नोटबंदी के बाद बसपा के एक खाते में जमा हुए 104 करोड़ रुपये नकद
बहुजन समाज पार्टी के एक खाते में 10 नवंबर से नौ दिसंबर के बीच में 104.36 करोड़ रुपये नकद जमा हुए हैं। इसके साथ ही अब राजनीतिक भी आयकर विभाग के रडार पर आ गए हैं।
नई दिल्ली (नीलू रंजन)। कालेधन को सफेद करने वाले बैंक अधिकारियों, बिचौलियों और हवाला कारोबारियों के खिलाफ देशव्यापी अभियान के बीच राजनीतिक दलों की भी पोल खुलनी शुरू हो गई है। ऐसे पहले खुलासे में बहुजन समाज पार्टी के एक खाते में नोटबंदी के बाद 104.36 करोड़ रुपये नकद जमा किये जाने की बात सामने आई है।
दिल्ली के करोलबाग स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया में बसपा के इस खाते में 10 नवंबर से नौ दिसंबर के बीच में यह रकम जमा कराई गई थी। गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती नोटबंदी का जबरदस्त विरोध कर रही हैं और इसे आर्थिक आपातकाल बता चुकी हैं।
बसपा के बैंक खातों को लेकर वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा, "जिसने भी व्यवस्थाओं का दुरूपयोग किया है, चाहे कोई पार्टी हो या कितना बड़ा आदमी हो, उसको निश्चित रूप से सजा मिलेगी। 30 दिसंबर के बाद भी पैसै जमा हो सकते हैं आरबीआई में और आरबीआई में कैसे होंगे उसके लिए ऑर्डिनेंस तो आएगा ही।"
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उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बसपा के खाते में जमा इस रकम के बारे में प्रवर्तन निदेशालय के आडिट के दौरान पता चला। नोटबंदी के बाद ईडी पूरे देश में 50 बैंक शाखाओं का आडिट करा रहा है, जिनमें सबसे अधिक पुराने नोट जमा किए गए थे। इनमें यूनियन बैंक आफ इंडिया की करोलबाग ब्रांच भी शामिल थी। सूत्रों के अनुसार बसपा के इस खाते में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच कोई रकम नहीं जमा कराई गई थी। जबकि अगस्त में 21 करोड़ रुपये और सितंबर में केवल 12 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे।
अक्टूबर में भी इस खाते में कुछ नहीं जमा किया गया था। नोटबंदी के बाद अचानक 104.36 करोड़ रुपये नकदी जमा होने से जांच एजेंसियों के कान खडे़ हो गए हैं। बसपा के खाते में इस रकम के बारे में ईडी ने तत्काल आयकर विभाग से संपर्क किया। इसके बाद आयकर विभाग ने एक महीने के भीतर इतनी बड़ी रकम जमा किये जाने की जांच शुरू कर दी है।
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नियम के मुताबिक राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक का चंदा मिलने पर इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है। एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बैंक खाते में इतनी बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराए जाने के खुलासे के बाद बसपा के दूसरे बैंक खाते भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आयकर विभाग को इन सभी खातों की पड़ताल करने को कह दिया गया है।
बसपा के खाते का खुलासा होने के बाद अन्य राजनीतिक दल भी आयकर विभाग के निशाने पर आ गए हैं। माना जा रहा है कि इससे राजनीतिक दलों की फंडिंग को पारदर्शी बनाने की जोर पकड़ती मांग को बल मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद राजनीतिक दलों की फंडिंग को पारदर्शी बनाने के मुद्दे पर व्यापक बहस का समर्थन कर रहे हैं।
यूनियन बैंक आफ इंडिया की इसी शाखा में बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार का भी खाता है। आनंद कुमार के खाते में भी नोटबंदी के बाद 1.43 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे। जिनमें 18.98 लाख रुपये नकद जमा कराये गए थे। शेष रकम आरटीजीएस के माध्यम से दूसरी कंपनियों से इस खाते में आए थे। अब आयकर विभाग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि आनंद कुमार के खाते में आरटीजीएस करने वाली कंपनियों के पास धन कहां से आया था और किस काम के लिए दिया गया था।
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आशंका है कि इन कंपनियों के मार्फत कहीं पुराने नोट के रूप में जमा कालेधन को सफेद तो नहीं बनाया गया था। आनंद कुमार की कई कंपनियां पहले से ही एजेंसियों के रडार पर हैं। इन कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। सूत्र बताते हैं कि इस लेन-देन की तह तक जाने के लिए नोएडा के कई बिल्डरों को नोटिस जारी किया जा चुका है। इसके पहले आनंद कुमार 400 करोड़ रुपये की एफडी को लेकर आयकर विभाग की जांच के घेरे में थे।
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