Akhilesh Dubey Case: कड़ी सुरक्षा में जेल से कोर्ट लाया गया अखिलेश, झूठे साक्ष्य देने में रिमांड मंजूर
कानपुर में अखिलेश दुबे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं न्यायालय ने उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। उन पर झूठे साक्ष्य देने रंगदारी वसूलने और एक सिपाही की जमीन पर कब्जा करने जैसे गंभीर आरोप हैं। पीड़ितों ने सामूहिक रूप से उनके खिलाफ आवाज उठाई है जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला लिया। अदालत में पेशी के दौरान अखिलेश दुबे ने मीडियाकर्मियों को धमकाया भी।

जागरण संवदादाता, कानपुर। अखिलेश दुबे के अपराध की कुंडली लगातार खुलती जा रही है। एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। एक के बाद एक केस दर्ज होते जा रहे हैं। पहले एक-एक कर पीड़ित सामने आए, फिर पीड़ितों ने सामूहिक तौर पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर दी। अब शुक्रवार को कोर्ट ने न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली।
विवेचना में झूठे साक्ष्य देने और किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए झूठा आरोप लगाने से संबंधित आईपीसी की धारा 195 व 211 में अधिवक्ता अखिलेश दुबे 24 सितंबर तक का न्यायिक रिमांड मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट ने मंजूर कर ली है। इस मुकदमे में अखिलेश दुबे को जमानत मिल चुकी थी। उसे शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा में जेल से कोर्ट लाया गया था।
10 लोखों पर कराया था केस
कोतवाली में अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने अखिलेश दुबे व पप्पू स्मार्ट समेत 10 नामजद लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मुकदमे में रंगदारी वसूलने, गाली-गलौज करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। इससे रंजिश मानकर गिरोह के लोगों ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर उन्हें पाक्सो एक्ट के दो झूठे मुकदमों में फंसा दिया और 10 लाख रुपये रंगदारी मांगी। उन्होंने एक लाख रुपये संदीप शुक्ला ने दिए, लेकिन इसके बाद भी यह लोग नहीं माने। रंगदारी वसूलने, जान से मारने की धमकी देने के आरोप में अखिलेश व महिला की न्यायिक हिरासत मंजूर हुई थी।
दिए थे झूठे साक्ष्य
विवेचना में झूठे साक्ष्य देने और किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए झूठा आरोप लगाने से संबंधित आईपीसी की धारा 195 व 211 की बढ़ोत्तरी की गई है। विवेचक ने इस मुकदमे में भी दोनों की न्यायिक हिरासत की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने अखिलेश दुबे को तलब किया था। शुक्रवार को इन दोनों धाराओं में उसकी न्यायिक अभिरक्षा मंजूर कर ली।
मीडियाकर्मियों को धमकाया
अदालत लाए गए अधिवक्ता अखिलेश दुबे ने मीडियाकर्मियों को धमकाया। कलक्ट्रेट कंपाउंड में पुलिस अदालत ले जाने के लिए अखिलेश को वाहन से उतारने लगी तो छायाकारों को देखकर बोले कि पहले इन्हें हटाइए। क्या तमाशा बना रखा है। फिर भी पुलिसकर्मी उन्हें उतारने लगे तो छायाकारों की तरफ देखते हुए कहा कि एक-एक को आइडेंटी फाई कर रहा हूं। इसके बाद वह अपना चेहरा छिपाने का प्रयास करने लगे।
11 सितंबर: एक साथ पीड़ितों ने बया किया था दर्द
11 सितंबर को अधिवक्ता अखिलेश दुबे के सताए पीड़ित एक मंच पर आए। पीड़ितों ने प्रेसवार्ता कर अखिलेश गिरोह की प्रताड़ना का दर्द बयां किया। करीब एक दर्जन पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आए। उनके मुताबिक दर्जनों की संख्या में पीड़ित अभी और हैं। पीड़ितों ने जहां पुलिस कार्रवाई की तारीफ की, वहीं केडीए, नगर निगम, राजस्व विभाग समेत अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों पर सवाल उठाकर कहा कि जब सब अवैध है तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
