फार्मेसिस्ट को डेंगू, 35 हजार आबादी को डंक; मरीजों का उपचार रामभरोसे
जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर की सीमांत त्यूणी तहसील के 80 राजस्व गांवों की 35 हजार ग्रामीण आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा आज भी सपने जैसी है। ...और पढ़ें

त्यूणी, देहरादून [चंदराम राजगुरु]: जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर की सीमांत त्यूणी तहसील के 80 राजस्व गांवों की 35 हजार ग्रामीण आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा आज भी सपने जैसी है। हाल यह है कि क्षेत्र का एकमात्र बड़ा राजकीय अस्पताल सीएचसी त्यूणी सिर्फ एक फार्मेसिस्ट के भरोसे चल रहा है। अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी बीते डेढ़ माह से लापता हैं और संविदा पर तैनात महिला डॉक्टर दो हफ्ते से गायब। वहीं, चीफ फार्मेसिस्ट डेंगू से पीड़ित।
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यह उस त्यूणी तहसील का हाल है, जहां पिछले माह सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल छह लोगों की जान इसलिए चली गई, क्योंकि उन्हें समय पर उपचार नहीं मिला। इसी तरह 25 सितंबर को प्रसव पीड़िता डिरनाड़ निवासी अमिता और हरटाड़-कथियान निवासी रेशमी देवी ने समुचित उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया।
देहरादून जिले के डेढ़ लाख की आबादी वाले जौनसार-बावर के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। कहने को जौनसार-बावर के त्यूणी, चकराता, साहिया व कालसी में चार बड़े राजकीय अस्पताल हैं, लेकिन तंत्र की बेरुखी से ये अस्पताल खुद बीमार हैं।
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सीएचसी त्यूणी का ही हाल देखिए। 80 राजस्व गांवों के इस एकमात्र अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा का भार पिछले 10 दिन से सिर्फ एक फार्मेसिस्ट के कंधों पर है। व्यवस्था की बात करें तो अस्पताल में तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी का बीते डेढ़ माह से कोई अता-पता नहीं। एक अन्य डॉक्टर लोकल व्यवस्था पर सीएचसी सहिया में अटैच हैं और हाल ही में संविदा पर तैनात महिला डॉक्टर दो हफ्ते से गायब।
वहां जो चीफ फार्मेसिस्ट तैनात हैं, वह भी डेंगू से पीड़ित होने के कारण देहरादून में इलाज करा रहे हैं। अस्पताल के आंकड़े बता रहे कि यहां हर रोज सौ से डेढ़ सौ की ओपीडी होती है। ऐसे में व्यवस्था संभाल रहे एकमात्र फार्मेसिस्ट को कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।
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अल्ट्रासांउड को 150 किमी की दौड़
सीएचसी त्यूणी में अल्ट्रासांउड व अन्य पैथोलॉजी जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में मरीजों को 50 से 150 किमी दूर हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू व विकासनगर अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है।
प्रभारी चिकित्साधिकारी का वेतन रोका
सीएमओ देहरादून डॉ. वाईएस थपलियाल ने बताया कि प्रभारी चिकित्साधिकारी के ड्यूटी पर नहीं होने से उनका दो माह का वेतन रोका गया है। जबकि, संविदा महिला डॉक्टर को ट्रेनिंग खत्म होते ही ड्यूटी पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल एक अन्य डॉक्टर को त्यूणी भेजने की व्यवस्था की जा रही है।
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थम नहीं रहा डेंगू का हमला
प्रदेश में टाइगर मॉस्किटो (एडीज मच्छर) का अटैक बदस्तूर जारी है। एक भी दिन ऐसा नहीं बीत रहा, जब डेंगू का कोई नया मामला सामने न आए। दून में छह और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। इसके बाद जनपद में डेंगू पीडि़तों की संख्या 1160 पहुंच गई है। वहीं, हरिद्वार में अब तक 365, पौड़ी में 11 व नैनीताल में 103 डेंगू के मामले आ चुके हैं।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश से भी 71 मरीज यहां इलाज कराने पहुंचे। करीब तीन माह के भीतर राज्य में 1639 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।
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शुक्रवार को जनपद देहरादून में 182 नमूनों की जांच रिपोर्ट आई। जिसमें छह मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
पिछले तीन माह में दून में 30174 मरीजों के सैंपल लिए गए हैं। इस में अब तक 1160 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। प्रदेश में भी डेंगू का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देहरादून के प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल के अनुसार डेंगू को लेकर लगातार सतर्कता बरती जा रही है।
आमजन को जागरूक करने के साथ ही फॉगिंग, स्प्रे, फीवर सर्वे आदि नियमित रूप से किए जा रहे हैं। इसके अलावा इंतजामों की भी लगातार समीक्षा की जा रही है। उनका कहना है कि विगत दिनों में डेंगू के मामलों में गिरावट आई है। मौसम में ठंडक आ गई है और अब मच्छर निस्तेज होने लगेगा।
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