विचार: नई ऊंचाई पर भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध, विश्व में बढ़े तनाव के इस दौर में एक स्थिर और समृद्ध क्षेत्र बनाने की जरूरत
दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिज निवेश साझेदारी से जुड़े करार पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिन्हें संयुक्त रूप से विकसित किया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष नई और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान का समर्थन करता है।
फ्रांसेस एडमसन। मेरी भारत यात्रा के लिए यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण समय है। ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्ते आज नई बुलंदियों की ओर बढ़ रहे हैं। हमारे रिश्ते सिर्फ व्यापार और निवेश तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारे बीच उस गहरे जुड़ाव को भी रेखांकित करते हैं, जो दोनों देशों के लोगों के बीच वर्षों से कायम हैं। मेरा अनुभव है कि दो देशों के बीच रिश्तों के लिए वक्त, धैर्य और एक-दूसरे को समझने की इच्छा भी चाहिए होती है। हमें यह भी देखना होता है कि मौजूदा परिस्थितियां किस तरह हमारे सोचने के तरीके और प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकती हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और विशेष रूप से दक्षिण ऑस्ट्रेलिया राज्य सरकार ने भारत के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं।
गत वर्ष भारत में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया सरकार के दो प्रतिनिधियों की नियुक्ति इसका प्रमाण है कि भारत की हमारे लिए कितनी ज्यादा अहमियत है। इस वर्ष के आरंभ में हमारे व्यापार और निवेश मंत्री जो स्जाकस और (प्रीमियर) पीटर मालिनौस्कस की भारत यात्रा इसका उदाहरण है। हम भारत के साथ मिलकर ऐसे कदम उठाना चाहते हैं, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हों। शिक्षा में साझेदारी, हरित अर्थव्यवस्था में निवेश, पानी के बेहतर प्रबंधन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान या फिर हवाई, कृषि-खाद्य और पर्यटन की बात हो, ऑस्ट्रेलिया और खासकर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया प्रांत को न सिर्फ भारत, बल्कि पूरा दक्षिण एशिया भरोसेमंद साझेदार मान सकता है।
दीर्घकालिक निवेश के लिए भी दक्षिण ऑस्ट्रेलिया एक विश्वसनीय और लाभकारी साझेदार है। हम अपने यहां शांति और स्थिरता को बनाए रखने के साथ गर्म होती जलवायु की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए हरित ऊर्जा, निर्माण और कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में नए समाधानों की तलाश में जुटे हैं। हमारे यहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में हैं, जो हमारे समाज की विविधता को और अधिक बढ़ाते हैं। ये लोग हमारे रिश्तों की मजबूत नींव हैं।
शिक्षा के जरिये भी हमारे रिश्ते और गहरे हो रहे हैं, क्योंकि भारत ऑस्ट्रेलिया के इस हिस्से में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है। मेरी हालिया यात्रा का एक लक्ष्य शिक्षा क्षेत्र से भारत के जुड़ाव को और मजबूत बनाना भी है। ऑस्ट्रेलिया और भारत की अर्थव्यवस्थाएं कई मामलों में एक-दूसरे की पूरक हैं, खासकर अंतरिक्ष, सूचना तकनीक, एआइ और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में। ये क्षेत्र न सिर्फ भारतीय युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि दोनों देशों में नौकरियों और नए आविष्कारों के दरवाजे भी खोल रहे हैं।
हाल में ऑस्ट्रेलिया के उपप्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स नई दिल्ली में थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं सालगिरह मनाई, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारी साझेदारी की नींव है। 2022 के ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते ने दोनों देशों के बीच व्यापार को नई रफ्तार दी है। ऑस्ट्रेलिया और भारत अब इसे व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते में बदलने की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिज निवेश साझेदारी से जुड़े करार पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिन्हें संयुक्त रूप से विकसित किया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष नई और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान का समर्थन करता है।
हमारी अर्थव्यवस्थाओं की परस्पर पूरकता ऑस्ट्रेलिया और भारत को एक-दूसरे का स्वाभाविक साझेदार बनाती है। ऑस्ट्रेलिया द्वारा भारत को किए जाने वाले निर्यात का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा प्राकृतिक संसाधन हैं, जो दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इन दिनों दक्षिण ऑस्ट्रेलिया प्रांत की अर्थव्यवस्था भी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। हमारे यहां स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, कृषि और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर आधारित उद्योगों में काफी प्रगति हुई है। आस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी और आस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट आफ मशीन लर्निंग जैसे विश्वस्तरीय संस्थान हमारे यहां हैं।
हमने इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नवाचार परिसर स्थापित किए हैं, जो कई विश्वस्तरीय कंपनियों और स्टार्टअप का घर हैं। ये सभी विश्वविद्यालय और व्यावसायिक शिक्षा परिसरों से कुछ ही मिनटों की दूरी पर स्थित हैं। उनकी यह नजदीकी महज एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह छात्रों को अध्ययन के दौरान विश्वस्तरीय कंपनियों के साथ व्यावहारिक अनुभव और संपर्क प्राप्त करने और भविष्य के नियोक्ताओं के साथ जुड़ने में भी सक्षम बनाती है।
विश्वविद्यालय भागीदारी, खाद्य एवं वाइन मिशन, कृषि-प्रौद्योगिकी और सतत विकास में सहयोगी उपक्रमों के माध्यम से हम एक ऐसे भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां हमारी पारस्परिक समृद्धि हमारे साझा मूल्यों और आपसी सम्मान पर आधारित हो। आज जब दुनिया में रणनीतिक स्पर्धा के कारण तनाव और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, तब अपने साझेदारों के साथ मिलकर एक शांत, स्थिर और समृद्ध क्षेत्र बनाने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
(ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री रहीं लेखिका दक्षिण ऑस्ट्रेलिया प्रांत की गवर्नर हैं)
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