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10 सितंबर: 2.5 करोड़ रंगदारी वसूलने में अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज
10 सितंबर को जिला जज चवन प्रकाश की कोर्ट ने होटल कारोबारी से 2.5 करोड़ रंगदारी वसूलने के मुकदमे में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। सात अगस्त को स्वरूप नगर निवासी होटल कारोबारी सुरेश पाल ने अखिलेश और लवी के खिलाफ किदवई नगर थाने में केस दर्ज कराया था। आरोप था कि वर्ष 2021 में अधिवक्ता ने उन्हें वाट्सएप काल करके साकेत नगर स्थित कार्यालय पर बुलाया। 26 मई 2022 को किदवईनगर की एक युवती ने उनके खिलाफ नौबस्ता थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। इसमें घर में घुसकर हमला, सामूहिक दुष्कर्म, पाक्सो और धमकाने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद दहशत में उन्होंने शहर ही छोड़ दिया था। फिर एक दिन अचानक अखिलेश दुबे की वाट्सएप काल आई। गिरफ्तारी की बात बताई। वह मिलने पहुंचे तो अखिलेश ने मामला रफादफा करवाने के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे। बाद में उनसे कई बार में ढाई करोड़ रुपये वसूले गए।
9 सितंबर को एक और कारनामा आया सामने
गोविंद नगर निवासी राजा पांडेय ने बताया कि वह सिपाही हैं और वर्तमान में लखनऊ में प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात हैं। उनका पैतृक गांव बिधनू का बाजपुर है लेकिन नौकरी के चलते गांव की करीब 13 बीघा जमीन, घर, कुआं व मंदिर की देखरेख दो भांजे करते थे। वर्ष 2006 में अखिलेश दुबे के भाई निखिलेश ने बिधनू के बाजपुर के खेत एक परिहार परिवार से खरीदे थे। बगल में मेरी जमीन थी, जिस पर उसकी नजर पड़ी। उसने जमीन को कब्जाने के लिए पहले भांजों कल्लू व मनोज को अपने साकेत नगर दरबार में बुलवाया और काम देने व रुपयों का लालच दिया। कुछ दिन बाद उसने जमीन खरीदने की बात कही। भांजों के कहने पर वह लखनऊ से अखिलेश दुबे के कार्यालय पहुंचे लेकिन पैतृक जमीन बेचने से इन्कार कर दिया। बहाने से कुछ हिस्सा बेचने के लिए उसने राजी कर लिया, जिसमें 50 लाख रुपये में पौने तीन बीघा जमीन का सौदा हुआ। 20 जून 2006 को मात्र एक लाख रुपये एडवांस देकर निखिलेश ने रमईपुर की डेढ़ बीघा जमीन की रजिस्ट्री करा ली। बाकी रुपये बाद में देने का वादा किया। उसने कहा कि जब तक बाकी जमीन की लिखापढ़ी नहीं करोगे तब तक रुपये नहीं देंगे। इसके बाद वर्ष 2008 में अखिलेश दुबे के दरबार में फिर बुलाया गया। वहां जब पहुंचे तो अखिलेश के गुर्गे ने उन्हें कार में बैठाया और कचहरी ले गए। राजा के मुताबिक, वह आठवीं तक पढ़े हैं। इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं थी। आरोपितों ने झांसे में रखकर उनसे सात बीघा जमीन की रजिस्ट्री निखिलेश के नाम पर, चार-पांच बीघा उसके परिवार की महिला के नाम पर करा ली। इसके एवज में मात्र 11 लाख रुपये की चेक दी गई। इस तरह से आरोपितों ने करीब 13 बीघा जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद जबरन उनका पैतृक घर, कुआं व मंदिर तक कब्जा लिया और एक रुपये भी नहीं दिए। जब भांजों से कहा कि बाकी रुपये दिलाएं तो उन दोनों ने भी डराया कि उनके यहां बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी आते हैं। नौकरी तक चली जाएगी। पीड़ित ने मंगलवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई।
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