नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
अपने ही घर से नशे के खिलाफ आवाज उठाने वाली परमेश्वरी देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर की आवाज बन चुकी हैं। उनके प्रयास से दो दर्जन गांव में शराब प्रतिबंधित है।
त्यूणी, देहरादून [चंदराम राजगुरु]: अपने ही घर से नशे के खिलाफ आवाज उठाने वाली परमेश्वरी देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर की आवाज बन चुकी हैं। नशामुक्ति की इस जंग में आज सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं परमेश्वरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर त्यूणी क्षेत्र में जागरूकता की अलख जगा रही हैं। इसी की परिणति है कि बावर, बंगाण व शिलगांव क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा गांवों में आज शराब पीने-पिलाने पर पूरी तरह पाबंदी है।
मूलरूप से पौड़ी गढ़वाल जिले की बूंगी पट्टी के ग्राम झुड़ंग निवासी परमेश्वरी रावत का जीवन बचपन से ही संघर्षशील रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी परमेश्वरी जब दो साल की थी, सिर से माता-पिता का साया उठ गया। गृहणी मां हीरा देवी व पिता वन क्षेत्राधिकारी जेपी भदूला की सेवाकाल के दौरान मौत होने से इस परिवार पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
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नाते-रिश्तेदारों ने जैसे-तैसे उन्हें संभाला और पढ़ाया-लिखाया। एमए की पढ़ाई पूरी होने के बाद परिजनों ने वर्ष 1997 में परमेश्वरी के हाथ पीले कर दिए। पारंपरिक रीति-रिवाज से उसका विवाह त्यूणी से सटे बंगाण क्षेत्र के ग्राम मेंजणी निवासी एसएसबी में सेवारत रविंद्र सिंह रावत के साथ हुआ।
स्कूली जीवन से ही परमेश्वरी की सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि रही है। वर्ष 1991 से 1999 तक वह भुवनेश्वरी महिला आश्रम अंजनीसैण (टिहरी) से जुड़कर महिला सशक्तीकरण की आवाज बुलंद करती रहीं। शादी के बाद उन्होंने तीन बेटियों के साथ जहां घर-परिवार की जिम्मेदारी संभाली, वहीं सामाजिक कार्यों में भी बराबर हिस्सेदारी करती रहीं।
पहाड़ में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से दूषित हो रहे समाज को सुधारने का बीड़ा उठाने वाली परमेश्वरी को सबसे पहले अपने घर से ही नशे के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा। धीरे-धीरे उनकी यह मुहिम रंग लाने लगी और सैकड़ों महिलाएं इसका हिस्सा बनती चली गईं। इसी का नतीजा है कि 2008 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में परमेश्वरी आराकोट सीट से एकतरफा जीत दर्ज कर जिला पंचायत में पहुंचने में सफल रही।
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जिम्मेदारी मिलने के बाद भी परमेश्वरी खामोश नहीं बैठी और आज भी गांव-गांव जाकर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक कर रही हैं। इसके लिए कई संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित भी किया है। उन्हीं की प्रेरणा से बावर, देवघार, शिलगांव व बंगाण क्षेत्र से पहली बार सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं एकजुट होकर घर से बाहर निकलीं और नशाखोरी के खिलाफ आवाज बुलंद की। परमेश्वरी का संकल्प है कि वह आखिरी सांस तक इस मुहिम को जारी रखेंगी।
इन गांवों में शराब पीने-पिलाने पर पाबंदी
सीमांत त्यूणी तहसील के कथियान बाजार, भूड, फनार, हरटाड़, छजाड़, डांगूठा, बगूर, डिरनाड़, पिट्यूड़, ऐठान, ओवरासेर, बागी, बास्तील-बृनाड़, पुरटाड़, दार्मीगाड, मैंद्रथ, नया बाजार व गेट बाजार त्यूणी, गुतियाखाटल, दारागाड, केराड़, सावड़ा, रायगी और बंगाण क्षेत्र के भूटाणू-मेंजणी समेत दो दर्जन से ज्यादा गांव-कस्बों में खुले तौर पर शराब पीने-पिलाने पर पूरी तरह पाबंदी है।
महिला संगठन ने इन गांवों में पहली बार खुले तौर पर किसी के यहां शराब पीते-पिलाते पकड़े जाने पर 5000 रुपये जुर्माने और दूसरी बार पकड़े जाने पर संबंधित परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर उसे पुलिस के हवाले करने की व्यवस्था की है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश
परमेश्वरी की तीन बेटियां हैं। इनमें से सबसे बड़ी बेटी दिव्यांशी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। जबकि, दीपाशा व दीक्षा 11वीं व नवीं कक्षा में हैं। बकौल परमेश्वरी, आज के दौर में बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं। मेरी तीनों बेटियां जीवन का आधार हैं। समय के साथ लोगों को बेटियों के प्रति अपनी धारणा को बदलना ही होगा।
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