तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनता भारत, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता देश के प्रति धारणा को बना रही बेहतर
भारत की आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता उसके प्रति धारणा को बेहतर बना रही है। देश में राजकोषीय घाटा कम हो रहा है और राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी जारी है। भारत की आबादी नियामकीय पहल और सावरिन निवेशकों के अनुकूल माहौल से भी भारत को निवेश की पहली पसंद बनने में मदद मिली है। इसी कारण निवेश के लिए अब चीन नहीं बल्कि भारत निवेशकों की पसंद बन रहा है।
डा. जयंतीलाल भंडारी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। उनके तीसरे कार्यकाल पर मुहर तो अगले चुनाव के बाद ही लग पाएगी, लेकिन यह तय है कि भारत जल्द ही विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा।
संप्रति, विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत के बारे में दिग्गज वित्तीय संस्थानों का साल भर पहले तक अनुमान था कि वह 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी के पायदान पर पहुंच जाएगा। वहीं, हाल में प्रकाशित रिपोर्ट संकेत करती हैं कि भारत 2027 में ही यह उपलब्धि हासिल कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आइएमएफ और दिग्गज निवेश बैंक मार्गन स्टेनली की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। जापान की अर्थव्यवस्था के स्थिर होने और जर्मनी की आर्थिकी के सुस्त पड़ने से यह बहुत स्वाभाविक भी दिखता है।
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक की शोध इकाई इकोरैप की 27 जुलाई को आई रिपोर्ट में भी उल्लेख था कि भारत वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। तब भारत की जीडीपी के करीब 5.15 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
आर्थिक परिदृश्य पर और भी उत्साहजनक रुझान सामने आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट में भारत 140 देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे आगे पहुंच गया है। इनवेस्को ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार सावरिन वेल्थ फंड के निवेश को लेकर दुनिया के 142 मुख्य निवेश अधिकारियों ने भारत को पहली पसंद बताया है।
भारत की आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता उसके प्रति धारणा को बेहतर बना रही है। देश में राजकोषीय घाटा कम हो रहा है और राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी जारी है। भारत की आबादी, नियामकीय पहल और सावरिन निवेशकों के अनुकूल माहौल से भी भारत को निवेश की पहली पसंद बनने में मदद मिली है। इसी कारण निवेश के लिए अब चीन नहीं, बल्कि भारत निवेशकों की पसंद बन रहा है।
निवेश बैंक गोल्डमैन सैश के अनुसार भारत की 1.4 अरब की आबादी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी बन गई है तो भारत की जीडीपी में प्रभावी रूप से विस्तार होने के ही आसार हैं। उसने अनुमान लगाया है कि अगले 20 वर्षों के दौरान बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का निर्भरता अनुपात सबसे कम होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए नवाचार और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता महत्वपूर्ण होने जा रही है। पूंजी निवेश भी भविष्य में विकास का एक महत्वपूर्ण चालक होगा। बढ़ती आय और वित्तीय क्षेत्र के विकास के साथ अनुकूल जनसांख्यिकी के कारण भारत की बचत दर भी बढ़ने की उम्मीद है।
इसमें कोई दो मत नहीं कि देश की अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ने में बुनियादी ढांचे के निर्माण में आई क्रांति अहम भूमिका निभा रही है। पिछले नौ साल में उन्नत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर करीब 34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए भारत रणनीतिक स्तर पर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में लोकसभा ने हाल में जिस जन विश्वास (प्रविधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दी है, वह उद्योगों को विस्तार देने में मील का पत्थर सिद्ध होगा।
कई और प्रभावी कारण भारत के टिकाऊ विकास और कारोबार को गतिशील बना रहे हैं। जैसे भारत की वृद्धि में 60 प्रतिशत का हिस्सा घरेलू खपत और निवेश का है और चूंकि भारतीय बाजार बढ़ती मांग वाला है तो इससे बेहतर भविष्य के ही अच्छे संकेत मिल रहे हैं। भारत का शेयर बाजार भी दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। देश में निरंतर बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति और देश के मजबूत राजनीतिक नेतृत्व के कारण भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है।
पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनने की संभावनाओं को साकार करने के लिए अभी कई बातों पर ध्यान देना होगा। इसके लिए टिकाऊ आर्थिक वृद्धि एवं निवेश साख को और मजबूत बनाना होगा। नई लाजिस्टिक नीति और गतिशक्ति योजना के कारगर कार्यान्वयन पर अधिक ध्यान देना होगा। विभिन्न आर्थिक और वित्तीय सुधारों की डगर पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। कामकाजी आबादी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। अभी सीमित संख्या में ही आवश्यक रूप से प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल कारोबार की जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। इसलिए बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल कारोबार के दौर की नई तकनीकी योग्यताओं के साथ एआइ, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और अन्य नए डिजिटल कौशल से सुसज्जित करना होगा।
विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते यानी एफटीए के लिए वार्ता तेजी से पूरी करनी होंगी। रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी भारत ऊंचाई प्राप्त करे। इस कड़ी में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की 30 जुलाई को आई रिपोर्ट सुकून देने वाली है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभी जो प्रति व्यक्ति आय 2,450 डालर है, वह वर्ष 2030 तक 70 प्रतिशत बढ़कर 4,000 डालर प्रति व्यक्ति हो जा सकती है। स्पष्ट है कि इससे आर्थिकी के ऊपर उठने के साथ ही नागरिकों की समृद्धि भी बढ़ेगी।
(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)
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