सपा में कलह से संभावित गठबंधन में बेचैनी, चुन सकते हैं अलग रास्ता
यूपी चुनाव में अखिलेश कांग्रेस और रालोद के साथ गठबंधन करने के पक्षधर हैं, जबकि शिवपाल यह नहीं चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस, रालोद और जद यू अपना अलग रास्ता चुनने का मन बना सकते हैं।
नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। समाजवादी पार्टी के भीतर ही मचे घमासान के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बनने वाले संभावित गठबंधन के घटक दलों में बेचैनी बढ़ने लगी है। राज्य में गैर बसपा और गैर भाजपा महागठबंधन की किसी संभावना से मुलायम सिंह यादव के इनकार करने पर घटक दल के नेताओं ने हैरानी जताई है। इसे देखते हुए घटक दल अब अपनी अलग चुनावी राह पकड़ने का मन बनाने लगे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मध्य कुछ दिनों के संघर्ष विराम के बाद प्रत्याशियों के चयन को लेकर फिर रार मच गई है। दूसरे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर इन दोनों नेताओं में गंभीर विवाद है। अखिलेश राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और रालोद के साथ गठबंधन करने के पक्षधर हैं, जबकि शिवपाल यह नहीं चाहते हैं। मुलायम सिंह यादव ने पहले भी यही कहा था कि उनकी पार्टी का किसी के साथ गठबंधन नहीं हो सकता है। अगर कोई पार्टी साथ आना चाहे तो उसका सपा में विलय किया जा सकता है।
पिछले सप्ताह जद यू नेता शरद यादव के नई दिल्ली के आवास पर आयोजित एक समारोह में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा हुआ। इसमें सपा, कांग्रेस और रालोद के नेता मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि यहां महागठबंधन के बारे में गंभीर मंत्रणा हुई। सभी विपक्षी नेताओं को इस संबंध में वार्ता के लिए नेताजी यानी मुलायम सिंह का न्यौता भी मिल गया। इससे चुनावी महागठबंधन की संभावनाएं प्रबल हो गईं। लेकिन नेता जी ने रविवार को ही लखनऊ में किसी समारोह के दौरान महागठबंधन की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।
चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। चुनावी तैयारियों के हिसाब से कम समय होने और सपा के अजीबोगरीब रुख को देखते हुए कांग्रेस, रालोद और जद यू अपना अलग रास्ता चुनने का मन बना सकते हैं। इससे गठबंधन की संभावनाएं क्षीण होने लगी हैं। मुलायम के बयान पर जद यू नेता शरद यादव ने हैरानी भरे अंदाज में कहा 'महागठबंधन पर चर्चा के लिए नेता जी ने मुझे और देवगौड़ा को बुलाया था। नेता जी अचानक इस तरह का बयान क्यों देने लगे? उनसे इस बारे में विचार करने का अनुरोध किया जाएगा।'
उधर, अखिलेश खुद कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के साथ विधानसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटें जीतने का दावा करते रहे हैं। लेकिन सपा सुप्रीमो के बदले मिजाज से सभी आश्चर्य चकित हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने वालों का कहना है कि गठबंधन के मूर्त रूप लेने के पहले ही प्रमुख घटक समाजवादी पार्टी के रुख से राज्य की चुनावी तस्वीर कुछ और हो सकती है। गठबंधन को लेकर बसपा लगातार सपा पर हमले कर रही है।
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