उत्तराखंड विधानसभा इलेक्शनः कांग्रेस में पीके टीम पर दारोमदार
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस अब विभिन्न स्तरों से फीडबैक लेने में जुटी है। इसके लिए पीके टीम के पेशेवरों की मदद भी ली जा रही है।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: प्रदेश की सत्ता में दूसरी बार काबिज होने को लालायित कांग्रेस अब विभिन्न स्तरों से फीडबैक लेने में जुटी है। चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, इसकी थाह लेने में पार्टी ने जिलों और ब्लॉकों में अपनी इकाइयों से विस्तृत ब्योरा देने को कहा है। इसके अलावा पीके टीम के पेशेवरों की मदद भी ली जा रही है। ये टीम मतदान केंद्रवार मतदान और मतदाताओं से ली गई प्रतिक्रिया का डेटा बैंक तैयार कर रही है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में बस्तों से लेकर मतदान केंद्रों तक मतदाताओं ने जिसतरह चुप्पी ओढ़ी है, उससे सत्तारूढ़ कांग्रेस बेचैन है। हालांकि, पार्टी की ओर से कोशिश आत्म विश्वास दर्शाने से लेकर उसे बनाए रखने की है। इस कारण सरकार बनाने से लेकर, पूर्ण बहुमत हासिल करने या समर्थन लेने की नौबत आने के बारे में दावों में कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
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चुनाव संपन्न होते ही कांग्रेस पार्टी अपने स्तर पर मतदाताओं का रुख भांपने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पार्टी मुख्यालय की ओर से सभी जिला कांग्रेस कमेटियों को निर्देश दिए गए हैं। जिला इकाइयों की ओर से ब्लॉक इकाइयों को मतदान केंद्रवार आंकड़े इकट्ठा करने को कहा गया है। ये इकाइयां हर विधानसभावार सभी मतदान केंद्रों के आंकड़े जुटाएंगी।
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पार्टी संगठन के अलावा चुनाव में प्रचार प्रबंधन संभाल रही पीके की टीम भी मतदान केंद्रवार आंकड़ों और मतदाताओं से ली गई प्रतिक्रिया के आधार पर विश्लेषण में जुटी है।
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सूत्रों की मानें तो इस टीम ने मतदान केंद्रों से पहला फीडबैक जुटा लिया है। पार्टी की जिज्ञासा और चिंता दोनों ही मतदान प्रतिशत को लेकर है। कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत काफी अच्छा रहा है, जबकि इसके उलट कई स्थानों पर उम्मीद के बावजूद मतदान में वृद्धि नहीं हो पाई है।
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चूंकि, इस चुनाव में मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। लिहाजा पार्टी बेहद सावधानी बरतती दिखाई दे रही है।
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पार्टी नए मतदाताओं के व्यवहार को भी खंगालने पर पूरा दे रही है। नए बने वोटर में अधिकतर कम आयु वर्ग के हैं। इस वर्ग के उत्साही मतदाताओं की प्रतिक्रिया के जरिए भी रुझान को जानने के प्रयास हो रहे हैं।
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पार्टी की चिंता स्विंग वोटिंग पैटर्न को लेकर भी है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच स्विंग वोटिंग पैटर्न ने 0.22 फीसद का अंतर पैदा कर दिया था। इससे जीत का अंकगणित ही बदल गया।
ये पैटर्न इस बार भी कांग्रेस के पक्ष में रहा तो दूसरी बार सत्ता पर उसका दावा मजबूत होना तय है। इस पैटर्न को जानने के लिए अंदरखाने केंद्र से लेकर राज्य स्तर के पार्टी के तमाम शीर्ष नेता बेचैन हैं। पीके की टीम भी इस पैटर्न का आकलन अपने सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर कर रही है।
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चूंकि, चुनाव परिणाम आने में अभी लंबा वक्त है। इस वजह से इन आंकड़ों और मतदाता व्यवहार को सही तरीके से पकडऩे के लिए जल्दबाजी नहीं की जा रही है।
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पार्टी इकाइयों से जहां दो-तीन दिन में ब्योरा मुहैया कराने को कहा गया है, वहीं पीके टीम भी अपना विश्लेषण जल्द मुहैया करा देगी। मतदान केंद्रों पर कार्यरत पार्टी कार्यकर्ताओं को ब्योरा देने को कहा गया है।
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