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    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव : सूबे की माली हालत खराब, कैसे पूरे होंगे ख्वाब

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 07 Jan 2017 07:25 AM (IST)

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में लोक लुभावन नारों के विपरीत सूबे की माली हालत की स्थिति बेहद खराब है। कुल बजट का 17 फीसद भी विकास कार्यों के लिए बच नहीं पा रहा है।

    देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: 'तेते पांव पसारिए, जेती लांबी सौर', प्रदेश की माली हालत को ये कहावत भले ही आइना दिखाए, लेकिन सूबे के नीति-नियंता बने सियासतदां इससे सबक लेना तो दूर, एकदम उलट 'अपनी ढपली, अपना राग' अलाप रहे हैं।

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    हाल ये है कि गैर विकास मदों में बढ़ते खर्च ने राज्य को ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि हर शहर-मुहल्ले, गांव-तोक तक बिजली और पानी की सुचारु आपूर्ति, संपर्क मार्ग, अच्छी सड़कें, संसाधनों से सरसब्ज स्कूल-कॉलेज और आत्मनिर्भर इलाके राज्य गठन के 16 साल बाद भी सिर्फ गुलाबी नारों तक सिमटे न रह जाएं। इन्हें हकीकत तक पहुंचाने के विकास मद में जितने धन की दरकार है, वह चुनावबाजों की चिंता के केंद्र में है, मौजूदा हालत में तो नजर नहीं आ रहा है।

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    चुनाव में जिस लोक को लुभाने के लिए घोषणाओं और योजनाओं के तमाम दांव आजमाए जा रहे हैं, माली हालत की हकीकत उसे मेल नहीं खा रही है। गैर विकास मदों में लगातार बढ़ते खर्च से सरकारी खजाना तो केवल नाम का ही रह गया है, लेकिन सत्तासीन लोग आमदनी की चादर से बाहर पांव पसारने से बाज नहीं आ रहे हैं।

    नतीजा ये है कि कुल बजट का जब 17 फीसद भी विकास कार्यों के लिए बच नहीं पा रहा है। वेतन और पेंशन का खर्च और ज्यादा बढ़ने से तो हालत और बुरे होने जा रही है।

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    वेतन-भत्ते-पेंशन खर्च 14 हजार करोड़

    प्रदेश में बनने जा रही अगली सरकार को भी सबसे पहले विकास कार्यों के लिए धन जुटाने की चुनौती से जूझना होगा। सिर्फ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होते ही प्रदेश में सिर्फ वेतन, भत्तों और पेंशन पर होने वाला खर्च बढ़कर तकरीबन 14 हजार करोड़ तक पहुंच रहा है।

    नए वेतन से पहले सिर्फ वेतन मद और भत्तों की मद में सरकार को सालाना 9500 करोड़, पेंशन के रूप में सालाना 2500 करोड़ समेत सिर्फ वेतन-भत्ते और पेंशन पर ही सालाना 12 हजार करोड़ खर्च की नौबत आ रही थी।

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    सातवां वेतनमान लागू होने के बाद यह राशि बढ़कर साढ़े 14 हजार करोड़ पहुंचने जा रही है। वेतन और पेंशन के रूप में बढ़ने वाली 2500 करोड़ से ज्यादा धनराशि से विकास मद के खर्च में ही कटौती की जानी है। वर्तमान में बाजार से लिये जाने वाले कर्ज को चुकता करने में 2500 से 3000 करोड़ खर्च हो रहे हैं।

    40 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज

    सातवां वेतनमान लागू होने के बाद राज्य पर सालाना ढाई से तीन हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। यानी राज्य को हर महीने वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए 200 से 300 करोड़ अतिरिक्त की दरकार है।

    वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए राज्य को पहले ही जब कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है, नई परिस्थितियों में तो कर्ज का बोझ और बढऩा तय है। वर्तमान में ही सूबे पर कर्ज का बोझ 40 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है।

    नॉन प्लान और प्लान के बीच फासला तिगुना होने को है। कुल बजट का 83 फीसद गैर विकास मदों पर ही जाया हो रहा है तो महज 17 फीसद बजट से विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य की जन अपेक्षाओं को किसकदर पूरा किया जा सकता है।

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    चालू वित्तीय वर्ष में भी बड़े-छोटे समेत निर्माण कार्यों के लिए कुल 16.03 फीसद बजट की व्यवस्था हो पाई। राज्य के आय के साधनों में इजाफा नहीं हुआ तो आने वाले समय में इतना बजट भी निर्माण कार्यों के लिए उपलब्ध नहीं रह पाएगा। जाहिर है कि राज्य को न चाहते हुए भी मदद के लिए केंद्र के दर पर एड़ियां रगड़ने को मजबूर होना पड़ेगा।

    चमकदार आंकड़ों के नीचे पिसती हकीकत

    सातवां वेतनमान लागू होते ही राज्य में प्रति व्यक्ति आमदनी से लेकर राज्य सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े और चमकदार हो जाएंगे। नया वेतन लागू होने से पहले राज्य में प्रति व्यक्ति सालाना आमदनी 1.51 लाख पहुंच चुकी है। वर्ष 2015-16 के लिए मूल्यों (स्थाई भाव) पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 1,53,041 करोड़ रुपये और वर्ष 2014-15 में 1,40,790 करोड़ अनुमानित है।

    इसमें इजाफा होने के बावजूद विकास की दौड़ में पहले से ही पिछड़े क्षेत्रों को ढांचागत सुविधाओं के विस्तार की चुनौती और बढ़ जाएगी। लेकिन, गुलाबी घोषणाओं और वायदों के नीचे छिपी इस तल्ख सच्चाई का सीधे तौर पर सामना करने को कोई भी सियासी दल शायद ही तैयार हो।

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    वित्तीय वर्ष 2016-17 में यूं है वेतन, भत्तों में अनुमानित वृद्धि

    मद-------------------वृद्धि (प्रतिशत में)

    वेतन-------------------------35

    मजदूरी--------------------20.59

    महंगाई भत्ता------------19.56

    यात्रा व्यय----------------26.61

    अन्य भत्ते---------------16.61

    मानदेय--------------------23.50

    ब्याज----------------------25.58

    पेंशन----------------------24.83

    सब्सिडी-------------------35.35

    ये हैं खास बिंदू

    -वर्ष 2015-16 में राज्य की आर्थिक विकास दर 8.70 फीसद अनुमानित

    -वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में यह 3.70 फीसद अधिक

    -वहीं प्रति व्यक्ति आय में 16,435 रुपये का इजाफा, 1,51,219 रुपये सालाना

    -सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 1,53,041 करोड़ रुपये और वर्ष 2014-15 में 1,40,790 करोड़ अनुमानित

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