विधानसभा चुनावः भट्ट और किशोर को चुनाव आयोग का नोटिस
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए सीएम के ट्विटर पर प्रचार के वीडियो पोस्ट करने और जबाव में भाजपा की ओर से सामग्री डालने को मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने गंभीरता से लिया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: हाल ही में मुख्यमंत्री के ट्विटर पर प्रचार के वीडियो पोस्ट किए जाने और इनके जबाव में भाजपा की ओर से सामग्री डालने पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
नोटिस में कहा गया है कि तीन दिन में जबाव दें कि क्यों न उन्हें आचार संहिता उल्लंघन का दोषी माना जाए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि बिना प्रमाणीकरण के सोशल मीडिया पर प्रचार सामग्री प्रसारित करना निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है।
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विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में चार जनवरी से आचार संहिता लागू है। इसके बावजूद तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर तमाम प्रचार सामग्री प्रसारित कर रहे हैं। इस मामले में दैनिक जागरण ने 11 जनवरी के अंक में प्रमुखता से समाचार भी प्रकाशित किया था।
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने कहा कि उनके कार्यालय में गठित मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी समिति ने भी पाया है कि राजनीतिक दल बिना प्रमाणीकरण सोशल मीडिया पर प्रचार सामग्र्री प्रसारित कर रहे हैं।
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इन तमाम मामलों का संज्ञान लेते हुए बताया गया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत डॉ. इंदिरा हृदयेश, किशोर उपाध्याय, सरिता आर्य, तिलकराज बेहड़ आदि और भाजपा के अजय भट्ट, सतपाल महाराज, दिनेश सिंह पंवार, अजय भंडारी, उमेश अग्रवाल, भूपेश उपाध्याय, प्रदीप बत्रा, गणेश जोशी आदि के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बिना प्रमाणीकरण के सामग्री पोस्ट की जा रही है।
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उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बिना प्रमाणीकरण के सामग्री डालने वालों की यह अंतिम सूची नहीं है। अन्य अकाउंट्स का भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि भाजपा और कांग्र्रेस के प्रदेश अध्यक्षों को नोटिस जारी कर तीन दिन में जबाव देने को कहा गया है।
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इसके साथ ही जिला स्तर कमेटियों के माध्यम से भी ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट्स का अनुश्रवण किया जा रहा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि वे सोशल मीडिया पर कोई भी सामग्री प्रेषित करने से पूर्व मीडिया प्रमाणीकरण और निगरानी समिति से अनुमति ले लें अन्यथा इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
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