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    अखिलेश दुबे के परिवार ने कब्जाई सिपाही की 13 बीघा जमीन और पैतृक घर, भांजों को लालच देकर किया था कांड

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 01:48 PM (IST)

    कानपुर से एक नया मामला सामने आया है जिसमें अखिलेश दुबे और उसके परिवार पर एक सिपाही की 13 बीघा जमीन हड़पने का आरोप है। दुबे और उसके भाई ने सिपाही के भांजों को लालच देकर और दबाव बनाकर जमीन मकान कुआं और मंदिर अपने नाम करवा लिए। पीड़ित सिपाही ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है जिसके बाद एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है।

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    अखिलेश दुबे के परिवार ने कब्जाई सिपाही की 13 बीघा जमीन और पैतृक मकान। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर । अखिलेश दुबे और उसके परिवार का एक और कारनामा सामने आया। पुलिसकर्मियों के मददगार बनने वाले अखिलेश दुबे, उसके भाई समेत परिवार के सदस्यों ने अपने गुर्गों के जरिये पहले एक सिपाही के भांजों को लालच देकर अपनी तरफ किया, फिर दबाव बना सिपाही की बिधनू के रमईपुर में करीब 13 बीघा जमीन, पैतृक मकान, कुआं व मंदिर तक अपने पक्ष में लिखवा लिया।

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    आरोपितों के प्रभाव में पीड़ित की कहीं सुनवाई नहीं हुई। आपरेशन महाकाल के तहत अब पीड़ित सिपाही ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई है। एसआइटी ने जांच शुरू कर दी है। गोविंद नगर निवासी राजा पांडेय ने बताया कि वह सिपाही हैं और वर्तमान में लखनऊ में प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात हैं। उनका पैतृक गांव बिधनू का बाजपुर है लेकिन नौकरी के चलते गांव की करीब 13 बीघा जमीन, घर, कुआं व मंदिर की देखरेख दो भांजे करते थे।

    काम और रुपये देने का दिया लालच 

    वर्ष 2006 में अखिलेश दुबे के भाई निखिलेश ने बिधनू के बाजपुर के खेत एक परिहार परिवार से खरीदे थे। बगल में मेरी जमीन थी, जिस पर उसकी नजर पड़ी। उसने जमीन को कब्जाने के लिए पहले भांजों कल्लू व मनोज को अपने साकेत नगर दरबार में बुलवाया और काम देने व रुपयों का लालच दिया। कुछ दिन बाद उसने जमीन खरीदने की बात कही।

    भांजों के कहने पर वह लखनऊ से अखिलेश दुबे के कार्यालय पहुंचे लेकिन पैतृक जमीन बेचने से इन्कार कर दिया। बहाने से कुछ हिस्सा बेचने के लिए उसने राजी कर लिया, जिसमें 50 लाख रुपये में पौने तीन बीघा जमीन का सौदा हुआ।

    20 जून 2006 को मात्र एक लाख रुपये एडवांस देकर निखिलेश ने रमईपुर की डेढ़ बीघा जमीन की रजिस्ट्री करा ली। बाकी रुपये बाद में देने का वादा किया। उसने कहा कि जब तक बाकी जमीन की लिखापढ़ी नहीं करोगे तब तक रुपये नहीं देंगे। इसके बाद वर्ष 2008 में अखिलेश दुबे के दरबार में फिर बुलाया गया।

    अखिलेश के गुर्गे ने कार में बैठाया

    वहां जब पहुंचे तो अखिलेश के गुर्गे ने उन्हें कार में बैठाया और कचहरी ले गए। राजा के मुताबिक, वह आठवीं तक पढ़े हैं। इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं थी। आरोपितों ने झांसे में रखकर उनसे सात बीघा जमीन की रजिस्ट्री निखिलेश के नाम पर, चार-पांच बीघा उसके परिवार की महिला के नाम पर करा ली। इसके एवज में मात्र 11 लाख रुपये की चेक दी गई।

    इस तरह से आरोपितों ने करीब 13 बीघा जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद जबरन उनका पैतृक घर, कुआं व मंदिर तक कब्जा लिया और एक रुपये भी नहीं दिए। जब भांजों से कहा कि बाकी रुपये दिलाएं तो उन दोनों ने भी डराया कि उनके यहां बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी आते हैं। नौकरी तक चली जाएगी। पीड़ित ने मंगलवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुहार लगाई।