वाराणसी के आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 सितंबर से आधारशिला नामक नया पाठ्यक्रम शुरू होगा। यह पाठ्यक्रम तीन से छह वर्ष के बच्चों को खेल और कहानियों के माध्यम से कंप्यूटर विज्ञान और ब्रह्मांड जैसे विषयों से परिचित कराएगा। इसका उद्देश्य बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करना है जिसमें उनका त्रैमासिक मूल्यांकन भी किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए तैयार नया पाठ्यक्रम आधारिशला एक सितंबर से जिले में प्रभावी होने जा रहा है। तय अवधि में अगर प्रभावी हुआ तो यूपी का पहला जिला प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होगा।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह भी पढ़ें : Varanasi Weather Report : पूर्वांचल में बादलों ने छोड़ा साथ, उमस ने निकाला पसीना, जानिए कब होगी बरसात
जनसहयोग एवं बाल विकास संस्थान, नई दिल्ली की ओर से तैयार यह पाठयक्रम पूरी तरह विकसित भारत के भविष्य को तराशने की दृष्टि से तैयार किया गया है। 332 पन्ने का पाठ्यक्रम सप्ताह आधारित है। साप्ताहिक खेल कैलेंडर के अलावा चार सप्ताह की प्रारंभिक अवधि के साथ साथ शैक्षणिक गतिविधियां शामिल हैं। बच्चों को घर से आंगनबाड़ी केंद्र में मज़ेदार और मुक्त खेल में शामिल करके उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।
यह भी पढ़ें : बलिया में एनएच- 31 पर फिर शुरू हुआ रिसाव, गांव में मची अफरा- तफरी, प्रशासन मरम्मत में जुटा
अगले 36 सप्ताह अन्वेषण, मुक्त खेल, बातचीत, सृजन और प्रशंसा, चिंतन में व्यतीत होंगे। इसमें कहानी सुनाना, कविताएं गाना, कला और शिल्प आदि जैसी विभिन्न गतिविधियां शामिल हैं। कहानी सुनाने के विषय संघर्ष समाधान, ज़िम्मेदारी लेने, दूसरों के साथ काम करने और उनकी मदद करने के इर्द-गिर्द घूमते हैं। परंपरागत कहानी को छोड़ इसमें विज्ञान, कंप्यूटर, ब्रह्मांड से साक्षात्कार कराने की ज्यादा कोशिश है।
यह भी पढ़ें : जीआरपी और आरपीएफ ने 11 लाख के चांदी के आभूषण किए बरामद, दो तस्कर गिरफ्तार
जैसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों से ही पूछती है कि आप ने आसमान देखा। क्या दिखता है। बच्चे कहते है कि तारे, चांद दिखते हैं.. इसी आधार पर वह पूरे ब्रह्मांड की रचना बच्चों को समझाती है। इसी के साथ बच्चे रंगों, आकृतियों, संख्याओं, इंद्रियों के प्रयोग, शरीर के अंगों, परिवार और मित्रों, निर्देशों को सुनने और उनका जवाब देने, बुनियादी गिनती, ध्वनियों की नकल करने और उन्हें पहचानने, मौसम, त्योहार, भोजन आदि जैसे विषयों के बारे सीखेगे। अंतिम आठ सप्ताह बच्चों के प्रदर्शन, अवलोकन के साथ पिछले सप्ताह की सीख को दोहराने और सुदृढ़ करने में व्यतीत होंगे। इस पाठयक्रम में बच्चों की रुचि को विशेष ध्यान रखा गया है। पाठ्यक्रम का लक्ष्य तीन साल की अवधि में कम से कम 48 हफ़्ते शिक्षा प्रदान करना है।
यह भी पढ़ें : जीआरपी और आरपीएफ ने 11 लाख के चांदी के आभूषण किए बरामद, दो तस्कर गिरफ्तार
बच्चों के लिए कोई किताब नहीं
आंगनबाड़ी में तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए कोई किताब नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस पाठ्यक्रम के तहत बच्चों को खेल खेल व कहानी के जरिए सब कुछ बताना है।
यह भी पढ़ें : वाराणसी में देह व्यापार मामले में दो स्पा सेंटरों के मालिकों समेत 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज
बोले अधिकारी
नया पाठयक्रम पूरी तरह आधुनिकता को समेटे हुए हैं। पहले अनौपचारिक शिक्षा थी अब फार्मल एजुकेशन है। निपुण लक्ष्य निर्धारित है। आंगनबाड़ी के बच्चों का त्रैमासिक मूल्यांकन भी होगा ।आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस माह पाठयक्रम को प्रभावी करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। सुपरवाइजरों की ट्रेनिंग पहले ही हो चुकी है। इस नए पाठयक्रम को अगले माह से प्रभावी करने की तैयारी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।