प्रेम की उलटबांसी
प्रेम मन का वह कोमल भाव है जिसकी अभिव्यक्ति भी उतनी ही संवेदनशीलता मांगती है। हर भाषा का साहित्य प्रेम के विविध रूपों से भरा है। लोक भी प्रेम की व्याख्या निराले ढंग से करता है।
प्रेम मन का वह कोमल भाव है जिसकी अभिव्यक्ति भी उतनी ही संवेदनशीलता मांगती है। हर भाषा का साहित्य प्रेम के विविध रूपों से भरा है। लोक भी प्रेम की व्याख्या निराले ढंग से करता है। भला कौन है जो मीरजापुर की इस कजरी पर मोहित न हो उठे-अरे रामा पेंग बढ़ावे राधा प्यारी, पिया को लागी प्यारी री होरी। प्रेम है तो मनुष्य है। प्रेम है तो जग है। हिंदी फिल्में तो प्रेम के प्रकटीकरण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका गीत-संगीत प्रेमरस की धुन सुनाता आया है। गंगा जमुना का यह गीत आज भी जुबान पर चढ़ता है, नैन लड़ जइहैं..। लेकिन, मनुष्य का मन विचित्र भी तो है। वह प्रेम का अर्थ जबरदस्ती करना भी समझ बैठा है। आज से नहीं पहले भी ऐसा होता था। नारी का हरण पुरुष के इसी हठ का ही तो परिणाम था। इसीलिए प्रेम प्रतीक कृष्ण के अनुरागी रसखान को कहना पड़ा, प्रेम प्रेम सब कोऊ कहत, प्रेम न जानत कोई..जो जन जानै प्रेम तो मरे जगत क्यों रोई। प्रेम थोपा नहीं जा सकता। यह या तो होता है या नहीं होता। संस्कारी पुरुष यह समझते हैं किंतु समाज में दुराचारी भी तो हैं।
इसी कुत्सित सोच का दुष्परिणाम वे लड़कियां ङोलती हैं जिन पर उनके पड़ोसी, सहपाठी और कहीं कहीं संबंधी भी अपना प्रेम जबरिया थोपते हैं। पुरुष को लड़की भा गयी और बस उन्होंने उससे प्रेम करना अपना अधिकार मान लिया। इन दिनों उत्तर प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें लड़के की ज्यादती की शिकार लड़की ने परेशान होकर जान दे दी। शुक्रवार को लखनऊ में भी ऐसी ही एक दुखद घटना हुई। क्या बेटी का जीवन इतना सस्ता है कि दूषित मानसिकता की बलि चढ़ जाए। बेटियों के दम से घर और जीवन में रौनक होती है। वे इसलिए नहीं होतीं कि किसी का इकतरफा प्यार उनकी जिंदगी ले ले। यदि कोई लड़का किसी लड़की पर अधिकार जताता है तो गलती उस लड़के के मां बाप की है जो अपने पुत्र को संस्कार नहीं दे सके। केवल कानून के भरोसे यह समस्या नहीं मरेगी। लड़कियों को समाधान स्वयं निकालना होगा। उन्हें अपने को इतना दृढ़ करना होगा कि लड़कों के अधिकार प्रदर्शन का जवाब दे सकें। ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल मां या बड़ी बहन को भरोसे में लेना चाहिए। समाज से भी अपेक्षित है कि ऐसी हरकत करने वाले लड़कों का सामाजिक बहिष्कार करे।
[स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश]
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