ये युवा एक कमरे में 'उगा रहेे' 60 हजार प्रतिमाह, जानिए कैसे
टिहरी जिले में दो भाई एक कमरे में नोट उगा रहे हैं। चौक गए ना आप। जी हां, ये युवा एक कमरे में मशरूम की खेती से 60 हजार रुपये तक कमा रहे हैं।
चंबा, [रघुभाई जड़धारी]: अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा। नतीजतन वह पलायन कर शहर जा रहे हैं और छोटी-मोटी नौकरी कर गुजर बसर कर रहे हैं। ऐसे युवाओं के लिए प्रखंड चंबा के दो भाई मिसाल बने हुए हैं। यह दोनों भाई मशरूम की खेती से माह में 60 हजार रुपये तक कमा ले रहे हैं। इससे न केवल उनकी आर्थिकी मजबूत हो रही है, बल्कि अन्य गांवों के युवाओं को निश्शुल्क प्रशिक्षण भी देने को तैयार हैं। इस तरह यह गरीबी उन्मूलन की दिशा में भी एक प्रयास होगा।
प्रखंड चम्बा के कुड़ीधार-नकोट निवासी सुरेंद्र सिंह असवाल और देवेंद्र सिंह असवाल ने लोगों के सामने खेती को समृद्धि से जोड़ने का रास्ता दिखाया है। दोनों भाइयों ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर बाहर नौकरी करने के बजाय खुद का कारोबार करने का निर्णय लिया।
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इसके लिए उन्होंने मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया और कारोबार में जुट गए। दो साल पहले घर में ही कमरे में छोटे स्तर पर एक टन बटन मशरूम उगाया। इसमें मात्र 15 हजार रुपये का खर्च आया, जबकि शुरूआती तीन माह में आय हुई 25 हजार, लेकिन अब वह प्रतिदिन 10 से 15 किलो मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं।
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इसे बाजार में 175 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। एक माह में वह 60 से 70 हजार रुपये तक का मशरूम बेच लेते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि वह पहले एक कमरे में मशरूम उगाते थे, लेकिन अब चार कमरों में मशरूम उगा रहे हैं। खर्चा निकालकर उनकी प्रति माह बचत चालीस हजार रुपये तक हो जाती है। बताया कि वह मशरूम की सबसे अच्छी प्रजाति बटन और ढिंगरी का उत्पादन कर रहे हैं। कहा कि मशरूम विशुद्ध रूप से शाकाहारी एवं पौष्टिक भोजन है।
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यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसकी बाजार में बहुत मांग है। इस कार्य के लिए दोनों भाइयों को वानिकी एवं औद्यानिकी विवि रानीचौरी से सम्मानित भी किया जा चुका है। कहा कि अभी तो शुरूआत है। इसमें दूसरे गांव के युवाओं को भी जोड़ा जाएगा। उन्हें मशरूम उगाने का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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इस तरह तैयार होता है मशरूम
-मशरूम उगाने के लिए गेहूं का भूसा, धान की पुआल, मक्की के सूखे पत्ते तथा अन्य कृषि उपज के अवशेष चाहिए। इन्हें आपस में मिलाने के बाद पानी से गीला किया जाता है। इसके बाद भिगोकर प्लास्टिक की थैलियों में भरा जाता है। इन्हें बार-बार पानी से सींचा जाता है। इसके लिए बंद कमरे व पर्याप्त नमी का होना जरूरी है। सही तापमान होने के बाद इसमें मशरूम उग आता है।
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खेती आसान तथा खर्चा कम व मुनाफा अधिक
वानिकी एवं औद्यानिकी विवि रानीचौरी की वस्तु विषय विशेषज्ञ कीर्ति कुमारी ने बताया कि वर्ष भर में मौसम के अनुसार विभिन्न प्रकार के मशरूम की खेती की जा सकती है। इसकी खेती आसान तथा खर्चा कम व मुनाफा अधिक है। सुरेंद्र और देवेंद्र जो कार्य कर रहे हैं, वह प्रेरणादायी है। इनसे दूसरे लोगों को सीख लेनी चाहिए। विवि भी मशरूम का प्रशिक्षण देता है। बेरोजगार इसका प्रशिक्षण ले सकते हैं।
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