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    इस शिक्षक ने दिखाई रोशनी तो खिलखिला उठी चांदनी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 12 Jan 2017 06:40 AM (IST)

    ढाई साल पहले तक सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर दिव्यांग चांदनी की तकदीर एक शिक्षक ने बदल दी। उसे पढ़ाना शुरू किया तो अब यह बच्ची खुद भी शिक्षक बनना चाहती है।

    देहरादून, [अंकुर त्यागी]: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलो से उड़ान होती है। ढाई साल पहले तक सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर दिव्यांग चांदनी पर यह बात सटीक बैठती है। महज 13 साल की चांदनी न सिर्फ फर्राटे से अंग्रेजी और हिंदी पढ़ती है, बल्कि उसने भविष्य का खाका भी खींच लिया है। उसका ख्वाब शिक्षक बनने का है, ताकि वह ऐसे बच्चों को पढ़ा सके जो परिस्थितियों के चलते स्कूल का मुंह नहीं देख पाते।

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    उसके सपनों को उड़ान देने में मददगार बने राजपुर रोड स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक हुकुम उनियाल। चांदनी इसी आवासीय विद्यालय में पढ़ती है। गत दिवस केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप जब विद्यालय पहुंचे तो वह भी चांदनी के मुरीद हो गए। उन्होंने इस मेधावी बिटिया के साथ न सिर्फ फोटो खिंचवाई, बल्कि पढऩे के लिए 'थैंक्यू' भी कहा।

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    चांदनी के जीवन में आए इस बदलाव का श्रेय जाता है इस आवासीय विद्यालय के हेडमास्टर हुकुम सिंह उनियाल को। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुकुम सिंह उनियाल करीब ढाई साल पहले जब भी दर्शनलाल चौक से गुजरते तो रोजाना चांदनी को भीख मांगते देखते। जन्म से ही चांदनी का एक पैर और हाथ नहीं है। जब उसे देखते तो हृदय पीड़ा से भर उठता। सो उन्होंने चांदनी को पढ़ाने का निश्चय किया।

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    आखिरकार, एक दिन उनियाल चांदनी से मिले और उसे साथ लेकर चूना भट्टा स्थित उसके घर गए। माता-पिता से कहा, वह बच्ची को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन माता-पिता तैयार नहीं थे। बोले कि बच्ची को पढ़ाएंगे तो पैसा आना बंद हो जाएगा। आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए और कहने लगे कि चांदनी पढ़ नहीं सकती।

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    इस पर उनियाल ने कहा कि सिर्फ एक महीने के लिए बच्ची को मेरे साथ भेज दो। अगर नहीं पढ़ पाई तो इसे वापस ले जाना और इसकी एवज में वह पैसा भी देंगे। इस बात पर सभी तैयार हो गए।

    अब उनियाल के सामने चुनौती थी एक महीने में चांदनी को इस लायक बनाएं कि पढ़ाई में रुचि ले सके। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी वार्डन संगीता तोमर को सौंपी। एक महीना पूरा हुआ तो चांदनी के मां-बाप स्कूल आ धमके। डर था कि अगर वह नहीं पढ़ पाई तो फिर भीख मांगने को मजबूर होगी और वह भी कुछ नहीं कर पाएंगे।

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    लेकिन, जब चांदनी ने पढ़ना शुरू किया तो मां-बाप उल्टे पांव लौट गए। तीन महीने बाद फिर उसके माता-पिता आए और बोले कि उसके दादा की मृत्यु हो गई है और गांव (बिहार) जाना है। लेकिन, चांदनी ने इन्कार कर दिया। कहा कि उसे पढ़ाई करनी है, उसके बाद चांदनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह सातवीं कक्षा की छात्रा है।

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    यूं ही मेहनत से पढ़ो और आगे बढ़ो

    राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजपुर रोड पहुंचे मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप ने निरीक्षण करने के ही साथ बच्चों से बात भी की। कई बच्चों से उनका नाम पूछा और यह भी जाना है कि उनकी कॉपी में जो लिखा है वह सब उन्हें आता है।

    सभी ने हां में जवाब दिया और सचिव ने बस यह कहा कि 'यूं ही मेहनत से पढ़ो और आगे बढ़ो'। उन्होंने विद्यालय में आवासीय सुविधा का भी जायजा लिया।

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    प्रधानाध्यापक हुकुम सिंह उनियाल ने मांग की कि विद्यालय को सरकारी सुरक्षा दी जाए। जिस परिसर में विद्यालय है, उसकी जमीन को लेकर मामला कोर्ट में लंबित है। बिना सरकारी इमदाद के आवासीय विद्यालय चल रहा है। सचिव अनिल स्वरूप ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

    हुकुम सिंह ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत 50 बच्चों के रहने के लिए हॉस्टल स्वीकृत किया गया है। हालांकि, कोर्ट केस होने के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा नहीं मिलेगा।

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    इस दौरान अपर मुख्य सचिव डॉ. रणबीर सिंह समेत शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप ने जीजीआइसी नालापानी में उन्नति योजना के बारे में जानकारी भी ली। साथ ही सीबीएसई कार्यालय पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

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