Samajwadi Party : सियासी घमासान में हारे तो मुलायम, जीते तो मुलायम
मुलायम सिंह यादव ने फिर घर के चारों खाने दुरुस्त कर लिए मगर सियासी चेतना से परखें तो यह उनकी शिकस्त ही है। हार सिर्फ एक मोर्चे पर नहीं बल्कि कई कोण से हुई है।
लखनऊ[परवेज अहमद]। कहने को समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने फिर घर के चारों खाने दुरुस्त कर लिए मगर सियासी चेतना से परखें तो यह उनकी शिकस्त ही है। हार सिर्फ एक मोर्चे पर नहीं बल्कि कई कोण से हुई है।
बात की शुरुआत बीते रविवार को दिल्ली में अमर सिंह की हाईप्रोफाइल पार्टी से।
मुलायम के फैसले के खिलाफ कार्यकर्ता, सीएम अखिलेश के समर्थन में नारेबाजी
इस पार्टी में 'निकली एक बात' इतनी मारक रही कि बकरीद से एक दिन पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रजापति के साथ पंचायतीराज मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया।
देखे तस्वीरें : मुलायम के फैसले के खिलाफ सड़क पर कार्यकर्ता
इसकी भनक लगते ही गायत्री ने पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाई और तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक सिंघल की कुछ टिप्पणियों को उजागर किया।
शिवपाल समर्थकों का सड़क पर प्रदर्शन, नारेबाजी में कलह की अंतर्कथा
टिप्पणियां परिवार पर थी, यह पता चलते ही अखिलेश ने बकरीद के दिन दीपक सिंघल को मुख्य सचिव पद से हटा दिया। दीपक पर कार्रवाई की भनक लगते ही 'बाहरी व्यक्ति' ने मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में ही भेंट की और उनसे बातचीत में इस बाहरी ने समाजवादी पार्टी की खराब राजनीतिक स्थिति और युवा ब्रिगेड की कारगुजारियों को निशाने पर रखा। इस दौरान संगठन कमजोर होने की बात कही गई।
मुलायम ने शिवपाल का इस्तीफा फेंका, शिवपाल व मुलायम के बीच बैठक
तर्क दिया गया कि मुख्यमंत्री संगठन को समय नहीं दे पा रहे हैं। संगठन की कार्यशैली से नाराज सपा मुखिया ने अखिलेश यादव को विश्वास में लिए गये बगैर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को कुर्सी सौंप दी। जिससे खफा मुख्यमंत्री ने शिवपाल सिंह यादव के नौ में से सात विभाग लेकर एक्शन का रि-एक्शन किया।
CM अखिलेश, रामगोपाल व शिवपाल के बीच कोई झगड़ा नहीं : मुलायम
मुख्यमंत्री ने पीडब्लूडी अपने पास रख कर बाकी विभाग उन मंत्रियों को सौंप दिये जो शिवपाल यादव के करीबी कहे जाते थे। इससे नाराज शिवपाल ने इटावा में रहते हुए मंत्री पद व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का संकेत दिया।
सपा सुप्रीमो मुलायम ने कराया पांच दिनी समाजवादी घमासान का अंत
इस हाई प्रोफाइल घटनाक्रम को सामान्य करने के प्रयास भी शुरू हुए मगर परसों पार्टी के महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव ने पूरे घटनाक्रम का ठीकरा मुलायम सिंह यादव पर फोड़ते हुए कह दिया कि मंत्रियों को हटाने का फैसला उनकी मर्जी से हुआ।
अखिलेश बोले- पार्टी नेतृत्व कहे तो मुख्यमंत्री पद छोड़ दूं लेकिन, टिकटों का बटवारा मैं ही करूंगा’
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दबाव डालकर जारी कराया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश ने दर्द जाहिर करते हुए कह ही चुके थे कि बाहरी व्यक्ति परिवार में कलह करा रहा है।
तल्खी भरे बयान के बाद प्रो. रामगोपाल सैफई रवाना हो गए जबकि मुलायम और शिवपाल दोनों लखनऊ में मौजूद थे।
सपा में घमासान खत्म, अखिलेश ने वापस किए शिवपाल के सभी विभाग
प्रो.रामगोपाल के बयान के कुछ घंटे बाद शाम को ही शिवपाल यादव ने लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर मुलायम और फिर पांच कालिदास मार्ग स्थित आवास पर जाकर अखिलेश से मुलाकात की। फिर हालात पर नियंत्रण के दावे किए गए मगर रात होते-होते अचानक शिवपाल ने मंत्री पद और संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया तो सियासी भूचाल आ गया। शिवपाल समर्थकों का जमावड़ा लग गया।
समाजवादी कुनबे में रार के पीछे 12 हजार करोड़ का ठेका!
नारेबाजी हुई मगर रात में मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से इस्तीफा अस्वीकार कर डैमेज कंट्रोल शुरू किया। शुक्रवार सुबह मुलायम सिंह ने शिवपाल को विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास पर बुलाया और प्रदेश अध्यक्ष पद का इस्तीफा भी अस्वीकार कर दिया। कुछ ही देर बाद मुलायम ने अखिलेश को बुलाया और 20 मिनट के अंदर पांच दिनों से चल रहे संग्र्राम के उपसंहार का फार्मूला तैयार हो गया।
अभी मुख्यमंत्री अखिलेश को अनुभव की जरूरत : शिवपाल
कहने को पूरा मामला शिवपाल, अखिलेश के इर्दगिर्द मगर असली कड़ी गायत्री साबित हुए। इस पूरे घटनाक्रम से पहले सपा को फिर से स्थिर कर दिया हो मगर यह तय है कि इसमें हार मुलायम की ही हुई है। क्योंकि इस प्रकरण से भविष्य का वो बीज बो दिया गया जिसकी फसल चुनाव में और उसके बाद भी देखने को मिलेगी। यह सबसे बड़ा दर्द मुलायम को ही देगी जिन्होंने अक्टूबर 1992 में पार्टी के गठन के बाद कभी 'घर की ऐसी रार और हार' नहीं देखी है।
वापस होंगे शिवपाल यादव के सभी मंत्रालय, गायत्री प्रजापति फिर बनेंगे मंत्री
कहना अतिशयोक्ति न होगी कि अभी सपा मुखिया को एक बार अग्निपरीक्षा से और गुजरना बाकी है। वह मौका होगा टिकट का बंटवारा। शिवपाल व अखिलेश के साथ ही रामगोपाल अपने करीबियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने की होड़ में दिखेंगे। जिससे चुनाव बाद पार्टी में असल असर दिख सके।
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