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कांग्रेस यानी नेहरू-गांधी परिवार : यहां वंशवाद की बेल है बड़ी मजबूत

अक्सर बहस सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के संदर्भ में इसलिए होती है क्योंकि कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है तो जाहिर है कि उसमें वंशवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 11:24 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 12:36 PM (IST)
कांग्रेस यानी नेहरू-गांधी परिवार : यहां वंशवाद की बेल है बड़ी मजबूत
कांग्रेस यानी नेहरू-गांधी परिवार : यहां वंशवाद की बेल है बड़ी मजबूत

अंकुर अग्निहोत्री। देश की सभी सियासी पार्टियां परिवार के रोग से ग्रस्त हैं। कई राजनेता और कई दल इसी की चपेट में हैं। लेकिन अक्सर बहस सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के संदर्भ में इसलिए होती है क्योंकि कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है तो जाहिर है कि उसमें वंशवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं।

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पं. मोतीलाल नेहरू गांधी परिवार के राजनीति में आने का सिलसिला मोतीलाल नेहरू से शुरू होता है। पिछली सदी के पांचवें दशक में कांग्रेस सदस्य के रूप में काम किया और अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भाग लिया। 1919-1920 और 1928-1929 के दौरान 2 बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। अपनी राजनीतिक विरासत बेटे जवाहरलाल नेहरू को सौंपी।

जवाहरलाल नेहरू
1912 में राजनीति में कदम रखा। 1923 में कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। आगे चलकर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के पद पर रहे।

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विजय लक्ष्मी पंडित
पं. मोतीलाल नेहरू की बेटी विजय लक्षमी पंडित राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के साथ सोवियत संघ समेत कई देशों में राजदूत होने के साथ संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष रहीं।

इंदिरा गांधी
पंडित जवाहरलाल की इकलौती बेटी इंदिरा गांधी को 1958 में कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं। आगे चलकर देश की प्रधानमंत्री बनीं। 1984 में उनकी हत्या कर दी गई।

फिरोज गांधी
इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी रायबरेली से सांसद रहे। साथ ही नेहरू की कई नीतियों के आलोचक रहे।

राजीव गांधी
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बड़े बेटे राजीव गांधी ने 1984 में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

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संजय गांधी
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की 1980 में राजनीति में एंट्री हुई। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि इंदिरा की कैबिनेट में संजय गांधी का सीधे तौर पर दखल था। उत्तर प्रदेश के अमेठी से आम चुनाव जीता।

सोनिया गांधी
राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी 15 वर्षों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। अभी संप्रग की चेयरमैन और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीटे से सांसद हैं।

राहुल गांधी
राजीव-सोनिया के पुत्र राहुल गांधी अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साथ ही अमेठी से सांसद भी हैं।

प्रियंका गांधी
2019 चुनाव में सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका ने राजनीति में एंट्री की है। उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया है। साथ ही वह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र की प्रभारी भी हैं। यह पहली बार है जब प्रियंका को कांग्रेस में जिम्मेदारी मिली है। इससे पहले वह गाहे- बगाहे राहुल और सोनिया गांधी के साथ चुनावी रैलियों में देखी जाती थीं।

मेनका गांधी
पति संजय गांधी की मौत के बाद राजनीति में कदम रखा। पारिवारिक खटास के चलते कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में शामिल हुईं। पीलीभीत से सांसद मेनका गांधी मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं।

वरुण गांधी
संजय-मेनका के पुत्र वरुण गांधी अभी सुल्तानपुर सीट से सांसद हैं।

चुनाव की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें


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