उत्तराखंड असेंबली इलेक्शन: केदारनाथ से दांव खेल सकते हैं हरीश रावत
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। अपने कार्यकाल में रावत ने इस क्षेत्र में 33 दौरे किए।
देहरादून, [केदार दत्त]: पिछले लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह वाराणसी को स्कैन करना शुरू कर दिया था, ठीक उसी तरह सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र को स्कैन करने में जुटे रहे। अपने कार्यकाल में रावत ने इस क्षेत्र में 33 दौरे किए, जिनमें से 28 केवल केदारनाथ धाम के ही थे। हालांकि, इसके पीछे उनका तर्क केदारनाथ यात्रा को पटरी पर लाने की कवायद रहा। लेकिन, जिस तरह से रावत ने यहां रुचि दिखाई उससे इन संभावनाओं को बल मिला है कि विस चुनाव में वह केदारनाथ सीट से दांव खेल सकते हैं।
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री हरीश रावत का मोह किसी से छिपा नहीं है। एक फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद उन्होंने केदारनाथ के ताबड़तोड़ दौरे किए। उनका फोकस केदारनाथ यात्रा को पटरी पर लाने के साथ ही केदारपुरी और यात्रा पड़ावों को नए सिरे से बसाने पर रहा। इसे वह सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। इस बहाने ही सही, मगर केदारनाथ से उनका लगातार जुड़ाव बना रहा।
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हालांकि, मार्च 2016 के सियासी भूचाल के बाद रुद्रप्रयाग जिले से दोनों विधायकों डॉ. हरक सिंह रावत और शैलारानी रावत के साथ छोड़ देने पर वह काफी आहत रहे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने पूरा ध्यान विस चुनाव पर केंद्रित कर लिया। सियासी हलकों में केदारनाथ के लगातार दौरों को भी इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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साथ ही इस चर्चा को भी बल मिला है कि विस चुनाव में रावत केदारनाथ सीट से दांव खेल सकते हैं। पिछले साल के आखिर में अगस्त्यमुनि और गुप्तकाशी में हुए उनके कार्यक्रमों को यहां से चुनाव लडऩे की संभावनाएं टटोलने के रूप में देखा गया।
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असल में, जिन 10 विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ा, उनमें ज्यादातर गढ़वाल के हैं। इससे यहां पार्टी संगठन की स्थिति कमजोर भी हुई है। जबकि, कुमाऊं मंडल में मुख्यमंत्री का अब भी अच्छा-खासा प्रभाव है। ऐसे में माना जा रहा कि केदारनाथ से दांव खेलने पर वह गढ़वाल में कांग्रेस को मजबूती देने का कार्य कर सकते हैं।
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