वाराणसी में घट रहा जलस्तर, खतरा बिंंदु के फिर भी पार बना हुआ है गंगा का पानी
वाराणसी और पूर्वांचल में गंगा वरुणा गोमती और सरयू नदियों में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर घटने के बावजूद खतरे के निशान से ऊपर है जिससे दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं। खेतों में फसलें बर्बाद हो गई हैं मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी सहित पूर्वांचल में गंगा, वरुणा, गोमती और सरयू नदियों में आई बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर बीते 20 घंटे में 21 सेमी घटकर बुधवार शाम को 71.58 मीटर पर आ गया है।
वाराणसी में केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार सुबह आठ बजे गंगा चार सेमी प्रतिघंटे कमी के साथ खतरा बिंंदु 71.262 के सापेक्ष 71.58 मीटर दर्ज किया गया जो घटने के साथ ही अब तटवर्ती इलाकों में चिंंता और दुश्वारी दे रहा है।
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हालांकि, गंगा का रुख अब भी यह खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। पानी दो सेमी की गति से घट रहा है। बाढ़ से दो लाख से अधिक प्रभावित हैं। लगभग 8,000 लोग विस्थापित हुए, जिनमें 4,640 राहत शिविरों में हैं। 2,208 हेक्टेयर खेतों की फसल बर्बाद हो चुकी है। इसकी वजह से इस बार खेती किसानी भी प्रभावित होना तय है। दो बार बाढ़ आने की वजह से किसानों को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। इसके साथ ही बाढ़ की वजह से सब्जियों का उत्पादन प्रभावित होना तय है।
ठहरे पानी और गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है और बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। मीरजापुर, गाजीपुर, बलिया में भी गंगा में आई बाढ़ की स्थिति भयावह है। बलिया में सरयू व टोंस नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मीरजापुर में 300 और गाजीपुर में 145 गांव प्रभावित हैं। आजमगढ़ के देवारा में सरयू का जलस्तर बढ़ रहा है और जौनपुर में गोमती 20 सेमी और ऊपर ऊपर बह रही है।
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ठहरे पानी और गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। मीरजापुर, गाजीपुर और बलिया में गंगा की बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर है। बलिया में सरयू और टोंस नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मीरजापुर में 300 और गाजीपुर में 145 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। आजमगढ़ के देवारा में सरयू का जलस्तर बढ़ रहा है, जबकि जौनपुर में गोमती नदी 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
बाढ़ के कारण जनजीवन में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविरों में आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है, लेकिन बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्याएं जैसे कि स्वास्थ्य संकट और खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
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मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में मौसम के रुख में बदलाव की संभावना जताई है। बारिश की संभावना होने की वजह से नदी का स्तर फिर से बढ़ने की संभावना भी जताई जा रही है। इस प्रकार, बाढ़ की स्थिति ने पूर्वांचल के लोगों के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न की है। प्रशासन और स्थानीय संगठनों को मिलकर इस संकट का सामना करना होगा ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
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वहीं मीरजापुर जिले में गंगा का जलस्तर कम होने लगा है। यह सबसे बड़ी राहत की बात है। खतरे के निशान 77.724 मीटर से पानी नीचे आ गया है। वर्तमान में गंगा का जलस्तर 77.90 मीटर है। हालांकि अभी भी चेतावनी बिंदु 76.724 मीटर से पानी ऊपर है। इससे बाढ़ का पानी छानबे व कोन तथा सीखड़ के कई गांव में घुसा हुआ है। प्रभावित लोगों ने प्रशासन से राहत व बचाव कार्य में तेजी लाने की मांग की। बाढ़ से सदर व चुनार गांव के करीब 100 गांवों में पानी घुसा है। लगभग पांच हजार बीघा फसल डूबी हुई है।
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