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    कॉलेजियम पर फैसले तक जजों की नियुक्ति नहीं

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 04 Nov 2015 02:13 AM (IST)

    राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव करने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, इसके साथ ही कॉलेजियम में सुधार होने तक नए जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।

    नई दिल्ली (ब्यूरो) । राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव करने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, इसके साथ ही कॉलेजियम में सुधार होने तक नए जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।

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    मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लंबे समय तक के लिए रोक दिया गया है। ऐसे में हमारे लिए जरूरी है कि कॉलेजियम जल्द काम करना शुरूकर दे। इसे देखते हुए हमें इसमें सुधार के मुद्दे पर जल्द फैसला लेना होगा। उल्लेखनीय है कि इस समय सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्टो में जजों के चार सौ पद रिक्त हैं। संविधान पीठ ने कहा कि कॉलेजियम व्यस्था को पूरी तरह से बदला नहीं जा सकता है।

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    इसके बदले वर्तमान प्रक्रिया को ही और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके लिए अदालत ने चार मुद्दों पर विचार करने का फैसला किया है। जस्टिस जे चेलमेश्वर, एमबी लोकुर, कुरियन जोसेफ और आदर्श कुमार गोयल संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं। मामले की अगली सुनवाई गुरवार को होगी। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को सरकार के सुझावों से अवगत कराया। एनजेएसी के पक्ष में दलील देने वाले सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने भी इस मुद्दे पर अपना सुझाव रखा। पीठ ने एनजेएसी का विरोध करने वाले एफएस नरीमन, अनिल दीवान, राजीव धवन, अरविंद दातर और गोपाल सुब्रह्माण्यम का पक्ष भी सुना।

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    इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हमें सुझावों की लंबी फेहरिस्त मिली है। तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कॉलेजियम व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए चार मुद्दों का खयाल रखना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर सुझाव एकत्रित करने के लिए वकील अरविंद दातर और एएसजी पिंकी आनंद को मनोनीत किया है। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 16 अक्टूबर को अपने ऐतिहासिक फैसले में एनजेएसी को खारिज कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली में सुधार पर सुझाव मांगा गया था।

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    सरकार के सुझाव

    -कॉलेजियम को किसी खास व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त करने के दौरान कारणों का उल्लेख जरूर करना चाहिए।

    -न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर एक निर्धारित मापदंड को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

    -कॉलेजियम को न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए न्यूनतम पात्रता को सार्वजनिक करना चाहिए।

    -नियुक्ति से पहले कॉलेजियम को बार काउंसिल की राय लेनी चाहिए। नामांकन के अलावा आवेदन भी स्वीकार किया जाना चाहिए।

    -हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अलग पैमाना होना चाहिए। नियुक्ति के लिए योग्यता पर वरिष्ठता हावी न हो।

    -हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जिन लोगों की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है, उनका नामांकन सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

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