तेजी से खुलते वैश्विक व्यापार के दरवाजे, साकार होतीं भारत के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावनाएं
भारत-आस्ट्रेलिया के बीच एफटीए इस वर्ष हुआ दूसरा एफटीए है। इसके पहले फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ इसी तरह का समझौता हुआ था। इस एफटीए को समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीपा) नाम दिया गया है।
डा. जयंतीलाल भंडारी : इस समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चुनौतियों से घिरी हुई है, तब भारत मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिये आगामी वर्षों में निवेश, निर्यात, रोजगार और विकास की तेज रफ्तार की रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। पिछले दिनों आस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) को मंजूरी दे दी। भारत-आस्ट्रेलिया के उद्योग मंत्रियों ने दो अप्रैल को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके एक जनवरी, 2023 से लागू होने की उम्मीद है।
भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार को करीब 27 अरब डालर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डालर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। एफटीए के लागू होने के बाद आस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 प्रतिशत निर्यात और भारत को आस्ट्रेलिया का करीब 85 प्रतिशत निर्यात शुल्क मुक्ति के साथ किया जा सकेगा। इसके तहत कपड़ा, आभूषण, चमड़ा, कृषि एवं मत्स्य उत्पाद और इलेक्ट्रिक आदि सामानों को आस्ट्रेलिया में शुल्क मुक्त पहुंच मिल सकेगी।
भारत ने आस्ट्रेलिया के लिए जिन वस्तुओं पर शून्य शुल्क की पेशकश की है, उनमें मुख्य रूप से कच्ची सामग्री, कोयला, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल हैं। सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) के मुताबिक भारत-आस्ट्रेलिया के बीच हुए एफटीए से दोनों देशों के बीच वर्तमान 1.9 अरब डालर का सेवा निर्यात आगामी पांच वर्ष में बढ़कर पांच अरब डालर होने का अनुमान है। हमारे प्रतिस्पर्धी बांग्लादेश का आस्ट्रेलिया के साथ पहले ही एफटीए है। इससे उसे पांच प्रतिशत का लाभ मिलता है। अब नए समझौते से शुल्क मुक्ति के कारण भारत भी अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाकर आस्ट्रेलिया में निर्यात बढ़ा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत-आस्ट्रेलिया के बीच एफटीए इस वर्ष हुआ दूसरा एफटीए है। इसके पहले फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ इसी तरह का समझौता हुआ था। इस एफटीए को समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीपा) नाम दिया गया है। इस व्यापार समझौते से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार पांच साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डालर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि इस समय करीब 60 अरब डालर है।
इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है। एफटीए के तहत दोनों देशों द्वारा इस वर्ष एक मई से विभिन्न क्षेत्रों की निर्धारित वस्तुओं को शुल्क मुक्त और रियायती शुल्क पर व्यापार की अनुमति दी गई है। भारत द्वारा यूएई को कपड़ा, आभूषण, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प एवं खेलकूद के सामान, कीमती रत्न, खनिज, खाद्य वस्तुएं, मशीनरी एवं रसायन जैसे उत्पाद निर्धारित रियायतों पर भेजे जा रहे हैं। यूएई के बाजार में अब किसी भी भारतीय फार्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों में शून्य शुल्क पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। एफटीए लागू होने के बाद वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच भी हर महीने भारत से यूएई को निर्यात में वृद्धि हो रही है। पिछले साल जून से अक्टूबर के दौरान भारत ने यूएई को 11.27 अरब डालर का निर्यात किया था, जो इस वर्ष इसी अवधि में बढ़कर 12.67 अरब डालर तक पहुंच गया है। इतना ही नहीं एफटीए के कारण ड्यूटी में कमी होने से इस वर्ष मई से अक्टूबर तक यूएई को किए गए निर्यात से भारत को 1235 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।
भारत द्वारा आस्ट्रेलिया और यूएई के साथ एफटीए लाभकारी हैं। ज्ञात हो कि 15 नवंबर, 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनमिक पार्टनरशिप (आरसेप) में भारत ने अपने आर्थिक एवं कारोबारी हितों के मद्देनजर शामिल होना उचित नहीं समझा था। फिर आरसेप से दूरी के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढ़ने की नई सोच विकसित की गई। इस समय भारत विदेश व्यापार नीति को नया मोड़ देते हुए दुनिया के प्रमुख देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे दुनिया में यह संदेश जा रहा है कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं।
भारत द्वारा आस्ट्रेलिया और यूएई के साथ एफटीए के बाद अब कनाडा, ब्रिटेन, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजरायल के साथ एफटीए के लिए तेजी से रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं। ये ऐसे देश हैं, जिनके साथ एफटीए भारत के लिए अधिक लाभप्रद साबित होंगे। ये देश भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने को उत्सुक हैं। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवा क्षेत्र की पहुंच दुनिया के एक बहुत बड़े बाजार तक हो सकेगी। गत दिनों जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ हुई वार्ता के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र आकार लेने की संभावना बढ़ी है।
हम उम्मीद करें कि जब 2023 में भारत के हाथों में जी-20 की कमान होगी और कई देशों के साथ भारत के एफटीए का विस्तार होगा तो देश में विदेशी निवेश बढ़ेगा तथा देश मैन्यूफैक्चरिंग हब एवं ‘मेक फार द वर्ल्ड’ के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ेगा। प्रसिद्ध वैश्विक निवेश बैंक मार्गन स्टैनली की रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो प्रबल संभावना बताई गई है, वह साकार होते हुए दिखाई देगी।
(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)
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