उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017: 400 करोड़ कर्ज से लगेगा सातवें वेतन का चुनावी दांव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कर्मचारियों को लुभाने के लिए खेले गए सातवें वेतन के दांव को भुनाने को सरकार को एक बार फिर उधार लेने को बाजार की शरण लेनी पड़ रही है।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: इसे चुनावी मजबूरी ही कहेंगे कि कर्मचारियों को लुभाने के लिए खेले गए सातवें वेतन के दांव को भुनाने को सरकार को एक बार फिर उधार लेने को बाजार की शरण लेनी पड़ रही है। जी हां, 400 करोड़ कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक के दर पर दस्तक दी गई है। ये 400 करोड़ लेने के बाद चालू वित्तीय वर्ष में राज्य की बाजार से उधारी बढ़कर 4700 करोड़ होना तय है।
प्रदेश में सातवें वेतन आयोग लागू होने से राज्य के खजाने पर प्रति माह करीब 300 करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ गया है। नया वेतन लागू होने से पहले ही प्रदेश के तकरीबन ढाई लाख सरकारी, अर्द्ध सरकारी, निगमों-उपक्रमों, निकायों और सहायताप्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कार्मिकों को हर माह वेतन भुगतान में ही सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही थी।
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इसके लिए कई दफा बाजार से कर्ज की नौबत आ चुकी है। अब सातवें वेतनमान लागू होने के बाद सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। ये हाल तब है, जब सातवें वेतनमान के करीब 1500 करोड़ एरियर के भुगतान को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। इस बारे में नई सरकार को ही फैसला लेना है।
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चालू माह जनवरी से देय नए वेतन का भुगतान इस माह के अंत और फरवरी माह के पहले हफ्ते में होना है। लिहाजा सरकार ने बाजार से 400 करोड़ उधार लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत रिजर्व बैंक से अनुमति मांगी गई है। बीते दिसंबर माह तक राज्य सरकार 4300 करोड़ का कर्ज बाजार से उठा चुकी है। 400 करोड़ लेने के बाद यह राशि 4700 करोड़ हो जाएगी।
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