिविरों में खाद्यान्न व भोजन का वितरण क्षेत्रीय पार्षदों की निगरानी में कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने बाढ़ग्रस्त इलाकों में जल निकासी, सफाई और कीटनाशक छिड़काव करवाने की जिम्मेदारी जोनल अधिकारियों को सौंपी।

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