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    वाराणसी में रोपवे स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम, दिव्यांगों-नेत्रहीनों को मिलेगी विशेष सुविधाएं, जानें और खास क्‍या...

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 01:29 PM (IST)

    Varanasi ropeway project वाराणसी में रोपवे की पर‍ियोजना का लाभ आम नागर‍िकों के साथ ही द‍िव्‍यांगों को भी म‍िलेगा। रोपवे का यह व‍ि‍शेष आकर्षण है। इसके ल‍िए जमीन पर योजना उतर चुकी है। इसके लांच होने के साथ ही आम नागर‍िकों को यह व‍िशेष सुव‍िधाएं काशी में म‍िलने लगेंगी।

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    रोपवे स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम, दिव्यांगों-नेत्रहीनों को मिलेगी विशेष सुविधाएं।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाराणसी में रोपवे कई मायनों में काफी अनोखा होगा। रोपवे स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम की भी व्‍यवस्‍था होगी तो दिव्यांगों- नेत्रहीनों को विशेष सुविधाएं देने के ल‍िए तैयारी चल रही है। नेत्रहीनों के लिए होंगे मार्ग दर्शक टेक्टाइल टाइल और ब्रेल लिपि में संकेत लिखे होंगे।

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    इसके अलावा  दिव्यांगजनों के लिए रैंप तथा व्हीलचेयर की सुविधा होगी। वहीं तकनीक पर फोकस होगा तो कई अन्‍य सुव‍िधाओं से बनारसी पहली बार पर‍िच‍ित होंगे।  देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे तकनीकी दृष्टि से विशेष होगा। रोपवे स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम, दिव्यांगजनों तथा नेत्रहीन दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं भी होंगी। नेत्रहीनों के लिए विशेष मार्गदर्शक टेक्टाइल टाइल और ब्रेल लिपि में संकेत लिखे होंगे। दिव्यांगजनों के लिये रैंप और व्हीलचेयर की सुविधा होगी।

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    गोंडोला में भी व्हील चेयर पर बैठकर यात्रा किया जा सकेगा। वाराणसी आने वाले लाखों पर्यटकों को कैंट रेलवे स्टेशन से घाटों व मंदिरों तक आसानी और सुरक्षित तरीके से पहुंचने का नया विकल्प मिलेगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। रोपवे की यात्रा को महिलाओं, दिव्यांगजनों (नेत्रहीन आदि) के लिए आरामदायक व्यवस्था की है। नेत्रहीन दिव्यांग यात्रियों के लिए रोपवे के सभी स्टेशन पर दाखिल होने से लेकर बाहर निकलने तक टेक्टाइल टाइल गाइड करेगी।

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    जमीन पर लगी इस विशेष टाइल में विशेष प्रकार का उभार होता, जिस पर नेत्रहीन दिव्यांगजन चलेंगे। जहां दाहिने या बाएं घूमना होगा, वहां बबल टाइल लगी होगी, जिसे वार्निंग टाइल भी कहते हैं। नेत्रहीनों के टाइल का रंग अन्य टाइल से अलग यानी पीले रंग का होगा, जिस पर आम यात्री न चलें। लिफ्ट के बटन में हर मंजिल के लिए ब्रेल लिपि में अंक अंकित होगा। वहीं, दिव्यांग यात्रियों के लिए स्टेशनों पर रैंप और व्हीलचेयर की व्यवस्था रहेगी।

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    इसके साथ ही लोगों के बैठने के ल‍िए बने गोंडोला की सीट फोल्ड करके व्हील चेयर के साथ यात्री बैठ सकेंगे। कैंट स्टेशन से शुरू होकर गोदौलिया चौराहे तक पांच रोपवे स्टेशन होंगे, कुल दूरी 3.85 किलोमीटर होगी। यह यात्रा करीब 16 मिनट में तय होगी। 29 टावरों के सहारे 45 से 50 मीटर ऊंचे हवाई मार्ग से 148 गोंडोला (ट्राली कार) चलेगी। एक ट्राली में 10 पैसेंजर सवार हो सकते हैं। एक दिशा में एक घंटे में 3,000 लोग यात्रा कर सकेंगे यानि 6,000 लोग दोनों दिशा से एक घंटे में आ-जा सकेंगे।

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