बच्चे को तेंदुए के जबड़े से बचाया, मिलेगा वीरता पुरस्कार
दून के सुमित ममगाईं को अदम्य साहस के लिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इस साहसी बालक ने चचेरे भाई को तेंदुए के जबड़े से बचाया था।
देहरादून, [जेएनएन]: दून के सुमित ममगाईं देश के उन बहादुर बच्चों में शामिल हैं, जिन्हें अदम्य साहस के लिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने उत्तराखंड से जिन तीन बहादुर बच्चों के नाम भेजे थे, उनमें से सुमित के नाम पर मुहर लगाई है।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस वीर बालक ने पिछले वर्ष अपने चचेरे भाई को तेंदुए के जबड़े से छुड़ाकर दिलेरी का परिचय दिया था। बता दें कि अब तक उत्तराखंड के नौ बच्चों को यह पुरस्कार मिल चुका है।
पढ़ें-नौनीहालों के लिए यमुना के तट पर बहा रहे ज्ञान की गंगा
उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2016 के लिए राज्य से तीन बहादुर बच्चों सुमित ममगाईं (देहरादून), बबीता जलाल (अल्मोड़ा) व कनिका गुप्ता (ऊधमसिंहनगर) के नामों की संस्तुति की थी। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने उत्तराखंड से इस पुरस्कार के लिए सुमित के नाम पर मुहर लगाई।
पढ़ें- मोदी को लिखे पत्र का कमाल, डिजीटल बनेगा अजय का गांव
राज्य बाल कल्याण परिषद के संयुक्त सचिव कमलेश्वर प्रसाद भट्ट ने इसकी पुष्टि की। देहरादून जिले के रायपुर विकासखंड के ग्राम फुलेथ निवासी सुरेश दत्त ममगाईं का 16 वर्षीय पुत्र सुमित वर्तमान में इंटर कॉलेज भगद्वारीखाल में 11वीं का छात्र है।
पढ़ें- उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड
भट्ट ने बताया कि गणतंत्र दिवस से 15 दिन पहले सुमित दिल्ली रवाना होगा। वहां उसे देश के अन्य बहादुर बच्चों के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत अन्य हस्तियों से मिलने का अवसर मिलेगा।
पढ़ें:-समंदर पार गूंजेगी उत्तराखंड के करन की आवाज
गणतंत्र दिवस पर उसे वीरता पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उधर, परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुशील चंद्र डोभाल, उपाध्यक्ष डॉ.आइएस पाल, डॉ.कुसमरानी नैथानी व मधु बेरी, महासचिव वीके डोभाल ने वीर बालक के साहस की प्रशंसा करते हुए उसे शुभकामनाएं दी हैं।
पढ़ें-महिलाओं के जीवन को 'अर्थ' दे रही उत्तराखंड की पुष्पा
बहादुरी की दास्तां
बात आठ नवंबर 2015 की है। सुमित ममगाईं अपने चचेरे भाई रितेश के साथ गांव के पास पशुओं के लिए घास लेने जा रहा था। इसी दौरान अचानक आ धमके तेंदुए ने रितेश को झपटा मारकर गिरा दिया। इस पर सुमित ने हिम्मत दिखाई और तेंदुए की पूंछ खींचकर उस पर पाठल से वार किया। साथ ही गुलदार पर पत्थर फेंके। इस प्रकार उसने भाई को तेंदुए रूपी मौत के चंगुल से बचाया।
पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
इन बच्चों को मिल चुका वीरता पुरस्कार
हरीश राणा (टिहरी), वर्ष 2003
माजदा (हरिद्वार), वर्ष 2004
पूजा कांडपाल (अल्मोड़ा), वर्ष 2005
प्रियांशु जोशी (देहरादून), वर्ष 2010
श्रुति लोधी (देहरादून), वर्ष 2010
कपिल नेगी (रुद्रप्रयाग), वर्ष 2011
मोनिका उर्फ मनीषा (चमोली), वर्ष 2014
लाभांशु (ऋषिकेश), वर्ष 2014
अर्जुन (टिहरी), वर्ष 2015
पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।