Akhilesh Dubey Case: अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज, कोर्ट ने माना-अपराध गंभीर प्रकृति का
कानपुर होटल व्यवसायी से 2.5 करोड़ की रंगदारी मांगने के आरोप में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। दुबे पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर रंगदारी वसूलने और मारपीट करने का आरोप है। अभियोजन पक्ष ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत का विरोध किया जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

जागरण संवाददाता, कानपुर। जिला जज चवन प्रकाश की कोर्ट ने होटल कारोबारी से 2.5 करोड़ रंगदारी वसूलने के मुकदमे में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अभियोजन की ओर से तर्क दिया गया कि अपराध गंभीर प्रकृति है और सह अभियुक्त लवी मिश्रा काे भी जमानत नहीं दी गई है। इस आधार पर कोर्ट ने जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया है।
सात अगस्त को स्वरूप नगर निवासी होटल कारोबारी सुरेश पाल ने आरोपित अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा के खिलाफ किदवई नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि वर्ष 2021 में अधिवक्ता ने उन्हें वाट्सएप काल करके साकेत नगर स्थित अपने कार्यालय पर बुलाया। कहा कि कुछ लोग तुम्हें फंसाना चाहते हैं। बचने के लिए रुपये देने होंगे। अगर, रुपये नहीं दिए तो झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भिजवा देंगे।
इसके बाद 26 मई 2022 को किदवईनगर की एक युवती ने उनके खिलाफ नौबस्ता थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। इसमें घर में घुसकर हमला, सामूहिक दुष्कर्म, पाक्सो और धमकाने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद दहशत में उन्होंने शहर ही छोड़ दिया था। फिर एक दिन अचानक से अखिलेश दुबे की वाट्सएप काल आई और कहा कि वह उनसे आकर मिलें। उन्होंने गिरफ्तारी की आशंका जताई तो उन्हें पूरा भरोसा दिलाया कि उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी।
वह मिलने पहुंचे तो अखिलेश ने मामले को रफादफा करवाने के लिए पांच करोड़ रुपये की मांग की। बाद में उनसे कई बार में ढाई करोड़ रुपये वसूले गए। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी दिलीप अवस्थी ने बताया कि बचाव पक्ष की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि घटना वर्ष 2021 की बताई गई है, जबिक उसके बाद की कोई तारीख का जिक्र नहीं किया गया है। सिर्फ फंसाने के लिए पुलिस ने वादी से तहरीर लिखवाई है।
वहीं, अभियोजन ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित ने होटल कारोबारी के खिलाफ सुनियोजित ढंग से सामूहिक दुष्कर्म और पाक्सो का झूठा मुकदमा दर्ज कराया। रुपये देने के बाद मुकदमे में अखिलेश दुबे ने उन्हें बताया कि विवेचक ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी है। आरोपित ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है। कोर्ट ने विवेचना के दौरान संकलित साक्ष्य, वादी मुकदमा और साक्षियों के बयानों को दृष्टिगत रखते हुए गंभीर प्रकृति का अपराध माना और जमानत प्रार्थनापत्र काे खारिज कर दिया है।
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