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    सीएसए यूनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति ने दिया इस्तीफा, महीने भर पहले राज्यपाल ने कैंपस में अव्यवस्था को लेकर जताई थी नाराजगी

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 08:12 PM (IST)

    कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. आनंद कुमार सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है और मंडलायुक्त के. विजयेंद्र पांडियन को कार्यभार सौंपा गया है।

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. आनंद कुमार सिंह ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को उनका त्यागपत्र स्वीकार कर मंडलायुक्त के.विजयेंद्र पांडियन को कार्यभार सौंप दिया है। वह अगले आदेश या छह माह की अवधि या फिर नए कुलपति के चयन तक इस पद का दायित्व संभालेंगे। डा. सिंह के त्यागपत्र की अटकलें पिछले महीने से ही तेज हो गई थीं जब दीक्षा समारोह के दौरान विश्वविद्यालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर राज्यपाल ने नाराजगी जताई थी और समीक्षा बैठक कर कामकाज संचालन की टिप्स दी थी।

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    प्रदेश की राज्यपाल व विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की ओर से मंगलवार को जारी आदेश पत्र में बताया गया है कि डा.आनंद कुमार सिंह ने 13 अक्टूबर को अपना त्यागपत्र राजभवन को सौंप दिया था। इसी क्रम में मंगलवार दोपहर बाद राज्यपाल ने त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। मंडलायुक्त ने मंगलवार शाम को कार्यभार संभाल भी लिया है।

    सीएसए के बीती 18 सितंबर को आयोजित 27वें दीक्षा समारोह की अध्यक्षता के दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कामकाज पर कठोर टिप्पणी की थी। उन्होंने अपनी टीम भेजकर विश्वविद्यालय के छात्रावास, पुस्तकालय और शिक्षण व्यवस्था की जानकारी जुटाई थी। मंच से सार्वजनिक तौर पर कमियों को उजागर किया और विश्वविद्यालय के कामकाज को सुधारने का लक्ष्य भी सौंपा। इसके बाद उनके निर्देश पर राजभवन के अधिकारियों की टीम ने भी विश्वविद्यालय का इसी माह दौरा किया।

    कुलपति ने स्थितियों को सुधारने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं रहे। विश्वविद्यालय में कुछ चुनिंदा लोगों को ही प्रमुख दायित्व सौंपने के आरोप भी उन पर लगे। इसके बाद कुलपति के त्यागपत्र की अटकलें तेज हो गई थीं। कुलपति ने इसका खंडन किया लेकिन अब राज्यपाल के पत्र से स्पष्ट हो गया कि उन्होंने 13 अक्टूबर को ही पद छोड़ने का पत्र राजभवन भेज दिया था।

    ढाई साल से कम रहा कार्यकाल

    सीएसए कुलपति के तौर पर डा.आनंद का कार्यकाल दो साल पांच महीने का रहा। उन्हें 26 मई 2023 को कुलपति नियुक्त किया गया था। तब वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक बागवानी के पद पर तैनात थे। उनके कार्यकाल में सीएसए को कई विकास योजनाओं के लिए शासन से धन मिला। जापानी कंपनियों के साथ मिलकर उन्होंने विश्वविद्यालय के फार्म हाउस पर नए प्रयोग की शुरुआत भी कराई। उनके कार्यकाल में आयोजित पहले किसान मेले में राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों ने हिस्सा लिया था।

    यहां पढ़ें पूरा मामला

    बता दें कि 18 सितंबर को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) का 27 वां दीक्षा समारोह के दौरान कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल विश्वविद्यालय की बदहाल स्थिति को लेकर नाराजगी जताई। सीएसए की रैंकिंग गिरने और पठन-पाठन के स्तर पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब रैंक नीचे जा रही है तो विश्वविद्यालय अच्छा कैसे हो सकता है। छात्रावासों में शौचालय से लेकर स्नानागार तक की स्थिति बदहाल है। दुर्गंध और गंदगी के बीच छात्र रहने को मजबूर हैं। गेस्ट टीचर के भरोसे पूरा विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। नियमित शिक्षक अपनी कक्षाओं में पढ़ाने नहीं जाते हैं।

    सुनाई थी खरी-खरी


    सीएसए के कैलाश भवन सभागार में आयोजित दीक्षा समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रबंध तंत्र और शिक्षकों को खरी-खरी सुनाई थी। राज्यपाल जब विश्वविद्यालय की नाकामियों को उजागर कर थीं तो सभागार में मौजूद उपाधि धारकों ने जोरदार तालियां बजाकर उनका समर्थन किया था। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय की एनआइआरएफ रैंकिंग पहले 30 थी, जो अब 38 हो गई है। इसका मतलब विश्वविद्यालय ठीक से काम नहीं कर रहा है। यहां आने से पहले मैंने अपनी टीम को विश्वविद्यालय का हाल जानने भेजा था। छात्रावासों के शौचालय और स्नानागार टूटे हुए हैं। गंदगी फैली हुई है और सीवर का पानी ओवरफ्लो होकर बह रहे हैं। यही नहीं भवन भी जर्जर हैं। डेरी विभाग में 500 गाय और भैंस हैं, लेकिन दूध का उत्पादन नहीं होता। स्विमिंग पूल बंद है। खेल गतिविधियां शून्य हैं।

    व्यवस्था सुधारने के लिए दिया गया था एक माह का मौका


    राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव सुधीर एम बोबड़े ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के काम-काज की समीक्षा बैठक में विश्वविद्यालय के छात्रावासों में व्याप्त गंदगी और विकास कार्यों में देरी पर नाराजगी जताई थी। विश्वविद्यालय में हो रही भर्ती के रोस्टर को शासन से स्वीकृत कराने के बारे में भी बैठक में पूछा गया था। राज्यपाल की टीम ने व्यवस्था सुधारने के लिए एक माह का मौका दिया था। इससे पहले राज्यपाल के निर्देश पर राजभवन से आई पांच टीमों ने विश्वविद्यालय परिसर का निरीक्षण कर अव्यवस्थाओं की सूची तैयार की थी।

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